Sunday 24 January 2021

मेजर मोहित शर्मा,

 वर्ष 2003, कश्मीर शोपियां: एक युवा कश्मीरी लड़का इफ्तिखार भट्ट, कंधे की लंबाई के बाल और पारंपरिक कश्मीरी परिधान फेरन पहने हुए खूंखार आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के पास उनके संगठन में सम्मिलित होने पहुंचा, 

जब उससे पूछा गया कि वह भारतीय सेना से क्यों लड़ना चाहता है, तो उसने खालिस कश्मीरी में भारतीय सेना को भद्दी से भद्दी गालियां देते हुए एक पथराव के दौरान की गयी सैन्य कार्यवाही में हुए अपने भाई की मौत के लिए सेना को ज़िम्मेदार ठहराया।

उसकी कहानी सुनने और सेना के प्रति उसकी नफरत और उसके जुनून को देखते हुए उसे अपने काम का लड़का समझकर उसे सैन्य प्रशिक्षण हेतु पाकिस्तान ले जाया गया, जहां अन्य युवा जेहादियों की तुलना में इस युवा लड़के ने कहीं बढ़कर प्रदर्शन किया और उनसे कहीं अधिक मजहबी कट्टरता भी दिखाई, जिसे देखते हुए उसे नेतृत्व और वैचारिक प्रशिक्षण के लिए तुरंत ही चिह्नित कर लिया गया, और फिर कई स्तर के सैन्य वैचारिक और नेतृत्व प्रशिक्षण के बाद अंत में उसे LOC पार कर भारतीय सेना की चौकी पर हमला करने हेतु भेजा गया ।

उसकी क्षमताओं को देखते हुए एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया और उसे अबू सबजार और अबू तोरा जैसे दशकों का अनुभव रखने वाले हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडरों का दायां हाथ नियुक्त किया गया , जिससे उसकी वास्तविक कॉम्बैट एक्शन स्किल्स और उसकी नेतृत्व क्षमताओं का भी विकास हो सके,

2004 में इफ्तिखार भट्ट ने अपने दोनों वरिष्ठ हिजबुल कमांडरों को आश्वस्त किया कि वह सेना की चौकी पर एक सफल हमला कर सकता है जिसमें भारतीय सेना को अधिकतम नुकसान होगा, फिर वह उन्हें उस स्थान पर ले गया जहां से वह भारतीय सेना पर हमला अंजाम देना चाहता था और उन्हें प्रभावित करते हुए उसने उन्हें सेना पर हमले की अपनी योजना की पूरी विस्तृत रणनीति बताई, 

हिजबुल कमांडर अबू सबजार को इस बात पर संदेह हुआ कि बिना किसी असली कॉम्बैट अनुभव के यह युवा लड़का आखिर इतनी कुशलता, बारीकी व् सावधानीपूर्वक ऐसे जटिल सैन्य हमले की योजना कैसे बना सकता है.....

जिसके बाद उन्होंने उससे उसकी पृष्ठभूमि, उसके अतीत और उसकी कहानी के बारे में उससे सवाल पूछने शुरू कर दिये,

आपने वरिष्ठ कमांडरों में अपने प्रति अविश्वास को देख भड़कते हुए युवा लड़के ने उन्हें अपनी AK 47 दी और कहा कि यदि वे उसपर भरोसा नहीं करते हैं तो वे उसे तत्क्षण गोली मार सकते हैं, और कुछ कदम पीछे हटकर खड़ा हो गया, 

इसके पहले हाथों में AK-47 पकड़े हिजबुल कमांडर किसी निष्कर्ष पर पहुंच पाते, उस युवा लड़के ने बिजली की तेजी से TT-30 9mm टोक्रेव पिस्टल निकाली और दोनों को गोली मार दी, 2-2 गोलियां छाती पर व् एक-एक सिर पर, भारतीय सेना के पैरा एसएफ ऑपरेटर का टिपिकल सिग्नेशर मूव, दोनो हिजबुल कमांडरों को यह पता तक नही चला कि उनके संग क्या हुआ, इसके बाद उस लड़के इफ्तिखार भट्ट ने सारे हथियार समेटे और उन्हें लेकर पास के आर्मी कैंप तक टहलते हुए चला गया, उस लड़के का वास्तविक नाम था मेजर मोहित शर्मा, 1 पैरा एसएफ, (मद्रास रेजिमेंट) भारतीय सेना।


भारतीय सेना का यह अधिकारी वर्ष 2009 में कश्मीर में एक कोर्डन व् सर्च ऑपरेशन में मातृभूमि पर अपना सर्वस्व बलिदान कर गया, और अपने सेकेंड इन कमांड से कहे उसके अंतिम शब्द थे "सुनिश्चित करो कि कोई भी बचके निकलने न पाय।"

कड़वा यथार्थ वास्तविक हीरो फिल्मों, टीवी सीरियलों,वेब सीरीज़ व् सिनेमा हॉल की स्क्रीन पर नहीं पाए जाते...

कम्प्यूटरऔर रोबोट

 #कम्प्यूटरऔर रोबोट

क्या आप कल्पना कर सकते है, की 1000 वर्ष पहले भी कम्प्यूटर और रोबोट था ?? 2000 वर्ष पहले भी था, और 5000 वर्ष पहले भी ...

#हिन्दू शिरोमणि राजा महाराज भोजपरमार ने जीवन भर युद्ध किये, भारत की रक्षा की, लेकिन आज में #महाराजभोज के युद्धों की चर्चा नही करूँगा, मैं आपको परिचित करवाना चाहता हूं, वैज्ञानिक महाराज भोज से -- जिन्होंने वह सब आज से एक हजार साल पहले ही सोचा था, जो विज्ञान आज सोच रहा है -- कर रहा है -

▪️वर्तमान रोबोट के आविष्कारक महाराज भोज ही है -

मुझे पता है, अल्पबुद्धि के लोग इसबात पर बहस करेंगे लेकिन आपको पता होना चाहिए, सबसे आधुनिक आविष्कार रोबोट की कल्पना ओर निर्माण तो आज से 2000 साल पहले ही हो गया था, यूनानी देवता हिफेस्टास के यांत्रिक दास , नोरसे कथाओं में मिट्टी के दैत्य , यहूदियों में गोलेम ओर पिगमेलियन की मूर्तियां जो जीवित हो गयी , यूनानी गणितज्ञ के तेरेनतम भी एक भाप से चलने वाले चिड़िया की कल्पना, एलेक्जेंड्रिया के हीरो ( 10 ईस्वी में)  द्वारा निर्मित यंत्र, जो पानी के भाप से चलाया गया, 1088 ईस्वी में सु सांग नाम के एक चीनी ने घण्टाघर बनाया था, जिसमे एक यांत्रिक मूर्ति हर घण्टे घड़ी का घण्टा बजाने का काम करती थी ।

यांत्रिक मानव या मशीन या रोबॉट बनाना तो पौराणिक विधर्मियो के लिए भी साधारण काम था, लेकिन जो भारत के महाराज भोज परमार ने जो सोचा था, ओर समय मिल पाता तो शायद वह कर भी देते, वह इनसे कहीं ज़्यादा उच्चकोटि का आविष्कार होता -- या शायद वह आविष्कार हो भी चुका था , लेकिन उसका प्रचार नही हो पाया, क्यो की उस समय भारत मुस्लिम आक्रमणों से त्रस्त था ।

महाराज भोज युद्ध यंत्र मानव तक कि सोच चुके थे, जो आजतक विकसित नही हुआ है - कुछ वर्षों पहले विदेशियो ने वह सोचा मात्र है - महाराज भोज अपनी पुस्तक समरांगण सूत्र में लिखते है 

" अथ दासादि परिजनवर्गेर्विना तत्कृत्याना सर्वेषां यथावन्निर्वहणाय कल्पितस्य स्त्रीपुरुषप्रतिमायंत्र घटना"

अगर स्त्री घर मे अकेली हो, ओर उसके परिजन बाहर गए तो, तो मानव द्वारा निर्मित यंत्र उसकी रक्षा करें ।।

दृगग्रीवातलहस्तप्रकोष्ठबाहूरुहस्तशाखादि।

सच्छिद्र वपुरखिल तत्सन्धिषु खंडशो घटयेत्।। 

-समरांगण सूत्रधार ३१/१०१

अर्थात- ऐसे यंत्र मानव का निर्माण करे आँख, गर्दन तल-हस्त, प्रकोष्ठ, बाह, उरु, हस्त-शाखा अर्थात उंगलिया भी हो। इस प्रकार की देहयष्टि में यंत्र मानव को पर देहान्तर्गत आवश्यक छिद्रों एवं अंगो की संधियों और विभिन्न खेलों की भी पढ़ाई करनी चाहिए। 

