Friday 27 November 2020

पानीपत की तीसरी लड़ाई

लेखक... Jitendra Pratap Singh

 भारत के सबसे बड़े गद्दार शाह वलीउल्लाह देहलवी को भारत के मोमिन  बेहद आदर से याद करते हैं.... हर दीनी किताब में उसका जिक्र होता है हर एक मुस्लिम जलसे में शाह वालीउल्लाह देहलवी का जिक्र होता है उसकी शान  में कसीदे पढ़े जाते हैं.... शाह वलीउल्लाह देहलवी के  पिता औरंगजेब के दरबार  मे थे.... उन्होंने  देखा कि भारत में मुग़लों का शासन कमजोर हो रहा है औरंगजेब का निधन हो गया था और उसे लगा कि अब दिल्ली की गद्दी पर मराठे कब्जा कर लेंगे 


          तब वलीउल्लाह अफगानिस्तान के दरिंदे सुल्तान अहमद शाह अब्दाली के पास गया और उन से निवेदन किया कि आप भारत पर हमला करिये और दिल्ली पर कब्जा करिए और 'काफिरों' का सफाया कर दीजिये... खून की नदियां बहा दीजिये !.... पहले तो अहमद शाह अब्दाली झिझक रहा था लेकिन जब शाह वलीउल्लाह देहलवी ने उसे भरोसा दिया कि मैं भारत के दो लाख मोमिनों की फौज बनाकर आपके साथ लड़ूंगा... आप भारत पर हमला करिये... दिल्ली को मराठों से बचाइए....

         मराठे यह सोच रहे थे कि भारत के मोमिन उसका साथ देंगे क्योंकि भारतीय मोमिन कभी नहीं चाहेंगे कि कोई विदेशी दिल्ली की गद्दी पर बैठे... मराठों को क्या पता था कि अब्दाली को कत्लेआम और लूटपाट के लिए भारत के ही मोमिनों ने बुलाया था...

       मराठी तब चौक गए जब उन्होंने देखा कि हज़ारों मोमिन सैनिक शाह वलीउल्लाह के नेतृत्व में अहमद शाह अब्दाली की सेना में जाकर मिल गए और फिर पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई ... दिल्ली पर अहमद शाह अब्दाली ने कब्जा किया.... अहमद शाह अब्दाली ने लगभग एक लाख हिंदुओं को जिबह कर दिया.... उत्तर भारत में लाखों हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया !... पंजाब और दिल्ली को श्मशान और भूतों का डेरा बना दिया...  शाह वलीउल्लाह देहलवी के ऊपर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी किताब लिखी है और मसीहा बताया है और यह लिखा है कि यदि यह नहीं होते तो दिल्ली पर हिन्दू राजा कब्जा कर लेते....
                दरअसल.... वह राष्ट्र की अवधारणा में विश्वास नहीं करते ! उन्हें हर मोमिन अपना भाई लगता है... भले ही वो विदेशी क्यो न हो गज़वा ऐसे ही जारी रहेगा...


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