Monday 23 May 2016

माँ, पिता !!

गार्डन में लैपटॉप लिए एक लड़के से
बुजुर्ग दम्पति ने कहा-
"बेटा हमें फेसबुक का अकाउंट बना दो।"
लड़के ने कहा- "लाइये अभी बना देता हूँ, कहिये किस नाम से
बनाऊँ?"
बुजुर्ग ने कहा- "लड़की के नाम से कोई भी अच्छा सा नाम
रख लो।"
लड़का ने अचम्भे से पूछा- "फेक अकाउंट क्यों ??"
बुजुर्ग ने कहा- "बेटा, पहले बना तो दो फिर बताता हूँ
क्यों ??"
बड़ो का मान करना उस लड़के ने सीखा था तो उसने अकाउंट
बना ही दिया।
अब उसने पूछा- "अंकल जी, प्रोफाइल इमेज क्या रखूँ?"
तो बुजुर्ग ने कहा- "कोई भी हीरोइन जो आजकल के बच्चों
को अच्छी लगती हो।"
उस लड़के ने गूगल से इमेज सर्च करके डाल दी, फेसबुक अकाउंट
ओपन हो गया।
फिर बुजुर्ग ने कहा- "बेटा कुछ अच्छे लोगो को ऐड कर दो।"
लड़के ने कुछ अच्छे लोगो को रिक्वेस्ट सेंड कर दी।
फिर बुजुर्ग ने अपने बेटे का नाम सर्च करवा के रिक्वेस्ट सेंड
करवा दी। .
लड़का जो वो कहते करता गया जब काम पूरा हो गया तो
उसने कहा....
"अंकल जी अब तो आप बता दीजिये आपने ये फेक अकाउंट
क्यों बनवाया?"
बुजुर्ग की आँखे नम हो गयी, उनकी पत्नी की आँखों से तो
आँसू बहने लगे।
उन्होंने कहा- "मेरा एक ही बेटा है और शादी के बाद वो
हमसे अलग रहने लगा। सालो बीत गए वो हमारे पास नहीं
आता। शुरू शुरू में हम उसके पास जाते थे तो वो नाराज हो
जाता था। कहता आपको मेरी पत्नी पसंद नहीं करती। आप
अपने घर में रहिये, हमें चैन से यहाँ रहने दीजिये। कितना अपमान
सहते इसलिए बेटे के यहाँ जाना छोड़ दिया।
एक पोता है और एक प्यारी पोती है, बस उनको देखने का
बड़ा मन करता है। किसी ने कहा कि फेसबुक में लोग अपने
फैमिली की और फंक्शन की इमेज डालते है,
तो सोचा फेसबुक में ही अपने बेटे से जुड़कर उसकी फैमिली के बारे में जान लेंगे😞
और अपने पोता पोती को भी देख लेंगे, मन को शांति मिल
जाएगी। अब अपने नाम से तो अकाउंट बना नहीं सकते। वो
हमें ऐड करेगा नहीं, इसलिए हमने ये फेक अकाउंट बनवाया।"
बुजुर्ग दंपत्ति के नम आँखों को उनके पत्नी के बहते आँसुओं को
देखकर उस लड़के का दिल भर आया और सोचने लगा कि माँ-
बाप का दिल कितना बड़ा होता है जो औलाद के कृतघ्न होने
के बाद भी उसे प्यार करते हैं और औलाद कितनी जल्दी माँ-
बाप के प्यार और त्याग को भूल जाती है। "😞
बेकार की सायरी तो बहुत शेयर करते हो लेकिन ये लेख जरूर शेयर करे ताकि ऐसा करने वाले सभी संतान इस लेख को पढ़ कर सुधर सके! 👌👍

Sunday 1 May 2016

कविता!!

गुलज़ार साहब की कविता :-

जब मैं छोटा था,
शायद दुनिया
बहुत बड़ी हुआ करती थी..

मुझे याद है
मेरे घर से "स्कूल" तक का
 वो रास्ता, 

क्या क्या
 नहीं था वहां,
चाट के ठेले, 
जलेबी की दुकान,
बर्फ के गोले
 सब कुछ,

अब वहां 
"मोबाइल शॉप",
"विडियो पार्लर" हैं,

फिर भी
सब सूना है..