शिलिष्ट कीलकविधिना दारुमय सृष्टचर्मणा गुप्तं।

पुंसोऽथवा युवत्या रूपं कृत्वातिरमणीयम्

रन्ध्रगते: प्रत्यंग विधिना नाराचसगते: सूत्रे।।

समरांगण सूत्रधार ३१/१०२

अर्थात- अंगो के संयोजन में प्रयुक्त कीले को बहुत ही चिकनाई वाला बनाये और सविधि लगाये, यह रचना काष्ठमय होगी किन्तु उस पर चमडा मढ़ कर नर-नारी मय रूप दिया जायेगा। यह रूप अतीव रमणीय करना चाहिए। इस काया निर्माण के बाद उसके उसके रन्धो में जाने वाली शलाकाओ को सूत्रत: संयोजित किया जाना चाहिए। 

ग्रीवाचलनप्रसरणविकुज्चनादीनि विदधाति।

करग्रहणाताम्बुलप्रदानजलसेचनप्रणामादि।। 

- समरांगण सूत्रधार ३१/१०३

अर्थात- ऐसे विधान पूर्वक बनाया गया यंत्र मानव ग्रीवा को चलाता है, हाथो को फैलता समेटता है अर्थात ऐसे विचित्र कौतुहल करता है, वो यही नहीं ताम्बूल की मनुहार करा देता है, जल की सिचाई करता है और नमस्कार भी करता है।

आदर्श प्रतिलेखन वीणावाद्यादि च करोति।

एवमन्यपि चेद्दशमेतत कर्म विस्मयविधायि विधत्ते।।

जृम्भितेन विधिना निजबुद्धेः कृष्टमुक्तगुणचक्रवशेन।

समरांगण सूत्रधार ३१/१०४ -१०५

अर्थात- वह यंत्र मानव आने वालो को शीशा दिखाता है, वीणा आदि वाद्य बजाता है। ये सारे ही कार्य यंत्र ही पूरे करता है। इस प्रकार पूर्व में कहे हुए गुणों के वशीभूत होकर चक्रीय विधि के अनुसार संचालक की बुद्धि के अनुसार प्रदर्शन करने लगता है। 

▪️यांत्रिक दरबान का उलेख 

स्थानीय द्वारपाल यंत्र -

पुंसो दारुजमुर्ध्व रूपं कृत्वा निकेतनद्वारि।

तत्करयोजित दंड निरुणद्धि प्रविशता वर्त। 

-समरांगण सूत्रधार ३१/१०६

आर्थात- लकड़ी के बनाये यंत्र मानव के हाथ में एक दंड रखे उसे घर के बाहर खड़ा करे ताकि यह अनाधिकार चेष्टा कर घर में घुसने वालो को रोकेगा।

खड्गहस्तमथ मुद्ररहस्त कुंतहस्तमथवा यदि तत् स्यात 

तन्निहन्ति विशतो निशि चौहान द्वारा संवृत मुख प्रसभेन।

समरांगण सूत्रधार ३१/१०७

अर्थात- यदि उक्त काष्ठ रचित यंत्र मानव के हाथ में तलवार, मुद्गर, भाला प्रदान कर देंवे तो वह रात्रि में प्रवेश करने वाले चोरो और अपना मुख छुपा कर आने वाले घुसपेठियो को मार सकता है। 

▪️तरलयांत्रिकी (हाइड्रोलिक मशीन-Turbine)-

जलधारा के शक्ति उत्पादन में उपयोग के संदर्भ में ‘समरांगण सूत्रधार‘ ग्रंथ के ३१वें अध्याय में कहा है-

#बिजली(करंट)_बनाने का तरीका भी महाराज भोज ने ही बताया ।।

धारा च जलभारश्च पयसो भ्रमणं तथा यथोच्छ्रायो यथाधिक्यं यथा नीरंध्रतापि च।

एवमादीनि भूजस्य जलजानि प्रचक्षते॥ 

अर्थात- बहती हुई जलधारा का भार तथा वेग का शक्ति उत्पादन हेतु हाइड्रोलिक मशीन में उपयोग किया जाता है। जलधारा वस्तु को घुमाती है और ऊंचाई से धारा गिरे तो उसका प्रभाव बहुत होता है और उसके भार व वेग के अनुपात में धूमती है। इससे शक्ति उत्पन्न होती है।

संगृहीतश्च दत्तश्च पूरित: प्रतनोदित:। 

मरुद्‌ बीजत्वमायाति यंत्रेषु जलजन्मसु॥ 

(#समरांगण-३१)

अर्थात- पानी को संग्रहित किया जाए, उसे प्रभावित और पुन: क्रिया हेतु उपयोग किया जाए, यह मार्ग है जिससे बल का शक्ति के रूप में उपयोग किया जाता है। 

ओर महाराज भोज ने यह सब कल्पना मात्र नही की है, बल्कि इन्ही अध्यायों में इन रोबोट को बनाने  का सूत्र तक दिया है ।। इसके अलावा कम्प्यूटर की कल्पना भी महाराज भोज ने ही कि थी, मणिप्रबंधनम में उन्होंने कम्प्यूटर बनाने के सूत्र भी दिए है - उसकी चर्चा फिर कभी ....

विज्ञान पर इसी तरह #अगत्स्य_सहिंता आदि कई वैदिक ग्रंथ आज भी आसानी से उपलब्ध है बस कमी है तो हम सभी का अध्ययन का ......

वामपंथी इतिहास सदैव ही हमे घृणित बनाने हेतु प्रयासरत रही है आप सभी जानते है तो क्यों न आप सभी स्वयं संग्रहित प्राचीन लोक कथाएं और लोक गान का निरीक्षण करें और सत्यता उजागर करे ।

जय हो भारत भूमि 

Friday 22 January 2021

Fathers Of the Indian Civilization

 ’Father Of The Nation’ they taught you. But the True Fathers Of the Indian Civilization never appeared in our syllabus ....👇🏼


1. Father of Astronomy: Aryabhatta ; work - Aryabhattiyam;


2. Father of Astrology: Varahamihira , works; Panchasiddhantika, Bruhat Hora Shastra; 


3. Fathers of Surgery: Charaka and Sushruta , works : Samhitas;


4. Father of Anatomy: Patanjali , work: Yogasutra; 


5. Father of Yoga : Patanjali , work : Yogasutra; 


6. Father of Economics: Chanakya , work: Arthashshtra;


7. Father of Atomic theory: Rishi Kanada , Work : Kanada sutras; 


8. Father of Architecture : Vishwakarma;


9. Father of Aero Dynamics: Mayasura , work : Vastu Darpana; 


10. Father of Medicine: Dhanvanthri , first propounded Ayurveda; 


11. Father of Grammar: Panini , work: Vyakarana Deepika; 


12. Father of Natyashastra : Bharatamuni , work : Natyashastra;


13. Father of Kavya (literature) : Krishna Dwaipayana (VedaVyasa) works ; Mahabharata , Ashtaadasha Puranas; 


14. Father of Playwriting : Kalidasa , works : Meghadhootam , Raghuvamsham , Kumara Sambhava etc etc;


15. Father of Ganita: Bhaskara II , works : Lilavati;


16. Father of Warfare and Weaponry: Parashurama, works: Kalaripayatu, Sulba Sutras;


17. Father of story writing: Vishnu Sharma, works: Panchatantra;


18. Father of Politics: Chanakya: works: Arthashashtra, Nitishashtra;


19. Father of Sexual Anatomy: Vatsyana, work: Kamasutra;


20. Father of Philosophy: Sri Krishna, work: Sribhagavadgeeta;


21. Father of Advaitha: Shankara, works: commentaries (Bhashyas), Panchadasi, Vivekachudamani;

 

22. Father of Alchemy: Nagarjuna, work: Pragnaparamita Sutras.


The above list is just the tip of an iceberg. Let us take pride in above.. 

कौन सी तारीख

 1000 वर्ष पूर्व और 1000 वर्ष बाद कौन सी तारीख को ,  कितने बज कर कितने बजे तक ( घड़ी , पल , विपल )  कैसा सूर्यग्रहण या चन्द्र ग्रहण लगेगा या होगा , यह हमारा ज्योतिष विज्ञान बिना किसी अरबों खरबों का संयत्र उपयोग में लाये हुए बता देता है ! 

क्या कभी नोटिस किया है आपने ????

इसका अर्थ क्या है ??? 

इसका अर्थ यह है कि हमारे ऋषि मुनियों , वेदज्ञ , सनातन धर्म में पहले से यह पता था कि चन्द्रमा , पृथ्वी , सूर्य इत्यादि का व्यास ( Diameter ) क्या है ? उनकी घूर्णन गति क्या है ??  ( Velocity ऑफ़ Rotation ) क्या है ?

उनकी revolution velocity और time क्या है ?

पृथ्वी से सूर्य की दूरी , सूर्य से चन्द्र की दूरी , चन्द्र की पृथ्वी से दूरी कितनी है ?? 

इन सबका specific gravity , velocity , magnitude , circumference , diameter , radius , specific velocity , gravitational energy , pull कितना है ??

इतनी सटीक गणना होती है कि एक बार NASA के scientist ग़लती कर सकते हैं seconds की लेकिन ज्योतिष विज्ञान नहीं ! 

