Thursday 5 November 2020

मुफ्त की कोख से उपजा राक्षस:

मुफ्त की कोख से उपजा राक्षस:

वेनेजुएला जहां एक डबल रोटी 12 लाख बोलिवर में आठ से दस घंटे लाइन में लगने के बाद मिलती है और लेकर बाहर निकलते ही कुछ लोगों द्वारा मारकुटाई करके लूट ली जाती है।

ऐसा क्यों और कैसे हुआ।

लातिनी अमेरिकी देश वेनेजुएला में भी एक   "भ्रष्ट नेता"  था। ..  "प्रेज़िडेंट ह्यूगो शावेज़" जिसने वेनेजुएला की जनता को मुफ्तखोर बनाकर वेनेजुएला को बर्बाद और दिवालिया कर दिया।        

अभी 5-6 वर्ष पहले तक दुनिया में सबसे सस्ता पैट्रोल वेनेज़ुएला में मिलता था ...  64 पैसे प्रति लीटर (2014)

वेनेज़ुएला में 5-6 वर्ष पहले तक किसी तरह का कोई टैक्स नहीं था। 

वहां शुरु से अन्त तक पूरी पढ़ाई मुफ्त,

हर तरह की मैडिकल मदद पूरी तरह से मुफ्त,

बिजली मुफ्त, पानी मुफ्त, 

लोकल ट्रांसपोर्ट मुफ्त थी। 

वहां हर व्यक्ति को नौकरी, 

और नौकरी न होने की स्थिति में पर्याप्त बेरोजगारी भत्ता ...

और प्रत्येक नागरिक को एक निर्धारित मासिक भत्ते का सरकारी  "लालीपॉप" थमा दिया। 

जनता इस लालीपॉप को चूसती रही 

और उसका योगदान देश की अर्थव्यवस्था में न के बराबर रहा। 

सरकार केवल तेल बेचकर इन सब खर्चों की पूर्ति करती रही।   

सिर्फ 5-6 वर्ष पहले तक 

वेनेज़ुएला में जीवन गुज़ारना वहां के नागरिकों के लिए एक जीवन भर की मौज मस्ती थी।

और आज, वर्तमान समय के हालात इतने बुरे हैं कि दुनिया को सबसे अधिक विश्व सुन्दरी देने वाले देश की बेटियां जो कल तक अपने देश में पुलिस ऑफिसर, प्रोफेसर, अध्यापिका, नर्स, अखबार की रिपोर्टर आदि बतौर सम्मानजनक नौकरियां कर रही थीं, 

आज पड़ोसी देश कोलम्बिया जाकर 10-10 अमेरिकन डॉलर के लिए अपना शरीर बेचने को मजबूर हो गयी है, 

ताकि अपने देश में छूट गये मां बाप, या भाई बहन, या पति व बच्चों के लिये महीने में 500-600 अमेरिकन डॉलर भेज सकें। 

आखिर ऐसा क्या हुआ ...

कि 5-6 वर्ष पहले का स्वर्ग इतनी जल्दी वहां के लोगों के लिए नरक बन गया?

जवाब बहुत साफ है। 

वेनेज़ुएला में पिछले लम्बे समय से वामपंथी सरकारों का ज़ोर चल रहा था, भ्रष्टाचार चरम पर था,

 खर्चे व सब्सिडी भयंकर थीं,

 तेल उत्पादन के अलावा किसी भी दूसरे उत्पादन पर किसी तरह की कोशिश की ही नहीं जा रही थी, 

भ्रष्टाचार और सब्सिडी की वजह से वेनेजुएला का खज़ाना लगभग खाली था।

और इसीलिए 2014 में  अचानक ही  वेनेज़ुएला में हर चीज दिन दुगनी, रात चौगुनी मंहगी होती गई। 

आज इतनी मंहगाई है ...कि एक महीने की सैलरी से सिर्फ एक पैकेट पास्ता खरीदने के अलावा कुछ नहीं कर सकते,

