Sunday 28 February 2021

Scientific Jokes:

 Hi Level Scientific Jokes:

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Did you hear oxygen and magnesium dating together?

OMg!! 

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What if Oxygen went on a date with Potassium?

Its OK.. 

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*Atom 1: I just lost an electron. *

Atom 2:how u feel? 

Atom 1: positive

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Q:What do you get when you put a Cobalt & 2 iron atoms in mixer

CoFFee 

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What do you get after reaction of a Barium atom with  two sodium atoms... 

BaNaNa 

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And finally ....


Can't end without a movie dialogue 


Electron to neutron : mere pass charge hai , spin hai, magnetic field hai, reactivity hai ... Tumhare pass kya hai


Neutron : mere pass..... 

MASS hai.


Reminding you of Chemistry with a smile.*

Have a Nice Laugh. 


1. Advertisement In A Long Island Shop:

Guitar, for sale........ Cheap....... . .......no strings attached.


2. Ad In Hospital Waiting Room: 

Smoking Helps You Lose Weight ... One Lung At A Time!         


3. On a bulletin board: 

Success Is Relative. The more The Success, The more The Relatives.


4. When I Read About The Evils Of Drinking...

I Gave Up Reading


5. My Grandfather Is Eighty And Still Doesn't Need Glasses....

He Drinks Straight Out Of The Bottle.


6. You Know Your kids Have Grown Up When:

Your Daughter Begins To Put On Lipstick.. 

Or when your Son starts To wipe It Off


7. Sign In A Bar:

'Those Of You Who Are Drinking To Forget, Please do Pay In Advance.'


8. Sign In Driving School:

If Your Wife Wants To Learn To Drive, Don't Stand In Her Way....


9. Behind Every Great Man,

There Is A Surprised Woman.


10. The Reason Men Lie Is Because

Women Ask too Many Questions..


11. Laugh And The World Laughs With You,

Snore And You sleep Alone


12. The Surest Sign That Intelligent Life Exists Elsewhere In The Universe 

Is The Fact That It Has Never Tried To Contact Us.


13. Sign At A Barber's Saloon :

We Need Your Heads To Run Our Business..


14. Sign In A Restaurant: 

All Drinking Water In This Establishment Has Been Personally Passed By The Manager.



चंद्रशेखर आज़ाद

 चंद्रशेखर आज़ाद जी का असली कातिल कौन …….

मित्रों, चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस १- गोखले मार्ग मे रखी है .. उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया .. इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था .. लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है ..

क्या है उस फ़ाइल मे ?

उस फ़ाइल मे इलाहबाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसने अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए |

नॉट वावर ने अपने बयान मे कहा है कि ” मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया उसने कहा कि नेहरु जी ने एक संदेश दिया है कि आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा .. मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया कि अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था वो रूस भागने के लिए बारह सौ रूपये मांग रहा था मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने को कहा है ”

फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारो ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया .. पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी |”

आजाद नेहरु से मिलने क्यों गए थे ?

इसके दो कारण है

१- भगत सिंह की फांसी की सजा माफ़ करवाना

महान क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद जिनके नाम से ही अंग्रेज अफसरों की पेंट गीली हो जाती थी, उन्हें मरवाने में किसका हाथ था ? 27 फरवरी 1931 को क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद की मौत हुयी थी । इस दिन सुबह आजाद नेहरु से आनंद भवन में उनसे भगत सिंह की फांसी की सजा को उम्र केद में बदलवाने के लिए मिलने गये थे, क्यों की वायसराय लार्ड इरविन से नेहरु के अच्छे ”सम्बन्ध” थे, पर नेहरु ने आजाद की बात नही मानी,दोनों में आपस में तीखी बहस हुयी, और नेहरु ने तुरंत आजाद को आनंद भवन से निकल जाने को कहा । आनंद भवन से निकल कर आजाद सीधे अपनी साइकिल से अल्फ्रेड पार्क गये । इसी पार्क में नाट बाबर के साथ मुठभेड़ में वो शहीद हुए थे ।अब आप अंदाजा लगा लीजिये की उनकी मुखबरी किसने की ? आजाद के लाहोर में होने की जानकारी सिर्फ नेहरु को थी । अंग्रेजो को उनके बारे में जानकारी किसने दी ? जिसे अंग्रेज शासन इतने सालो तक पकड़ नही सका,तलाश नही सका था, उसे अंग्रेजो ने 40 मिनट में तलाश कर, अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया । वो भी पूरी पुलिस फ़ोर्स और तेयारी के साथ ?