वो तो बस हम लोगों को हमारे ऋषि मुनियों ने juice निकाल कर दे दिया है कि पियो , छिलके से मतलब मत रखो ! 

बस एक formula तैयार करके दे दिया है जिसमें ज्योतिषी बस values डालते हैं और उत्तर सामने होता है ! 

अब स्वयं सोचिये , science के विद्यार्थी भी सोचें कि दो planets के बीच कि दूरी नापने के लिए जो parallax या pythagorus theorem का use होता है , इसका मतलब वह पहले से ही ज्ञात था ! 

और हम लोग KEPLERS ( A western scientist )  को इन सबका दाता मानते हैं ! 

तो ऐसे ही गुरुत्वाकर्षण के सारे नियम भी हमें पहले से ही पता होंगे तभी तो , हम पृथ्वी , सूर्य , चन्द्रमा इत्यादि के अवयवों को जान पाए ! 

अरे चन्द्रमा ही क्या कोई भी ग्रह नक्षत्र ले लीजिये , सबमें आपको proved science मिलेगी ! 

शनि ग्रह के बारे में बात करते हैं ! शनि की साढ़े साती सबको पता होगी और अढैय्या भी !

यह क्या है ??? कभी अन्दर तक खोज करने की कोशिश की ??? 

नहीं ! क्योंकि हम इन सबको बकवास मानते हैं ! 

चलिए मैं ले चलता हूँ अन्दर तक ! 

According to NASA , Modern science , शनि ग्रह ( Saturn ) सूर्य का चक्कर लगाने में लगभग १०,७५९ दिन, ५ घंटे, १६ मिनट, ३२.२ सैकिण्ड लगाता है ! 

यही हमारे शास्त्रों में ( सूर्य सिद्धांत और सिद्धांत शिरोमणि ) में यह है १०,७६५ दिन, १८ घंटे, ३३ मिनट, १३.६ सैकिण्ड और १०,७६५ दिन, १९ घंटे, ३३ मिनट, ५६.५ सैकिण्ड ! 

मतलब 29.5 Years का समय लेता है यह सूर्य के चक्कर लगाने में ! अगर पृथ्वी के अपेक्षाकृत देखा जाय तो यह साढ़े सात वर्ष लेता है पृथ्वी के पास से गुजरने में ! और ऐसे कई बार होता है जब पृथ्वी के revolution orbit से शनि ग्रह का orbit आसपास होता है ! क्योंकि यह ग्रह बहुत धीरे अपना revolution पूरा करता है और वहीँ पृथ्वी उसकी अपेक्षाकृत बहुत तेजी से सूर्य का चक्कर काटती है ! 

शनि के सात वलय ( Rings ) होते हैं जो एक एक कर अपना प्रभाव दिखाते हैं ! 15 चन्द्रमा हैं इस ग्रह के , जिसका प्रभाव 2.5 + 2.5 + 2.5 = 7.5 के अन्तराल पर अपना प्रभाव पृथ्वी के रहने वाले जीवों पर दिखाते हैं ! 

अब दिमाग लगाईये कि बिना किसी astronomical apparatus या संयंत्र के उन्होंने यह सब कैसे खोजा होगा ???

हम नहीं जानते तो इसीलिए इस प्राचीन विद्या को बेकार , फ़ालतू                  बकवास बता देते हैं और कहते हैं कि वेद इत्यादि सब जंगली लोगों के ग्रन्थ हैं ! 

मेहरावली स्थान का नाम सबने सुना होगा ! गुडगाँव के पास ही है जिसको आप लोग क़ुतुब मीनार के नाम से जानते हैं ! 

यह वाराहमिहिर की Observatory थी ! जिसे हम जानते हैं कि यह क़ुतुब मीनार है , वह वाराहमिहिर की Observatory थी जिस पर चढ़कर ग्रह नक्षत्रों इत्यादि का अध्ययन किया जाता था ! लेकिन हमारी गुलामी मानसिकता ने उसे क़ुतुब मीनार बना दिया ! इतना भी दिमाग में नहीं आया कि उस जगह लौह स्तम्भ क्या कर रहा है ? देवी देवताओं कि मूर्तियाँ क्या कर रही हैं ? जंतर मंतर जैसा structure वहाँ क्या कर रहा है ?? 

बस जिसने जो बता दिया उसी में हम खुश हैं ! 

पता नहीं हम लोगों को अपने ऊपर गर्व , या अपनी सांस्कृतिक विरासत कब गर्व आएगा ?? 

खैर मुद्दे पर आते हैं ! 

तो जितने भी ग्रह नक्षत्र हमारे वेदों शास्त्रों में वर्णित हैं , पंचांग में वर्णित हैं , हमें सबके सटीक सटीक उनके विषय में अब पता था।

इसीलिए अब भी समय है अपने शास्त्रों पर गर्व करना सीखिए , उन पर विश्वास करन सीखिए ! 

✍🏻श्वेताभ पाठक

महान् ज्योतिषाचार्य — वराहमिहिर


वराहमिहिर का जन्म पाँचवीं शताब्दी के अन्त में लगभग 556 विक्रमी संवत् में तदनुसार 499 ई. सन् में हुआ था। इनका स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) से 20 किलोमीटर दूर कायथा (कायित्थका) नामक स्थान पर हुआ था।


इनके पिता का नाम आदित्य दास और माता का नाम सत्यवती था। इनके माता-पिता सूर्योपासक थे।


वराहमिहिर ने कायित्थका में एक गुरुकुल की स्थापना भी की थी।


वराहमिहिर ने 6 ग्रन्थों की रचना की थीः—

(1.) पञ्चसिद्धान्तिका (सिद्धान्त-ग्रन्थ),

(2.) बृहज्जातक (जन्मकुण्डली विषयक),

(3.) बृहद्यात्रा,

(4.) योगयात्रा (राजाओं की यात्रा में शकुन) ,

(5.) विवाह पटल ( मुहूर्त-विषयक),

(6.) बृहत् संहिता (सिद्धान्त तथा फलित)।


इनमें से पञ्चसिद्धान्तिका और बृहद् संहिता सर्वाधिक प्रसिद्ध है। बृहत् संहिता में 106 अध्याय हैं। इस कारण यह विशाल ग्रन्थ है। इसमें सूर्य चन्द्र, तथा अन्य ग्रहों की गतियों एवं ग्रहण आदि का पृथिवी तथा मानव पर प्रभाव, वर्षफल (गोचर), ऋतु के लक्षण, कृषि-उत्पादन, वस्तुओं के मूल्य, वास्तुविद्या में ज्योतिष् का महत्त्व इत्यादि विविध विषय संगृहीत है। सिद्धान्त ज्योतिष् और फलित ज्योतिष् का यह संयुक्त ग्रन्थ है। इसमें भारतीय भूगोल का भी निरूपण किया गया है। इस ग्रन्थ पर भट्टोत्पल की टीका मिलती है। उसने इस पर 966 ई. में अपनी टीका लिखी थी।


पञ्चसिद्धान्तिका में उन्होंने पाँच सिद्धान्तकों का वर्णन किया हैः—-

(1.) पौलिश,

(2.) रोमक,

(3.) वशिष्ठ,

(4.) सौर,

(5.) पितामह।


वराहमिहिर एक महान् ज्योतिषाचार्य थे। वे एक खगोल विज्ञानी भी थे। पञ्चसिद्धान्तिका के प्रथम खण्ड में उन्होंने खगोल विज्ञान पर विस्तार से चर्चा की है। चतुर्थ अध्याय में उन्हों त्रिकोणमिति से सम्बन्धित विषय पर विस्तृत चर्चा की है।


वराहमिहिर ने 24 ज्या मान (R sin A value) वाली ज्या सारणी (sine Table) दी है।


अपने बृहत् संहिता ग्रन्थ में संचय ज्ञात करने के लिए उन्होंने एक पद्धति विकसित की है, जिसे “लोष्ठ-प्रस्तार” कहा जाता है। यह सारणी पास्कल त्रिकोण से मिलती जुलती है।


सुगन्धित द्रव्य तैयार करने के लिए वराहमिहिर ने 4 गुणा 4 पेंडियागोनल जादुई वर्ग ( Pandiagonal Magic Square) का उपयोग किया है।


वराहमिहिर ने इसके अतिरिक्त नक्षत्र विद्या, वनस्पति विज्ञान, भूगोल शास्त्र, प्राणीशास्त्र और कृषि विज्ञान पर भी चर्चा की है।


इन ग्रन्थों में हमें प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं अनुसन्धान वृत्ति का ज्ञान प्राप्त होता है।


वराहमिहिर की बहुमुखी प्रतिभा के कारण उनका स्थान विशिष्ट है।


उनका निधन लगभग 644 विक्रमी संवत् अर्थात् 587 ई. सन् में हुआ था।


-- कोन है पुराना --

न्यूटन (1642-1726)

या 

वराहमिहिर ( 57 BC ) रचित "पञ्चसिद्धान्तिका"


