Thursday 19 November 2020

रोशनी एक्ट

भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिय। सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नही। यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक  षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी। 1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया। उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए। तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी। शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है। 

इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना

चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया.... फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया जिसके द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था। इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था उसके बाद कुछ ही सालों में उस वक्त हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया। इस तरह इस जालिमाना रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101  रुपये।में दे दी। 

सबसे आश्चर्य की भारत की वामपंथी मीडिया कभी इस रोशनी एक्ट की चर्चा नहीं की। 

जम्मू काश्मीर में "रोशनी विधेयक" रद्द!

खेल देखिये, हिन्दुओं, कैसे अब्दुल  ने पड़ोसी हिन्दू को मार-भगाकर उसकी जमीन, मकान पर कब्जा जमा लिया १९९० में, फिर कब्जाई जमीन उस कथित शांतिदूतों के नाम करने का षड्यंत्र रचा गया। बिजली कनेक्शन देने की आड़ लेकर एक "रोशनी एक्ट" बनाया फारुख अब्दुल्ला सरकार ने। कब्जाई हिन्दूभूमि को मुस्लिम के नाम करने की फीस रखी गई मात्र १०१ रुपए। १०१ रुपये जमा करने मात्र से राशि जमा करने वाले के नाम वो जमीन का मालिकाना हक "रोशनी एक्ट" के अंतरगत पट्टा जारी कर दिया जाता, और फिर उस पर बिजली कनेक्शन देकर उस हिन्दूभूमि को सदा के लिए मुसलमान के नाम कर दिया गया।  

खेल बहुत गहरा खेला गया फारुख अब्दुल्ला द्वारा। 

१९९० की कत्ल वाली रात के पस्चात, जो जमीन जिसके कब्जे में थी, उसे "रोशनी एक्ट" द्वारा उसका मालिक बनाने का कानून फारुख अब्दुल्ला ने बनाया। 

१९९० के बाद से मुसलमानों के नाम की गई हिन्दूभूमि के कागजात, जो कि "रोशनी एक्ट" द्वारा जारी किए गए थे, उन्हें रद्द किया जाएगा, और उसके असली स्वामी हिन्दू को ढूंढा जाएगा। 

जम्मू-काश्मीर में हिन्दुओ के अच्छे दिनों को आरंभ करता  नरेंद्र मोदी। 

*इंच इंच हिन्दूभूमि पुनः काश्मीरी हिन्दुओं को दिलाने के लिए संघर्ष करता हिन्दुराज। 

हिन्दू पंडितों को मार-भगाकर काश्मीर में मुस्लिमों द्वारा कब्जा की गई हिन्दूभूमि को मात्र ₹१०१ में मुसलमानों के नाम करने के लिए फारुख अब्दुल्ला के द्वारा बनाये गए "रोशनी एक्ट" को हिन्दुराजा नरेंद्र मोदी ने रद्द कर दिया है। 

साथ ही २००१ में काश्मीर में मुस्लिम नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम बंदरबांट द्वारा "रोशनी एक्ट" द्वारा कब्जाई हिन्दूभूमि के सारे रिकॉर्ड को भी खंगालने के आदेश जारी किए गए हैं। 