शायद
अब दुनिया
सिमट रही है...
.
.
.

जब
मैं छोटा था,
शायद
शामें बहुत लम्बी
हुआ करती थीं...

मैं हाथ में
पतंग की डोर पकड़े,
घंटों उड़ा करता था,

वो लम्बी
 "साइकिल रेस",
वो बचपन के खेल,

वो
हर शाम
थक के चूर हो जाना,

अब
शाम नहीं होती,

दिन ढलता है
और
सीधे रात हो जाती है.

शायद
वक्त सिमट रहा है..

जब
मैं छोटा था,
शायद दोस्ती
बहुत गहरी
हुआ करती थी,

दिन भर
वो हुजूम बनाकर
खेलना,

वो
दोस्तों के
घर का खाना,

वो
लड़कियों की
बातें,

वो
साथ रोना...

अब भी
मेरे कई दोस्त हैं,
पर दोस्ती 
जाने कहाँ है,

जब भी 
"traffic signal"
पर मिलते हैं
"Hi" हो जाती है,

और
अपने अपने
रास्ते चल देते हैं,

होली,
दीवाली,
जन्मदिन,
नए साल पर
बस SMS आ जाते हैं,

शायद
अब रिश्ते
बदल रहें हैं..

जब
मैं छोटा था, 
तब खेल भी
अजीब हुआ करते थे,

छुपन छुपाई,
लंगडी टांग, 
पोषम पा,
टिप्पी टीपी टाप.
अब
internet, office, 
से फुर्सत ही नहीं मिलती..

शायद
ज़िन्दगी
बदल रही है.
.
.
जिंदगी का
सबसे बड़ा सच
यही है.. 
जो अकसर
क़ब्रिस्तान के बाहर
बोर्ड पर
लिखा होता है...

"मंजिल तो
यही थी, 
बस
जिंदगी गुज़र गयी मेरी
यहाँ आते आते"
.
ज़िंदगी का लम्हा
बहुत छोटा सा है...

कल की
कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल 
सिर्फ सपने में ही है.. 

अब
बच गए
इस पल में..

तमन्नाओं से भरे 
इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे हैं.

कुछ रफ़्तार
धीमी करो, 

और

इस ज़िंदगी को जियो
खूब जियो ............ ।।
.....................गुलज़ार

जागो ग्राहक।

क्या है एक्साइज ड्यूटी
मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने 10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा। उसका लेकर आप सुनार के पास हार बनबाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनबाई लगेगी। आपने कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने 1 ग्राम सोना निकाल लिया और 1 ग्राम का टाका लगा दिया। क्यों विना टाके के आपका हार नही बन सकता। यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया । और 2000 रुपये आपसे बनबाई अलग से लेली। यानी आपको 5000 रुपये का झटका लग गया। अब आपके 30 हजार रुपये सोने की कीमत मात्र 25 हजार रुपये बची। और सोना भी 1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा। बात यही खत्म नही हुई। उसके बाद अगर आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनबाने पुन: उसी सुनार के पास जाते है तो वह पहले टाका काटने की बात करता है। और सफाई करने के नाम पर 0.5 ग्राम सोना और कम हो जाता है। अब आपके पास मात्र 8.5 ग्राम सोना बचता है। यानी की 30 हजार का सोना मात्र 25500 रुपये का बचा।
आप जानते होंगे
30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनबाई = 32000 रुपये
1 ग्राम का टाका कटा 3000 रुपए + 0.5 पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा = सफाई के नाम पर = 1500
शेष बचा सोना 8.5 ग्राम
यानी कीमत 32000 - 6500 का घाटा = 25500 रुपये
सरकार की मंशा
एक्साइज ड्यूटी लगने पर सुनार को रशीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा। और जितने ग्राम का टाका लगेगा । उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नही पड़ेगा। जैसा की आपके सोने की तोल 10 ग्राम है और टाका 1 ग्राम का लगा तो सुनार को रशीद के आधार पर 11 ग्राम बजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर हे। भेद खुल जायगा।