* वराहमिहिर के वैज्ञानिक विचार तथा योगदान -

बराहमिहिर वेदों के ज्ञाता थे मगर वह अलौकिक में आंखे बंद करके विश्वास नहीं करते थे। उनकी भावना और मनोवृत्ति एक वैज्ञानिक की थी। अपने पूर्ववर्ती वैज्ञानिक आर्यभट्ट की तरह उन्होंने भी कहा कि पृथ्वी गोल है। विज्ञान के इतिहास में वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कहा कि कोई शक्ति ऐसी है जो चीजों को जमीन के साथ चिपकाये रखती है। आज इसी शक्ति को गुरुत्वाकर्षण कहते है। 

वराहमिहिर ने पर्यावरण विज्ञान (इकालोजी), जल विज्ञान (हाइड्रोलोजी), भूविज्ञान (जिआलोजी) के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। उनका कहना था कि पौधे और दीमक जमीन के नीचे के पानी को इंगित करते हैं। आज वैज्ञानिक जगत द्वारा उस पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने लिखा भी बहुत था। अपने विशद ज्ञान और सरस प्रस्तुति के कारण उन्होंने खगोल जैसे शुष्क विषयों को भी रोचक बना दिया है जिससे उन्हें बहुत ख्याति मिली। उनकी पुस्तक पंचसिद्धान्तिका (पांच सिद्धांत), बृहत्संहिता, बृहज्जात्क (ज्योतिष) ने उन्हें फलित ज्योतिष में वही स्थान दिलाया है जो राजनीति दर्शन में कौटिल्य का, व्याकरण में पाणिनि का और विधान में मनु का है।

#BharatRatanVarahmihir #IndianGemVarahmihir.

भोजन के प्रकार

 भोजन के प्रकार


#भीष्म पितामह ने   गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन करने के लिए  बताया था।

 

👉🏿1) #पहला भोजन- जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन की थाली नाले में पड़े कीचड़ के समान होती है।


👉🏿2) #दूसरा भोजन- जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया वह भोजन की थाली भिष्टा के समान होता है।


👉🏿3) #तीसरे प्रकार का भोजन -जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह दरिद्रता के समान होता है।


👉🏿4)#चौथे नंबर का भोजन -अगर पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है।


#विषेश सूचना --

 और सुन अर्जुन-  बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में ,, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ,क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है ।इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें। क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।


 स्नान कब ओर केसे करे घर की समृद्धि बढाना हमारे हाथमे है

सुबह के स्नान को धर्म शास्त्र में चार उपनाम दिए है।


1  मुनि स्नान।

जो सुबह 4 से 5 के बिच किया जाता है।

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2  देव स्नान।

जो सुबह 5 से 6 के बिच किया जाता है।

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3  मानव स्नान।

जो सुबह 6 से 8 के बिच किया जाता है।

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4  राक्षसी स्नान।

जो सुबह 8 के बाद किया जाता है। 


▶️मुनि स्नान सर्वोत्तम है।

▶️देव स्नान उत्तम है।

▶️मानव स्नान समान्य है।

▶️राक्षसी स्नान धर्म में निषेध है।

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किसी भी मानव को 8 बजे के बाद स्नान नही करना चाहिए।

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मुनि स्नान .......

👉🏻घर में सुख ,शांति ,समृद्धि, विध्या , बल , आरोग्य , चेतना , प्रदान करता है।

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देव स्नान ......

👉🏻 आप के जीवन में यश , किर्ती , धन वैभव,सुख ,शान्ति, संतोष , प्रदान करता है।

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मानव स्नान.....

👉🏻काम में सफलता ,भाग्य ,अच्छे कर्मो की सूझ ,परिवार में एकता , मंगल मय , प्रदान करता है।

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राक्षसी स्नान.....

👉🏻 दरिद्रता , हानि , कलेश ,धन हानि , परेशानी, प्रदान करता है ।

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किसी भी मनुष्य को 8 के बाद स्नान नही करना चाहिए।

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पुराने जमाने में इसी लिए सभी सूरज निकलने से पहले स्नान करते थे।


खास कर जो घर की स्त्री होती थी। चाहे वो स्त्री माँ के रूप में हो,पत्नी के रूप में हो,बेहन के रूप में हो।

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घर के बडे बुजुर्ग यही समझाते सूरज के निकलने से पहले ही स्नान हो जाना चाहिए।

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ऐसा करने से धन ,वैभव लक्ष्मी, आप के घर में सदैव वास करती है।

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उस समय...... एक मात्र व्यक्ति की कमाई से पूरा हरा भरा पारिवार पल जाता था , और आज मात्र पारिवार में चार सदस्य भी कमाते है तो भी पूरा नही होता।

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उस की वजह हम खुद ही है । पुराने नियमो को तोड़ कर अपनी सुख सुविधा के लिए नए नियम बनाए है।

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प्रकृति ......का नियम है, जो भी उस के नियमो का पालन नही करता ,उस का दुष्टपरिणाम सब को मिलता है।

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इसलिए अपने जीवन में कुछ नियमो को अपनाये । ओर उन का पालन भी करे।

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आप का भला हो ,आपके अपनों का भला हो।

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मनुष्य अवतार बार बार नही मिलता।

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अपने जीवन को सुखमय बनाये।


जीवन जीने के कुछ जरूरी नियम बनाये।

☝🏼 याद रखियेगा ! 👇🏽

 संस्कार दिये बिना सुविधायें देना, पतन का कारण है।

सुविधाएं अगर आप ने बच्चों को नहीं दिए तो हो सकता है वह थोड़ी देर के लिए रोए। 

पर संस्कार नहीं दिए तो वे जिंदगी भर रोएंगे।

ऊपर जाने पर एक सवाल ये भी पूँछा जायेगा कि अपनी अँगुलियों के नाम बताओ ।

जवाब:-

अपने हाथ की छोटी उँगली से शुरू करें :-

(1)जल

(2) पथ्वी

(3)आकाश

(4)वायू

(5) अग्नि

ये वो बातें हैं जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगी ।


5 जगह हँसना करोड़ो पाप के बराबर है

1. श्मशान में

2. अर्थी के पीछे

3. शौक में

4. मन्दिर में

5. कथा में


सिर्फ 1 बार भेजो बहुत लोग इन पापो से बचेंगे ।।


अकेले हो?

परमात्मा को याद करो ।


परेशान हो?

ग्रँथ पढ़ो ।


उदास हो?

कथाए पढो ।


टेन्शन मे हो?

भगवत गीता पढो ।


फ्री हो?

अच्छी चीजे फोरवार्ड करो

हे परमात्मा हम पर और समस्त प्राणियो पर कृपा करो......


सूचना

क्या आप जानते हैं ?

हिन्दू ग्रंथ रामायण, गीता, आदि को सुनने,पढ़ने से कैन्सर नहीं होता है बल्कि कैन्सर अगर हो तो वो भी खत्म हो जाता है।


व्रत,उपवास करने से तेज़ बढ़ता है,सर दर्द और बाल गिरने से बचाव होता है ।

आरती----के दौरान ताली बजाने से

दिल मजबूत होता है ।


श्रीमद भगवत गीता पुराण और रामायण ।

.

''कैन्सर"

एक खतरनाक बीमारी है...

बहुत से लोग इसको खुद दावत देते हैं ...

बहुत मामूली इलाज करके इस

बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है ...


अक्सर लोग खाना खाने के बाद "पानी" पी लेते है ...

खाना खाने के बाद "पानी" ख़ून में मौजूद "कैन्सर "का अणु बनाने वाले '''सैल्स'''को '''आक्सीजन''' पैदा करता है...


''हिन्दु ग्रंथो मे बताया गया है कि...


खाने से पहले'पानी 'पीना

अमृत"है...


खाने के बीच मे 'पानी ' पीना शरीर की

''पूजा'' है...


खाना खत्म होने से पहले 'पानी'

''पीना औषधि'' है...


खाने के बाद 'पानी' पीना"

बीमारीयो का घर है...


बेहतर है खाना खत्म होने के कुछ देर बाद 'पानी 'पीये...


रोज एक सेब

नो डाक्टर ।


रोज पांच बदाम,

नो कैन्सर ।


रोज एक निबु,

नो पेट बढना ।


रोज एक गिलास दूध,

नो बौना (कद का छोटा)।


रोज 12 गिलास पानी,

नो चेहेरे की समस्या ।


रोज चार काजू,

नो भूख ।


रोज मन्दिर जाओ,

नो टेन्शन ।


रोज कथा सुनो 

मन को शान्ति मिलेगी ।।


"चेहरे के लिए ताजा पानी"।


"मन के लिए गीता की बाते"।


"सेहत के लिए योग"।


और खुश रहने के लिए परमात्मा को याद किया करो ।


अच्छी बाते फैलाना पुण्य है.किस्मत मे करोड़ो खुशियाँ लिख दी जाती हैं ।

जीवन के अंतिम दिनो मे इन्सान इक इक पुण्य के लिए तरसेगा ।


Wednesday 20 January 2021

Salim Khan

 Mr.Salim Khan (father of the actor Salmaan Khan) had said to a senior journalist in an interview:


"Does anyone remember who the chief minister of Maharashtra was during the Mumbai riots which were no less deadly than the Gujarat riots of 2002 ? 


