Thursday 12 November 2020

श्यामा प्रसाद मुखर्जी

 श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाला अंजाम न हो..  " Save Arnab "


श्यामा प्रसाद मुखर्जी श्रीनगर के एक कोने में बनी अलग थलग अस्थायी जेल में लाये गए थे ! उस वक्त खूब स्वस्थ थे... सारा देश और उनके समर्थक यह माने बैठे थे कि कोई अपराध भी तो नहीं किया है,श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ! बगैर परमिट हज़ारों लोग पंजाब से जम्मू में लखनपुर ब्रिज पास करके जाते थे ...डॉक्टर मुखर्जी ने भी कर लिया तो कौन सा गुनाह किया ? दिल्ली से पठानकोट पहुचने तक जगह जगह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का स्वागत होता रहा... मुखर्जी के भाषण होते रहे...  हज़ारों लोग जुटते रहे... आखिर कश्मीर में परमिट सिस्टम का विरोध... हर देशभक्त भारतीय का कर्तव्य जो था ! हर बड़े स्टेशन से नेहरू के निर्देशों के अनुसार श्यामा प्रसाद मुखर्जी जवाहर लाल नेहरू को टेलीग्राम भेजते रहे... " मैं ठीक हूँ, मज़े में हूँ "... "जल्दी ही वापस लौटकर आपसे मीटिंग करूँगा,कश्मीर के हाल आप तक पहुँचाऊंगा"...

             लखनपुर ब्रिज,पंजाब-जम्मू सीमा, पर एक डिप्टी एसपी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अरेस्ट कर जीप में बैठाया... जीप जम्मू को पीछे छोड़ जब कश्मीर घाटी को बढ़ी, तब ही जम्मू के हिंदुओं को डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर खतरा मंडराता महसूस हुआ ! इधर भारत मे गर्मी थी मगर जून माह में श्रीनगर में बारिश हो गई थी,बहुत ठंडा मौसम था... डॉक्टर साहब को श्रीनगर जेल न लेजाकर निशात बाग के पास एक 3 कमरे की अस्थायी कॉटेजनुमा जेल में रखा गया... डॉक्टर साहब कलकत्ता की उमसभरी गर्मी के अभ्यस्त थे !... ठंड से लड़ने के लिए उनको गर्म कपड़े.... मच्छरों ,कीड़ो से बचाव के लिए मच्छरदानी तक देने से इनकार कर दिया गया... वहां भी मिलार्ड आज जैसे ही थे !  ज़मानत और छोड़ने का तो प्रश्न ही नहीं.... 

            ठंड से हार्ट अटैक तक की कहानी वही है,जो शेख अब्दुल्ला ने रची ! दर्द(?) से चिल्लाते डॉक्टर साहब को अस्पताल ले जाने के लिए कश्मीर पुलिस ने न्यायालय में दरख्वास्त लगाई ! 2 दिन के बाद भी अनुमति नहीं मिली ! एक डॉक्टर उस ठंडी और तीन कमरों की जेल में भेज दिया गया... साथ मे एक नर्स ! डॉक्टर अली मोहम्मद ने शाम के वक्त स्ट्रेप्टोमाइसिन इंजेक्शन... डॉक्टर मुखर्जी के यह कहने के बाबजूद लगाया कि स्ट्रेप्टोमाइसिन उन्हें रियेक्शन करता है...... डॉक्टर मुखर्जी दर्द से तड़प उठे चीखे "बहुत जलता है "....

           चलते समय डॉक्टर ने 2 गोलियां नर्स को थमाई कि जब रात की तकलीफ हो तो दे देना.... रात में तकलीफ तो होनी ही थी... गोलियां दी गईं... मुखर्जी साहेब निश्चेष्ठ हो गए... लेकिन उन्हें अस्पताल ,जो सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर था,जानबूझकर नहीं ले जाया गया ! याद रखिये 21 मई 1953 को डॉक्टर मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया... 23 जून 1953 (मृत्यु दिवस) के मध्य जवाहर लाल नेहरू कुछ दिन के लिए श्रीनगर 'घूमने' आए थे... मगर अपने मन्त्रिमण्डल के पुराने साथी गंभीर रूप से नारकीय जेल में पड़े डॉक्टर मुखर्जी के हाल चाल पूछने से ज़रूरी शेख अब्दुल्ला की कृपा से उन्हें राते रंगीन करना ज़्यादा अच्छा लगा !

            रात 2 बजे... तबियत खराब थी,बहुत खराब थी, एक और डॉक्टर आया ,जो अस्पताल से कई घण्टों के इंतज़ार के बाद भेजा गया था ... सुबह साढ़े तीन बजे डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्राण-पखेरू उड़ गए... डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत के बाद भी शेख अब्दुल्ला और नेहरू ने डॉक्टर साहब के मृत शरीर का घोर अपमान किया ! मृत शरीर को ले जा रहे हवाई जहाज़ को दिल्ली में उतरने की अनुमति न देकर कलकत्ता की ओर भेज दिया गया... जबकि परिजन डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का पोस्टमार्टम चाहते थे और अंतिम संस्कार भी दिल्ली में चाहते थे !

             डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का दुःखद अंत.... क्यों याद आ रहा है,आप समझ सकते हैं !....

No comments:

Post a Comment