Wednesday 9 December 2020

शरद पवार

 यह चेहरा और चरित्र देखो 10 साल केंद्र में क्रुषि मंत्री के पद पर रहे शरदराव पवारका. उस काल में किसान दररोज बढती संख्या मे आत्महत्या कर रहा था पर एक भी दिन इस महानायक(?) ने एक भी दिन मनमोहन सिंह या उससे पहले नरसिंहरावको कभी धमकाने की बात तो छोडो किसान के हित में आवश्यक व्यवस्था परिवर्तन नही किये. तबला और डग्गा बजाने में माहिर यह नेता केवल अपने स्वार्थ के लिए मूँह खोलता है , जनता के लिए नही, यह इतिहास है.

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोदी सरकार को चेताया है कि अगर मांगों पर विचार नहीं हुआ तो आंदोलन दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा। 

मराठा क्षत्रप शरद पवार की हिपोक्रेसी देखिये। मनमोहन सिंह सरकार में 10 साल तक कृषि मंत्री रहे ये वही शरद पवार हैं जिन्होंने बतौर कृषि मंत्री अगस्त 2010 और नवंबर 2011 के बीच सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर बार-बार मॉडल एपीएमसी एक्ट को लागू करने और स्टेट एपीएमसी एक्ट्स में संशोधन के लिए कहा था। उन्होंने मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया था, ताकि किसानों को प्रतिस्पर्धा के लिए वैकल्पिक माध्यम मिल सके। तब शरद पवार ने दावा किया था कि इससे किसानों को बेहतर दाम मिल सकेगा। आज सरकार ने जब इन्हीं बातों का कानून में प्रावधान किया है तो पवार साहब कह रहे हैं कि वो इसके खिलाफ देशभर में आंदोलन करेंगे। 

शरद पवार जिस उम्र में पहुंच चुके हैं वहां लोग व्यक्तिगत राजनीतिक नफा-नुकसान से ऊपर उठ कर सोचने  लगता है पर पवार पर परिवार का लाभ-हानि हावी है।

तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 10 अगस्त 2010 को लिखी ये चिट्ठी पढ़िये ।



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