Does anyone recall the name of the chief minister of U.P. during Malliana and Meerut riots or Bhagalpur or Jamshedpur riots under Congress regimes took place ? 


Do we hear names of earlier chief ministers of Gujarat under whose charge, hundreds of riots took place in post-Independence India ?


Does anyone remember who was in-charge of Delhi's security when the 1984 massacre of Sikhs took place in the capital of India ? 


How come Narendra Modi has been singled out as the Devil Incarnate as if he personally carried out all the killings during the riots of 2002 ?"


When one says Gujarat's agriculture growth is 10-11% since whole last decade, the other says 2002 Riots! 


When one says he made the Asia's biggest solar plant, the other says 2002 Riots! 


When one says Gujarat is the only state in the whole of India to provide 24*7 and 365 days electricity to almost all of its 18,000 villages, the other says 2002 Riots! 


When one says the world bank's statement of 2011 said Gujarat roads are equivalent to international standards, the other says 2002 Riots!


When one says Gujarat is the first State in country to have "high speed wireless Broadband service in its all 18,000 villages," the other says 2002 Riots! 


When one says Forbes Magazine rated Ahmadabad as the fastest growing city in India and 3rd in the world, the other says 2002 Riots!


When one says Gujarat Tourism is growing faster than ever before, the other says 2002 Riots! 


When one says according to central govt's Labour Bureau's report, Gujarat has the lowest unemployment rate in country, the other says 2002 Riots! 


When Narendra Modi is being chosen as the best current Indian leader in almost all surveys polls again and again, the other says 2002 Riots!


When one says 2003-2013 are the only 10 straight years in Gujarat history which are totally riot-free, The other STILL says 2002 Riots!


But when we remind them about riots which occurred during Congress and in Communist Party rule : 

1947 Bengal (partition riots)...9000 - 10,000 (scores missing) dead ...CONGRESS RULE. 


1967 Ranchi ...200 DEAD...CONGRESS RULE. 


1969 Ahmedabad...512 DEAD...CONGRESS RULE. 


1970 Bhiwandi...80 DEAD ...CONGRESS RULE. 


1979 Jamshedpur...125 DEAD...CPIM RULE 

(COMMUNIST PARTY) 

1980 Moradabad...2,000 DEAD...CONGRESS RULE. 


1983 Nellie Assam ...5,000 DEAD...CONGRESS RULE. 


1984 anti-Sikh Delhi...2,733 DEAD ...CONGRESS RULE.


1984 Bhiwandi...146 DEAD ...CONGRESS RULE.


1985 Gujarat ...300 DEAD...CONGRESS RULE.

 

1986 Ahmedabad...59 DEAD...CONGRESS RULE.

 

1987 Meerut ...81 DEAD ...CONGRESS RULE.


1989 Bhagalpur...1,070 DEAD ...CONGRESS RULE.


1990 Hyderabad ...300 PLUS DEAD...CONGRESS RULE.


1992 Mumbai ...900 TO 2000 DEAD ...CONGRESS RULE.

  

1992 Surat ...175 DEAD...CONGRESS RULE.


They become totally deaf...because they have no answers. 


Congress is a Government of hypocrites.


The youth of India says: "We are NOT interested in 2002, we are interested in 2022".


Please do share this with others, if you feel that others should also know the truth.🙏


Now their narrative is 370 ,CAA, Shaheen Bagh and the latest is 'Farmers.'

  Just because  Modi is PM. 

हिंदी

 ये वो उर्दू के शब्द जो आप प्रतिदिन प्रयोग करते हैं, इन शब्दों को त्याग कर मातृभाषा का प्रयोग करें

       उर्दू                     हिंदी

01 ईमानदार       - निष्ठावान

02 इंतजार         - प्रतीक्षा

03 इत्तेफाक       - संयोग

04 सिर्फ            - केवल, मात्र

05 शहीद           - बलिदान

06 यकीन          - विश्वास, भरोसा

07 इस्तकबाल    - स्वागत

08 इस्तेमाल       - उपयोग, प्रयोग

09 किताब         - पुस्तक

10 मुल्क            - देश

11 कर्ज़             - ऋण

12 तारीफ़          - प्रशंसा

13 तारीख          - दिनांक, तिथि

14 इल्ज़ाम         - आरोप

15 गुनाह            - अपराध

16 शुक्रीया          - धन्यवाद, आभार

17 सलाम           - नमस्कार, प्रणाम

18 मशहूर           - प्रसिद्ध

19 अगर             - यदि

20 ऐतराज़          - आपत्ति

21 सियासत        - राजनीति

22 इंतकाम          - प्रतिशोध

23 इज्ज़त           - मान, प्रतिष्ठा

24 इलाका           - क्षेत्र

25 एहसान          - आभार, उपकार

26 अहसानफरामोश - कृतघ्न

27 मसला            - समस्या

28 इश्तेहार          - विज्ञापन

29 इम्तेहान          - परीक्षा

30 कुबूल             - स्वीकार

31 मजबूर            - विवश

32 मंजूरी             - स्वीकृति

33 इंतकाल          - मृत्यु, निधन 

34 बेइज्जती         - तिरस्कार

35 दस्तखत          - हस्ताक्षर

36 हैरानी              - आश्चर्य

37 कोशिश            - प्रयास, चेष्टा

38 किस्मत            - भाग्य

39 फै़सला             - निर्णय

40 हक                 - अधिकार

41 मुमकिन           - संभव

42 फर्ज़                - कर्तव्य

43 उम्र                  - आयु

44 साल                - वर्ष

45 शर्म                 - लज्जा

46 सवाल              - प्रश्न

47 जवाब              - उत्तर

48 जिम्मेदार          - उत्तरदायी

49 फतह               - विजय

50 धोखा               - छल

51 काबिल             - योग्य

52 करीब               - समीप, निकट

53 जिंदगी              - जीवन

54 हकीकत            - सत्य

55 झूठ                  - मिथ्या, असत्य

56 जल्दी                - शीघ्र

57 इनाम                - पुरस्कार

58 तोहफ़ा              - उपहार

59 इलाज               - उपचार

60 हुक्म                 - आदेश

61 शक                  - संदेह

62 ख्वाब                - स्वप्न

63 तब्दील              - परिवर्तित

64 कसूर                 - दोष

65 बेकसूर              - निर्दोष

66 कामयाब            - सफल

67 गुलाम                - दास

68 जन्नत                -स्वर्ग 

69 जहन्नुम             -नर्क

70 खौ़फ                -डर,भय

71 जश्न                  -उत्सव

72 मुबारक             -बधाई/शुभेच्छा

73 लिहाजा़            - इसलिए

74 निकाह             -विवाह/लग्न

75 आशिक            -प्रेमी 

76 माशुका             -प्रेमिका 

77 हकीम              -वैद्य

78 नवाब               -राजसाहब

79 रुह                  -आत्मा 

80 खु़दकुशी          -आत्महत्या 

81 इज़हार             -प्रकट , स्पष्ट

82 बादशाह           -राजा/महाराजा

83 ख़्वाहिश          -महत्वाकांक्षा, इच्छा, आकांशा

84 जिस्म             -शरीर/अंग

85 हैवान             -दैत्य/असुर

86 रहम              -दया

87 बेरहम            -निर्मम, निर्दयी

88 खा़रिज           -निरस्त

89 इस्तीफ़ा          -त्यागपत्र 

90 रोशनी            -प्रकाश 

91मसीहा             -देवदूत

92 पाक              -पवित्र

93 क़त्ल              -हत्या ,

94 कातिल           -हत्यारा,हन्ता

95 मुहैया             - उपलब्ध

96 फ़ीसदी           - प्रतिशत

97 कायल           - प्रशंसक

98 मुरीद             - भक्त

99 कींमत           - मूल्य (मुद्रा में)

100 वक्त            - समय

101 सुकून        - शाँति

102 आराम       - विश्राम

103 मशरूफ़    - व्यस्त

104 हसीन       - सुंदर, शोभित

105 कुदरत      - प्रकृति

106 करिश्मा    - चमत्कार

107 इजाद       - आविष्कार

108 ज़रूरत     - आवश्यकता

109 ज़रूर       - अवश्य

110 बेहद        - असीम, अत्यन्त

111 तहत       - अनुसार

112 दर्द   -  पीड़ा

इनके अतिरिक्त हम प्रतिदिन अनायास ही अनेक उर्दू शब्द प्रयोग में लेते हैं, कारण है ये बाॅलिवुड और मीडिया जो एक घिनौने षड़यंत्र के अनुसार हमारी मातृभाषा पर ग्रहण लगाते आ रहे हैं।

हिन्दी हमारी राजभाषा एवं मातृभाषा हैं इसका सम्मान करें, भाषा बचाईये, संस्कृति बचाईये।