UN के अनुसार 2019 में मंहगाई 1 लाख प्रतिशत तक बढ़ गई।

1 लाख प्रतिशत, मतलब जो चीज आज 1 रुपये की है वही साल भर बाद 1 लाख रुपये की।

वेनेजुएला की मुद्रा बोलिवर है और इसका सबसे बड़ा नोट एक लाख बोलिवर का है। 

मगर बाजार में इसकी कीमत कुछ भी नहीं। 

वेनेजुएला में अब एक लाख बोलिवर में कुछ नहीं खरीदा जा सकता। 

वित्तीय संकट की वजह से सरकार लगातार नोट छाप रही है जिससे यहां की मुद्रा बोलीवर की कीमत लगातार घट रही है। हालत यह है कि एक डॉलर  35 लाख बोलिवर के बराबर हो गया है।जब तक वेनेजुएला में तेल बेच-बेचकर पैसा आ रहा था और शावेज (वेनेजुएला का केजरीवाल)   जनता पर पैसा बरसा रहे थे,  तब तक सब ठीक था।हालांकि, अर्थशास्त्री तब भी' शावेज की सोशलिस्ट (मुफ्तखोरी) पॉलिसी को खतरा बता रहे थे, लेकिन तब  सबके कानों में मुफ्तखोरी का तेल पड़ा हुआ था। आज वेनेजुएला की करंसी बोलिवर का आलम यह है कि लोग एक किलो मीट के लिए 1.5 करोड़ बोलिवर तक दे रहे हैं। 

एक कप कॉफी के लिए 25 लाख बोलिवर तक दे रहे हैं।

औरतें अपने बाल बेचकर पैसे इकट्ठा कर रही हैं।

हर 35 दिनों में चीज़ों के दाम दोगुने हो रहे हैं।

आज यहां 5 में से 4 लोग गरीब हैं।

होटल-रेस्ट्रॉन्ट में लोग अपना बैंक बैलेंस दिखा रहे है कि उनके पास पेमेंट करने के लिए पैसे हैं। 

जिनके पास खाने का पैसा नहीं, वो लूट-मार कर रहे हैं।

2014 से अब तक 

पेट्रोल कीमतें 8000% से ज़्यादा बढ़ चुकी हैं।

राशन लेने के लिए लोग 65-65 घंटे कतार में खड़े होते हैं।

गोदामों के बाहर सैनिक तैनात रहते हैं।

बाल काटने के एवज में नाई ले रहा अंडे और केले 

लोग फिलहाल खाने और दवाइयों के लिए भी मोहताज हैं। 

बिजली, पानी और यातायात से जूझ रहे हैं वेनेजुएला के लोग। (ये सब पहले इन्हें मुफ्त में मिल रहा था)

बेरोजगारी बढ़ने से अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है

जूता मरम्मत के 20 अरब बोलिवर

आज वेनेजुएला में न्यूनतम मजदूरी 1 अमेरिकी डॉलर प्रति माह के करीब है.

इसके असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वेनेजुएला में एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को

अपना पुराना जूता मरम्मत करवाने के लिए चार महीने की सैलरी के बराबर 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) देने पड़े। कैब सर्विस लेने के लिए सिगरेट का डब्बा देना पड़ रहा है. रेस्त्रां खाना खिलाने के बदले पेपर नैपकिन ले रहा है। अनाज, दूध, दवाइयों और बिजली का घोर अभाव है। बेरोजगारी बढ़ने के अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है।  

एक बर्गर को खरीदने के लिए 50 लाख बोलिवर खर्च करने पड़ेंगे।

एक कप काॅफी की कीमत 25 लाख बोलिवर,

एक टमाटर 5 लाख बोलिवर।                                                          

दिल्ली वासियों, 

आप भी अपनी दिल्ली को दूसरा वेनेज़ुएला नहीं बनने देना।

क्योंकि कुछ हजार करदाताओं से इकट्ठा रुपये मुफ्त खोरी में बांट देगा। 

जब दिल्ली का खजाना खाली हो जायेगा तो इन सुविधाओं को जारी नहीं रख सकता,  फिर केन्द्र सरकार की तरफ ऊँगली उठा कर बोलेगा कि ये मुझको कुछ नहीं करने दे रहे हैं। बाद में आपकी स्थिति भी वेनेजुएला की जनता जैसी हो जाए इससे बचें। आपको ये मुफ्त की और सब्सिडी वाली घोषणाएं आज तो अच्छी लग रही हैं ...लेकिन बाद में ये आपके लिए दुखदायी साबित हो सकती है।

इसलिए, 

लालच में न आये अपनी अक्ल लगाये मुफ्तखोर नहीं

समझदार बनिए


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