Wednesday 9 June 2021

बाबा रामदेव

 बाबा रामदेव का तर्कहीन विरोध


आजकल बाबा versus एलोपैथी के विवाद का बहुत जोर है । बाबा रामदेव का काफ़ी लोग मज़ाक़ उड़ाते है, उनपर कटाक्ष भरे भाव में विनोद भी करते है, लेकिन क्या किसी ने आज तक यह सोचा है की भगवाधारी संत जिसने एक अलग सोच के साथ सोचकर पूरा Paradigm Shift कर दिया और एक कल्पना को Innovation में परिवर्तित कर अपने उदेश्य और लक्ष्य दोनो को प्राप्त किया औऱ कर रहा है ।


आज से लगभग 35 साल पहले युवा बाबा जी आर्यसमाज के जलसों के स्थलों पर हरिद्वार व निकटवर्ती क्षेत्रो में अपनी bicycle जिसमे पीछे दोनों तरफ डब्बे भी लगे होते थे परझोले लटकाकर पर घूम घूम कर स्वयं की बनाई हुई आयुर्वेद की दवाइयां बेचा करते थे और आज दिव्य फार्मेसी व पतंजलि का व्यवसाय 26,000 करोड़ का हो चुका है । 


क्या यह चमत्कृत कर देने वाली सफ़लता नहीं है । मैनेजमेंट के छात्रों के लिए तो यह एक स्टडी केस है ।


ये जितने भी अंग्रेज़ी के शब्दों का यहा पर उल्लेख किया गया है, ये वो सारे शब्द है जो मैनेजमेंट की पढ़ाई में सिखाए जाते है लेकिन जो सिखते है वे केवल और केवल पावरपाईंट में ही इसको देखते हैं बाबाजी ने कर के दिखाया !


क्या हमने कभी सोचा है की इतना ज्ञान लेकर और फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी बोलकर भी हम एक चने का पैकेट भी अपने नाम से बेचने की क्षमता रखते है ?


लोग कहते हैं की आयुर्वेद तो हजारों वर्ष से है किन्तु यह भूल जाते हैं की बाबाजी के आने से पहले कितने लोगों को भस्तिका, कपाल भाती, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, मंडूक आसन, सर्वांगासन इत्यादि याद रह गए थे । बाबाजी ने इनको जन जन तक पहुंचाया और विस्म्रत होते जा रहे  आयुर्वेद को frontline में लाकर विदेशी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर दिया । उस व्यक्ति ने केवल गुरुकुल के ज्ञान के आधार पर इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया की आज तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनिया सदमे में है ! 


कुछ लोग कहते हैं ये बाबा नही उद्योगपति हैं मुनाफा कमा रहे हैं ।  चलिए मान लिया । क्या कोलगेट, allembic, प्रोक्टर & गैम्बल, रिचर्डसन हिन्दुस्तान, हिंदुस्तान लीवर, ranbaxy, मैनकाइंड इत्यादि कंपनियां चैरिटी कर रही हैं ? देश का पैसा बाहर भेजने के अतिरिक्त उन्होंने क्या किया ? क्या देश के विकास में उनका क्या योगदान है ? बाबाजी करोड़ों की चैरिटी करते हैं और देश का पैसा देश में ही रहता है । पतंजलि के उत्पाद भी गुणवत्ता से भरपूर है ! इस व्यक्ति ने हमें "Made in India" की जगह "Made In Bharat" लिखना सिखाया । अब यदि एलोपैथिक डॉक्टर किसी व्यक्ति के भीतर लाखों की दवाइयां ठूस कर मोटा माल काटने की सोचें औऱ बाबाजी उसको थोड़े से खर्चे में प्राणायाम,काढ़े और बिना साइड इफ़ेक्ट वाली आयुर्वेद दवाइयों से ठीक कर दें तो तिलमिलाहट तो होगी ही । जरा सोचिए 80,000 तक के रेमेडिसेवेर इंजेक्शन लोगों ने घर बार बेचकर, माताओं बहनों ने अपने गहने बेचकर खरीदे और ये एलोपैथी वाले बाबाजी की 600 की कोरोनिल पर सवाल करते हैं चूंकि इस के पूर्व प्रयोग से रेमेडिसेवेर की ज्यादातर जरूरत ही पड़ती । अब जलन तो होगी ही । कितना बड़ा षड्यंत्र है ये ।


बाबाजी का विरोध इसीलिए भी हो रहा है की कहीँ न कहीं बाबा जी की पतंजली के जरिये हिंदुत्व का ध्वज स्वतः ही ऊंचाइयों पर जा रहा है । कथित सेक्युलर लिब्रन्दू और वामपंथी  इसमें सबसे आगे हैं । गौमूत्र चिकित्सा का विरोध करने वाली लॉबी भी इसमें आगे है बिना ये सोचे की खाड़ी के देशों में ऊंट का मूत्र पिया जाता है और पैक्ड मिलता है ।


ऊपर से बाबाजी ने IMA के छत्ते में हाथ डाल दिया । IMA की सत्यता उजागर करके बाबा जी ने हम सबपर उपकार ही किया वरना सब इसके घ्रणित स्वरूप के बारे में कहा जानते थे । पहली बार पता चला की IMA कोई सरकारी संस्था नहीं बल्कि मात्र एक NGO है ईसाई लॉबी द्वारा पल्लवित व पुष्पित गई जिसका प्रमुख भी एक ईसाई है । यह कोई अधिकृत संस्था नहीं है । बाबा जी ने इस ततैयों के छत्ते में पत्थर मार दिया । 


आज पतंजलि के उत्पाद व  दवाइयां अच्छी गुणवत्ता भी देती हैं और दूसरे प्रतिस्पर्धी से सस्ती भी हैं । लेकिन समझ से बाहर की बात है की IMA से लड़ाई में डाबर,झंडू, बैद्यनाथ इत्यादि क्यों चुप हैं ये समझ से बाहर की बात है ।


मैं और मेरे जैसे करोड़ों लोग इस लड़ाई में आयुर्वेद व बाबा जी के साथ हैं ।


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