अपर्णा पुरोहित

 ये है अपर्णा पुरोहित             

 भारत में अमेज़न प्राइम की कंटेंट हेड अपर्णा पुरोहित के खिलाफ भाजपा नेताओं ने आवाज़ उठाई है और कंपनी से उन्हें बरखास्त करने की माँग की है भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ स्क्रीनशॉट्स शेयर कर दावा किया कि वे वामपंथी झुकाव वाली हैं अपर्णा पुरोहित ने सद्गुरु जग्गी वासुदेव के खिलाफ भी पोस्ट शेयर किया था उसमें उन्हें ‘फ्रॉड’ बताया गया था

एक अन्य सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने CAA और NRC के खिलाफ चल रहे दुष्प्रचार अभियान का भी साथ दिया था और वरुण ग्रोवर की कविता हम कागज़ नहीं दिखाएँगे को आगे बढ़ाया था उन्होंने लिखा था कि वरुण ग्रोवर ने इन शब्दों को काफी अच्छे से पिरोया है CAA विरोधी आंदोलन के दौरान वामपंथी मीडिया की खबरों को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा था- यही है विकास का सच और मोदी सरकार पर कटाक्ष किया था

जामिया हिंसा मामले में भी उन्होंने हिंसा करने वाले कट्टर इस्लामी छात्रों का साथ दिया था भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने एक पत्र लिख कर ऑपइंडिया की खबर कंपनी के कंट्री हेड को भेजते हुए अमेज़न प्राइम पर चल रहे हिन्दू विरोधी कंटेंट्स को लेकर चिंता जताई थी इसमें उन्होंने लिखा था कि कैसे अपर्णा पुरोहित के अंतर्गत वीडियो प्लेटफॉर्म पर हिन्दू विरोधी कंटेंटस परोसे जा रहे हैं

इससे पहले पाताल लोक नामक एक सीरीज में जम कर हिन्दू विरोधी कंटेंट्स डाले गए थे उसमें भी देवी-देवताओं का अपमान मंदिर का अपमान और जातिवादी कंटेंट्स थे अपर्णा पुरोहित ही अमेज़न प्राइम की क्रिएटिव डेवलपमेंट टीम की हेड हैं साथ ही वो प्लेटफार्म की ओरिजिनल वेब टीम की इंचार्ज भी हैं अपर्णा पुरोहित जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं उनका कहना है कि वे 15 वर्षों से फ़िल्में बनाने के काम में हैं

एक फेसबुक पोस्ट में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम करते हुए उन्हें अपराधी की तरह दिखा चुकी हैं उन्होंने जेएनयू में हुई वामपंथी छात्रों की हिंसा के लिए पीएम मोदी और अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया था वो द वायर जैसे मीडिया पोर्टलों के लेख भी शेयर करती रहती हैं उन्होंने अरुंधति रॉय का वीडियो भी शेयर किया था वह स्वरा भास्कर जैसों का बचाव करते हुए भी नजर आई थीं उन्होंने CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान फेक न्यूज़ भी शेयर की थी

बता दें कि वेब सीरिज तांडव में हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाले दृश्यों तथा डायलॉग को लेकर मचे बवाल के बाद पूरे सनातनी हिन्दू गुस्से में है।

Wednesday 13 January 2021

पंडित भरत व्यास

 बेटे के वियोग में गीत बनाया , बन गया प्रेमियों का सबसे अमर गाना :- 


साल था 1957 । फ़िल्म "जनम जनम के फेरे" रिलीज हुई। यह म्यूजिकल हिट साबित हुई । इस फ़िल्म के एक गाने "जरा सामने तो आओ छलिये" ने तो जैसे उस दौर में तहलका मचा दिया।  यह गाना इतना सुपरहिट साबित हुआ कि उस साल की 'बिनाका गीत माला" का यह नम्बर 1 गीत बन गया।


इस गाने का अनोखा किस्सा है । इस गाने को लिखा था पंडित भरत व्यास ने । तो हुआ यों था कि पंडित भरत व्यास जी के एक बेटा था श्याम सुंदर व्यास ! श्याम सुंदर बहुत संवेदनशील था। एके दिन भरत जी से किसी बात पर नाराज़ होकर बेटा श्याम सुंदर घर छोड़ कर चला गया।


भरत जी ने उसे लाख ढूंढा। रेडियो और अख़बार में विज्ञापन दिया। गली गली दीवारों पर पोस्टर चिपकाए। धरती, आकाश और पाताल सब एक कर दिया।ज्योतिषियों आदि से पूछा।  मज़ारों, गुरद्वारे, चर्च और मंदिरों में मत्था टेका। लेकिन वो नही मिला। ज़मीन खा गई या आसमां निगल गया। आख़िर हो कहां पुत्र? तेरी सारी इच्छाएं और हसरतें सर आंखों पर। तू लौट तो आ। बहुत निराश हो गए भरत व्यास।


उस समय भरत व्यास जी कैरियर के बेहतरीन दौर से गुज़र रहे थे। ऐसे में बेटे के अचानक चले जाने से ज़िंदगी ठहर सी गई। किसी काम में मन नहीं लगता। निराशा से भरे ऐसे दौर में एक निर्माता भरत जी से मिलने आया और उन्हें अपनी फिल्म में गाने लिखने के लिए निवेदन किया। भरत जी ने पुत्र वियोग में उस निर्माता को अपने घर से निकल जाने को कह दिया ।


लेकिन उसी समय भरत जी की धर्मपत्नी वहां आ गई ।उन्होंने उस निर्माता से क्षमा मांगते हुए यह निवेदन किया कि वह अगले दिन सुबह पुनः भरत जी से मिलने आए ।निर्माता मान गए। इसके पश्चात उनकी धर्मपत्नी में भरत जी से यह निवेदन किया की पुत्र की याद में ही सही उन्हें इस फिल्म के गीत अवश्य लिखना चाहिए । ना मालूम क्या हुआ कि पंडित भरत व्यास ने अपनी धर्मपत्नी कि इस आग्रह को स्वीकार करते हुए गाने लिखना स्वीकार कर लिया ।


उन्होंने गीत लिखा - "ज़रा सामने तो छलिये, छुप-छुप छलने में क्या राज़ है, यूँ छुप न सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की यह आवाज़ है.… " । इसे 'जन्म जन्म के फेरे' (1957 ) फ़िल्म में शामिल किया गया। रफ़ी और लता जी ने इसे बड़ी तबियत से , दर्द भरे गले से गाया था। बहुत मशहूर हुआ यह गीत। लेकिन अफ़सोस कि बेटा फिर भी न लौटा। 


मगर व्यासजी ने हिम्मत नहीं हारी। फ़िल्म 'रानी रूपमती' (1959 ) में उन्होंने एक और दर्द भरा गीत लिखा - "आ लौट के आजा मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं, मेरा सूना पड़ा संगीत तुझे मेरे गीत बुलाते हैं.…"।  इस गीत में भी बहुत दर्द था, और कशिश थी। इस बार व्यास जी की दुआ काम कर गई। बेटा घर लौट आया। 


लेकिन आश्चर्य देखिये कि वियोग के यह गाने उस दौर के युवा प्रेमियों के सर चढ़कर बोलते थे ।यह पंडित व्यास जी की कलम का ही जादू था ।


पंडित भरत व्यास राजस्थान के चुरू इलाके से 1943 में पहले पूना आये और फिर बंबई। बहुत संघर्ष किया। बेशुमार सुपर हिट गीत लिखे। हिंदी सिनेमा को उनकी देन का कोई मुक़ाबला नहीं। एक से बढ़ कर एक बढ़िया गीत उनकी कलम से निकले।


आधा है चंद्रमा रात आधी.… तू छुपी है कहां मैं तपड़ता यहां…(नवरंग)…निर्बल की लड़ाई भगवान से, यह कहानी है दिए और तूफ़ान की.… (तूफ़ान और दिया).…सारंगा तेरी याद में (सारंगा)…तुम गगन के चंद्रमा हो मैं धरा की धूल हूं.… (सती सावित्री)…ज्योत से ज्योत जलाते चलो.…(संत ज्ञानेश्वर)…हरी भरी वसुंधरा पे नीला नीला यह गगन, यह कौन चित्रकार है.…(बूँद जो बन गई मोती)…ऐ मालिक तेरे बंदे हम.…सैयां झूठों का बड़ा सरताज़ निकला…(दो आंखें बारह हाथ)…दीप जल रहा मगर रोशनी कहां…(अंधेर नगरी चौपट राजा)…दिल का खिलौना हाय टूट गया.…कह दो कोई न करे यहां प्यार …तेरे सुर और मेरे गीत.…(गूँज उठी शहनाई)…क़ैद में है बुलबुल, सैय्याद मुस्कुराये…(बेदर्द ज़माना क्या जाने?) आदि। यह अमर नग्मे आज भी गुनगुनाए जाते हैं। गोल्डन इरा के शौकीनों के अल्बम इन गानों के बिना अधूरे हैं। 


व्यास जी का यह गीत - ऐ मालिक तेरे बंदे हम.…महाराष्ट्र के कई स्कूलों में सालों तक सुबह की प्रार्थना सभाओं का गीत बना रहा।पचास का दशक भरत व्यास के फ़िल्मी जीवन का सर्वश्रेष्ठ दौर था। 


आज यह सारी बातें इसलिए क्योंकि परसों यानी 6 जनवरी को भरत व्यासजी का जन्म दिवस था । पंडित भरत व्यास जी का जन्म 6 जनवरी, 1918 को बीकानेर में हुआ था। वे जाति से पुष्करना ब्राह्मण थे। वे मूल रूप से चूरू के थे।  बचपन से ही इनमें कवि प्रतिभा देखने लगी थी ।  मजबूत कद काठी के धनी भरत व्यास डूंगर कॉलेज बीकानेर में अध्ययन के दौरान वॉलीबॉल टीम के कप्तान भी रह चुके थे।


 नमन।।


भारत का सबसे बड़ा अमीर कौन?