भागते हिन्दुओं के बंगले, कोठियां, कारखाने, उद्योग, बाग बगीचे, केशर के बागान मुसलमानों ने कब्जा कर लिए थे। उन हिन्दूभूमि को आतंकी मुस्लिमों व उनके रिश्तेदारों के नाम करने के लिए "रोशनी एक्ट", जो कि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति के लिए तैयार किया गया था, उसकी आड़ में बिजली कनेक्शन देने के लिए केवल ₹१०१ में कब्जा जमीनों व बागानों, बंगलों, अन्य हिन्दूभूमि को मुस्लिमों के नाम पर पट्टा जारी कर दिया गया। काश्मीर को हिन्दुविहीन करने के षड्यंत्र में फारुख अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती दोनों के पिता की मुख्य भूमिकायें थी। इन्होंने भी अकूत हिन्दूभूमि अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम "रोशनी एक्ट" द्वारा पट्टा जारी करते हुए कब्जाई। अब हिन्दुराजा नरेन्द्र मोदी के आदेशों से "रोशनी एक्ट" रद्द कर दिया गया है, और १९९० के बाद में जो भी सम्पति मुसलमानों के नाम की गई थी, सब की जांच आऱभ करने का मार्ग खोल दिया है। हिन्दुराजा नरेन्द्र मोदी इसालमिक आतंकवाद की असली जड़ पर चोट कर दिए हैं। 

इसी काश्मीर से "संविधान" की आड़ लेकर, हिन्दुओं के विरुद्ध आधुनिक "गजवा-ए-हिन्द" का षड्यंत्र फारुख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सैयद के द्वारा आरंभ किया गया था! जिसको "रोशनी एक्ट" बनाकर, काश्मीर में से हिन्दुविहीन करने का सफल षड्यंत्र रचा! राजनीतिक आतंकवादियों के बूरे दिन आरंभ हुए हैं। 

हिन्दुओं, शीघ्रपतन के शिकार हो कर, नरेन्द्र मोदी को मत कोसो। वो अखण्ड भारत के लक्ष्य को लेकर, चाणक्य नीति के आधार पर, राजधर्म निभा रहे हैं। मगर कुछ मूर्खों को तो स्वयं के जागरूक नागरिक होने का सार्वजनिक प्रमाण पत्र लेने की इतनी हड़बड़ाहट लगी रहती है, कि देश में कहीं पर भी किसी सेकुलर हिन्दू के साथ कुछ घटना घटित हुई नहीं, कि लग गए मोदी को गालियां देने। तरह तरह के सुझावों की झड़ी लगा देते हैं, कि मोदी तो विश्वास जीतने में लग गया है, मोदी ने तो हिन्दुओं के लिए क्या किया है? ऐसे शीघ्रपतन के शिकार अत्यंत बुद्धिजीवी वर्ग के तथाकथित जागरूक हिन्दुओं को कहना चाहता हूँ कि ७२ वर्षों में जितना षड्यंत्र हिन्दुओं के विरुद्ध कांग्रेस के ईसाई व मुस्लिम नेतृत्व ने किया है, उसकी सटीक जानकारी आपको नहीं है। आप केवल बरसाती मेंढकों की तरह टर्र टर्र करके मोदी-विरोधी गद्दारों के लिए वातावरण बनाने का अनसमझा पाप ही कर रहे हो। अगर आपको ये लगता है कि मोदी के अच्छे निर्णयों पर कुछ लिखने मात्र से आपके पाप क्षीण हो गए हैं, तो  ये आपकी मूर्खता ही है। बुद्धिमान व्यक्ति के तमगे लगाए आप लोग असल में जागते हिन्दुओं को पथभ्रष्ट करने का अनदेखा पाप कर रहे हो। 

राजनीतिक धर्म युद्ध में कोई निष्पक्ष नहीं होता। करोड़ों ग़द्दार मोदी के विरोध में हैं, और करोड़ों हिन्दू मोदी के पक्ष में। 

अब आप ही तय करिए कि आप किस पक्ष के साथ हो। आपके व्यवहार से किसे अधिक लाभ होता है? मोदी को या विपक्ष को?

स्वयं आंकलन करिए व अपनी कलम की दिशा धर्मरक्षार्थ गुप्त व दृश्यतामक निर्णय लेने वाले नरेंद्र मोदी के पक्ष में शाब्दिक करे मोदी-विरोधी पृष्ठभूमि के भंवरजाल में फंसे हिन्दुओं को बाहर निकल आने में साक्षी बनें। 


साभार:  हिन्दु धर्म ध्वजा वाहक



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