भारत का सबसे बड़ा अमीर कौन? मुकेश अम्बानी या रतन टाटा? शरद पवार या चिदम्बरम? सोनिया गांधी या रॉबर्ट वाड्रा? 

अधिकतर लोग कहेंगे कि मुकेश अम्बानी भारत का सबसे बड़ा धनी है- सबसे अधिक रईस है. कुछ हद तक यह बात सही भी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुकेश अम्बानी की अधिकतर संपत्ति रिलायंस ग्रुप की अलग अलग कम्पनियों के शेयर के रूप में ही हैं.  अगर मुकेश अम्बानी अपनी पूरी शेयर होल्डिंग  बेचकर नकद के रूप में इकठ्ठा करना चाहे -तो इतनी बड़ी मात्रा में उन कम्पनियों के शेयर बिकने के कारण सभी शेयर 30-40-50 प्रतिशत तक लगातार गिरते चले जायेंगे, और वर्तमान में करीब 80 बिलियन डॉलर का मालिक कहलाता मुकेश भी केवल 25-30-35 बिलियन डॉलर से अधिक ( नकद में) का मालिक नहीं हो सकता.

अब सीधे आते हैं सर रॉबर्ट वाड्रा जी पर. 

Celebritynetworth वेबसाइट के अनुसार सर वाड्रा ने मैडम प्रियंका से शादी के बाद अगले कुछ ही वर्षों में लगभग 2.1 बिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिकाना हक पाया है. मजे की बात यह है कि सर वाड्रा की अधिकतर संपत्ति पहले से ही बहुत लाभ में चल रहे विभिन्न बडे व्यापारों में 10% से 30-40% तक की साझेदारी खरीदी है. यह 2.1 बिलियन डॉलर की संपत्ति का मालिकाना हक पाने के लिये सर वाड्रा ने कितने रुपये उन कम्पनियों के मालिकों को दिये या कितने रुपये पिछले वर्षों में इंकम टैक्स आदि के रूप में सरकार को दिये -यह तो किसी को नहीं पता, लेकिन इससे यह अवश्य पता चलता है कि केवल मैडम प्रियंका से शादी करने के बाद ही सर वाड्रा कुछ ही वर्षों में डॉलर में बिलियनेयर अवश्य बन गये.

मैं सोच नहीं पा रहा हूँ कि अगर सर वाड्रा केवल 10-15 वर्षों में खरबपति बन सकते हैं तो अनेक बार केन्द्र सरकार में गृहमंत्री, वित्तमंत्री जैसे अति महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके शरद पवार व पी चिदम्बरम कितने अमीर होंगे. शायद ये दोनों ही अलग अलग मुकेश अम्बानी से भी अधिक अमीर हो सकते हैं.

फिर सोचने लगता हूं कि सर वाड्रा अगर 2.1 बिलियन डॉलर के मालिक हैं तो स्वयं कांग्रेस अध्यक्षा मैडम सोनिया जी -जो 2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्ष तक देश की सुपर प्रधानमंत्री रही थीं -वह स्वयं कितनी अमीर होंगी. नेशनल हैराल्ड या इसी तरह की छोटी मोटी बातों की मैं चर्चा भी नहीं करना चाहता. पर निश्चित रूप से मैं मानता हूँ कि मैडम सोनिया गांधी ही इस देश की सबसे अमीर महिला हैं और अब समय आ गया है कि हम सभी भारतीय उनको इस बात के लिये पूरा सम्मान दें और हमारे स्कूलों में सभी पुस्तकों में देश के सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में मुकेश अम्बानी की जगह मैडम सोनिया गांधी का नाम ही होना चाहिए.

और दिल्ली में आंदोलन कर रहे लोग सोचते हैं कि अम्बानी अडानी उनकी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. अरे भोले भाले किसानों, तुम्हारी जमीनों पर अम्बानी अडानी कब्जा नहीं करने वाले, तुम्हारी जमीनों पर कब्जा करने वाले तो शरद पवार, पी चिदम्बरम, सर वाड्रा और मैडम सोनिया जैसे लोग हैं. पर दुर्भाग्य से तुम लोगों ने मोदी विरोध की काली पट्टी अपनी आंखों पर बांध रखी है-इसलिये तुम सच्चाई देखना ही नहीं चाहते हो.

मैं स्वयं किसान हूं, पर कृषि कानूनों का समर्थन करता हूँ, मैं इस किसान (??) आंदोलन का विरोध करता हूँ.

https://www.celebritynetworth.com/richest-businessmen/richest-billionaires/robert-vadra-net-worth/?amp=1

भारत में राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष

 भारत में राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष...


कांग्रेस - सोनिया का बेटा

शिवसेना - उद्धव ठाकरे का बेटा

NCP - पवार की बेटी

RJD - लालू का बेटा

SP - मुलायम का बेटा 

JDS - देवेगौड़ा का बेटा 

TMC - ममता का भतीजा 

BSP - मायावती का भतीजा

TRS - चंद्रशेखर राव का बेटा

TDP - चंद्रबाबू नायडू का बेटा

Akali Dal - बादल का बेटा

National Conf - फारुख अब्दुल्ला का बेटा

PDP - मुफ़्ती की बेटी

YSRCP -  राजशेखर रेड्डी का बेटा

BJD - बीजू पटनायक का बेटा

LJP - रामविलास पासवान का बेटा

JMM - शिबू सोरेन का बेटा

RLD - अजित सिंह का बेटा

JDS -  देवेगौड़ा का बेटा

INLD - चौटाला का बेटा

DMK - स्टालिन का बेटा

BJP - पता नहीं किसका बेटा,


आज भारत में यही पार्टी है , जिस में *परिवारवाद नहीं चलता ,,

 *लोकतंत्र चलता है , राजतंत्र नहीं चलता । 

Tuesday 12 January 2021

दिलीप आप्टे जी कi लेख

दिलीप आप्टे जी के एक आलेख से इस एंगल पर रोशनी पड़ी कि #किसानबिल के नए फार्म रिफॉर्म की जड़ क्या है और राजनेता इससे क्यों चिंतित हैं? इसे सही ढंग से समझने के लिए इस विश्लेषण को पढ़ें।

नई प्रणाली में, #कृषिउपज के व्यापारियों को #केंद्रीय_प्राधिकरण के साथ अपने PAN के साथ उन्हें पंजीकृत करना होगा।

प्रथम स्तर का लेनदेन जो (किसान और व्यापारी के बीच) जीएसटी प्रणाली के दायरे से बाहर है।

धीरे-धीरे, आगे कृषि व्यापार (हालांकि पंजीकृत व्यापारियों) को जीएसटी प्रणाली में लाया जाएगा। नतीजतन, कृषि उपज की बिक्री और आय सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।

GAME यहाँ से शुरू होगा। किसान तो हमेशा आयकर और जीएसटी प्रणाली से मुक्त रहेंगे। लेकिन जो ट्रेडर्स इन #एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को अप-स्ट्रीम बेचते हैं उन्हे जीएसटी और इनकम टैक्स के दायरे  में लाया जाएगा

इसे यहाँ समझने के लिए एक उदाहरण है। अगर #सुप्रियासुले और #चिदंबरम को अपने अंगूर और गोभी को व्यापारियों को क्रमशः 500 करोड़ रुपये में बेचना है, तो उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने #आईटीआर में जिस व्यापारी  को माल बेच उसके #PAN को उद्धृत करना होगा।

ट्रेडर को अप-स्ट्रीम में माल को बेचकर अपनी आय पर 500 करोड़ रुपये और #आयकर पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

कल्पना कीजिए कि यदि कोई अंगूर और कोई गोभी है ही नहीं  (सिर्फ भरष्टाचार का पैसा है)तो  स्वाभाविक रूप से, व्यापारी सुप्रिया सुले या चिदंबरम से जीएसटी और आयकर वसूल करेगा!

इसलिए, सभी सुले,सभी चिदंबरम,सभी भृष्ट नेताओं को, जो कमीशन एजेंट और दलाल हैं, उन्हें अपनी कृषि आय दिखाने के लिए अब एक बड़ी रकम का भुगतान इनकम टैक्स और GST के रूप में भुगतना होगा। ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है

ईमानदार किसान, जिनके पास वास्तव में कृषि उपज थी, वे इस दायरे  से मुक्त रहेंगे।

यही इस मामले कि #जड़ है। इसलिए सारे भिर्ष्टाचारी बिलबिला रहे हैं, यदि ये बिल रहा तो उनके भृष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।

पंजाब और महाराष्ट्र में कृषिगत भृष्टाचार सबसे ज्यादा है, साथ ही वाड्रा के साम्रज्य का बड़ा हिस्सा हरियाणा में है तो विरोध वहीं से आ रहा है!

यदि कल को अम्बानी अडानी इन किसानों से माल खरीदते भी हैं तो उन्हें उस खरीद पर सरकार को GST और टैक्स देना होगा जो अब तक टैक्स से बचा हुआ था।

अब आप समझ सकते हैं कि सारे #विपक्षी राजनेता #आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च कर रहे हैं।

अगर भारत से भरष्टाचार का चूल मूल खत्म करना है तो सही बिलों के पीछे छुपी #राष्ट्र_निर्माण की मंशा को समझना होगा और समर्थन करना होगा


भारत विरोधी गैंग

 चीन और पाकिस्तान के हमले के खिलाफ तैयार भारत की सेना की कमर को रेल, सड़क और संचार व्यवस्था ध्वस्त कर के पहले ही तोड़ देने की इस देशद्रोही साजिश को जानिए समझिए...

ध्यान से पढ़िए...

देश और दिल्ली से जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले सड़क व रेल मार्ग को तथाकथित किसान आंदोलन की आड़ में जाम कर के बैठे गुंडे कोई किसान नहीं बल्कि भारत विरोधी गैंग के गुंडे और दलाल हैं.

लेह लद्दाख कश्मीर में तैनात लाखों भारतीय सैनिकों की रसद, दवाइयां और उन तक गोला बारूद हथियार की सप्लाई पिछले एक महीने से रेल-सड़क मार्ग जाम कर के इन देशद्रोही गुंडों ने रोक रखी है.

सरकार फ़िलहाल हवाई जहाज से फौजियों तक यह सामान पहुंचा रही है. लेकिन यह व्यवस्था काम चलाऊ है. सीमा पर तैनात लाखों सैनिकों के लिए यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. लेकिन इन देशद्रोही गुंडों ने अब जियो के लगभग डेढ़ हजार मोबाइल टॉवर ध्वस्त कर दिए हैं और आगे करते जा रहे हैं. यह एक भयानक साजिश है जिसके तहत पाकिस्तान से लगी सीमा वाले पंजाब में संचार व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त किया जा रहा है. पंजाब की कांग्रेसी सरकार इसे खुला समर्थन कर रही है.

भारतीय सेना की रेल-सड़क सम्पर्क और संचार व्यवस्था को पूरी तरह काट कर चीन और पाकिस्तान की तरफ से होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में भारतीय सेना को पूरी तरह लाचार और लचर स्थिति में पहुंचा देने की भयानक तैयारी कर रहे हैं ये देशद्रोही गुंडे. क्योंकि नए कृषि कानून और किसान आंदोलन से भारतीय सेना के जवानों या जियो की मोबाइल फोन सर्विस का किसी भी प्रकार का कोई लेना-देना दूर दूर तक नहीं है.

कृपया ये सन्देश देश के हर नागरिक तक पहुंचाने में अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ्य झोंक दीजिए. वर्ना बहुत गम्भीर और भयानक परिणाम देश को भोगने पड़ेंगे.

इन देशद्रोही गुंडों को खुलकर अपना समर्थन और सहयोग दे रहे राजनीतिक गिरोहों के इस देशघाती चरित्र और चेहरे के खिलाफ जनता को खुलकर जागरूक करिए.

इन देशद्रोही गुंडों द्वारा मीडिया विशेषकर न्यूजचैनलों के साथ मिलकर किसानों के नाम पर बिछाए गए इस भारत विरोधी इमोशनल ब्लैकमेल के जाल को काटने में लगी हुई है. इसमें हमारा आपका योगदान भी अब बहुत जरूरी हो गया है.

किसानों का आदोलंन को राजनीतिक पार्टीयाओ के द्वारा उग्र बनाया जा रहा है।जिसमें मुख्य विरोधी घटक दल आम आदमी पार्टी,कांग्रेस,वामपंथी Communist, व कुछ किसान संगठन जो इन राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी है,शामिल है।किसानों का आंदोलन फार्म ला से भटकर अब देश विरोधी तत्वो द्वारा हाई जैक कर लिया गया है

इस आदोलंन को चलाने की धूरि पंजाब से है।हरियाणा,उत्तर प्रदेश के पश्चिम भाग व राजस्थान के कुछ किसान शामिल है।पहले किसान संगठनो की माँग सिर्फ फार्म ला को हटाने तक सीमित थी।लेकिन अब यह भारतीय उद्योगपतिओ खासकर अंबानी,अडानी व बाबा रामदेव के Product का बहिष्कार करने पर केंद्रित हो गयी हैं।ध्यान रहे भारत में चल रहे मुस्लिम उधोगपतियो व विदेशी कंपनियाँ जैसे नेसले,कोकाकोला जो पंजाब में चल रही है उनके सामान का बहिष्कार करने की कोई माँग नही की गयी हैं। जीयो के 1500 मोबाइल टावरो को किसानों के बीच छिपे अराजकता फैलाने वाले तत्वो ने भारी नुकसान पहुँचाया है।कारण समझो।जो Communist बिचारधारा के नेता जैसे सीताराम यचूरी व कांग्रेस के मोदी विरोधी तत्वो की चाल है कि भारतीय सामान का बहिष्कार करवाकर चीन का सामान भारत में बिकता रहे।चीन के साथ बारडर पर चल रही तनातनी के बीच ऐ Anti national elements चाईना की मदद से इस आंदोलन को धार दे रहे हैं।फार्म ला तो बहाना है इनका असली मकसद भारत को आर्थिक रूप से कंगाल करना हैं।कनाडा से भी वहाँ के पंजावियो द्वारा इस आंदोलन को चलाने के लिए फंडिग दी जा रही है।मोदी जी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत के कारण आज हमारे भारतीय उधोगपति भारत में ही सामान बना रहे हैं।जो पहले चीन व बाकी देशों से आता था।चीनी सामान का भारतीयों ने बहिष्कार कर दिया जिससे चाईना की आर्थिक खुशहाली की रीड की हड्डी टूट गयी हैं।इसीलिए चीन बोखलाया हुआ है।याद करे कैसे राहूल गाँधी 2008 में चीन से बयापारिक समझोता करके आऐ थे।व कयी बार चीन के राजदूत को मिलकर आऐ।जबकि वह केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी नही है।बल्कि हारी हुई कांग्रेस पार्टी का सिर्फ़ सांसद है।चीन से आयात बंद होने के बाद मोदी जी ने Vocal For Local का करोनाकाल में नारा दिया।उसका असर यह हुआ कि चीन से आने वाला सामान आज भारत में बन रहा है।लाखों लोगों को आज भारत में रोजगार मिल रहा हैं।देश का पैसा देश के काम आ रहा है।चीन से आयातित सामान जैसे Ventilators, PP Kits, Sanitizer, Face Mask व कच्चा माल आदि सभी सामान भारत में तैयार हो रहा है।भारत के इस इतिहासिक कदम से चीन की आर्थिक आय धराशायी हो गयी हैं।इसीलिए जो Communist व बामपंथी थे व जिनकी चीन आर्थिक रूप से मदद करता था तो ऐसे Anti national elements की राजनीतिक दुकान भी बंद हो गयी।इसीलिए ऐ देश विरोधी ताकते मोदी जी का विरोध कर रही है।जनता को आगे आकर मोदी जी का समर्थन करना चाहिए।याद करो 2014 से पहले देश में बड़े बड़े घोटाले हुए।देश का पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम भी भारी आर्थिक घोटाले व भ्रष्टाचार में सम्मिलित होने के कारण 105 दिन तिहाड जैल में रहा व अभी जमानत पर है।पंजाब में भी खालीसतान परसती ताकते पाकिस्तान की सह पर इस आंदोलन को हर प्रकार की आर्थिक मदद दे रही है।असली किसान तो खैतो में काम कर रहा है।अगर सही किसान आदोलंन में होते तो आज मार्केट में फल व शबजीयो का अकाल पड जाता।खैर अफवाहो से सावधान रहे।व झूठी अफवाहो को सुनकर भ्रमित न हो।अपना जनाधार खिसकता देखकर व अगले साल राज्यो में होने वाले चुनावो को देखकर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के चलाऐ जा रहे  कुचक्रो से बचे।नुकसान तो आम जनता का हो रहा है।मोदी जी का समर्थन करे।भारत की एकता बनाऐ रखे।तभी हमारा देश विकाशसील देशों की पंक्ति में खड़ा होगा।