अब आप ही सोच ले की गद्दार कोन हें ?

२- लड़ाई को आगे जारी रखने के लिए रूस जाकर स्टालिन की मदद लेने की योजना

मित्रों, आज़ाद पहले कानपूर गणेश शंकर विद्यार्थी जी के पास गए फिर वहाँ तय हुआ की स्टालिन की मदद ली जाये क्योकि स्टालिन ने खुद ही आजाद को रूस बुलाया था . सभी साथियो को रूस जाने के लिए बारह सौ रूपये की जरूरत थी .जो उनके पास नही था इसलिए आजाद ने प्रस्ताव रखा कि क्यों न नेहरु से पैसे माँगा जाये .लेकिन इस प्रस्ताव का सभी ने विरोध किया और कहा कि नेहरु तो अंग्रेजो का दलाल है लेकिन आजाद ने कहा कुछ भी हो आखिर उसके सीने मे भी तो एक भारतीय दिल है वो मना नही करेगा |

फिर आज़ाद अकले ही कानपूर से इलाहबाद रवाना हो गए और आनंद भवन गए उनको सामने देखकर नेहरु चौक उठा |

आजाद ने उसे बताया कि हम सब स्टालिन के पास रूस जाना चाहते है क्योकि उन्होंने हमे बुलाया है और मदद करने का प्रस्ताव भेजा है .पहले तो नेहरु काफी गुस्सा हुआ फिर तुरंत ही मान गया और कहा कि तुम अल्फ्रेड पार्क बैठो मेरा आदमी तीन बजे तुम्हे वहाँ ही पैसे दे देगा |

मित्रों, फिर आपलोग सोचो कि कौन वो गद्दार है जिसने आज़ाद की मुखबिरी की थी ?

भारत अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद का कर्जदार है जिन्होंने आज के दिन खुद को गोली मारकर अपने प्राण देश के लिए त्याग दिए थे। वतन के लिए सर्वस्य न्यौछावर करने वाले व भारत को अंग्रेजों की गुलाम बेडियों से मुक्त कराने में अपना पूरा जीवन खपाने वाले क्रान्तिकारियों की शहादत को याद रखना हर भारतवासी का कर्तव्य है। हिंदुस्तान की खुशहाली के लिए 27 फरवरी को आज ही के दिन चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते अपने प्राण की आहूति दे दी थी। ऐसे बलिदानियों को भूलने का मतलब अपराध करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए दो साल पहले केंद्र सरकार ने ‘याद करो कुर्बानी’ नाम के एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य उन शहीदों को याद करना और उन्हें श्रद्धांजलि देना है जिन्हें या तो भुला दिया गया है अथवा जिनके बारे में लोगों को पता ही नहीं है। ऐसे कार्यक्रमों का स्वागत करना चाहिए, लेकिन ज्यादातर कागजों में ही किए जाते हैं ऐसे प्रोग्राम! चंद्रशेखर आजाद की कुर्बानी का देश कभी कर्ज नहीं भूला सकता है। देश की आजादी में बलिदान देने वाले लोगों के परिजन आज दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। आजाद के वंशज पंडित सुजीत आजाद कहते हैं कि उनका परिवार हाशिए पर है। कोई नहीं पूछता। पंडित सुजीत बताते हैं कि किसी सरकारी कार्यालय में अपना कोई काम कराने जाते हैं तो अपना परिचय जब शहीद चंद्रशेखर आजाद से बताते हैं तो बाबू लोग उपहास उड़ाते हैं। पंडित आजाद ने देश को सब कुछ दे दिया। वह दिन कोई नहीं भूल सकता जिस दिन आजाद ने लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिए उस अंग्रेज अधिकारी को मारने का प्लान बनाया था। 17 दिसम्बर, 1928 को चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह और राजगुरु ने संध्या के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को जा घेरा। जैसे ही जेपी सांडर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकला, पहली गोली राजगुरु ने दाग दी, जो साडंर्स के मस्तक पर लगी और वह मोटर साइकिल से नीचे गिर पड़ा। भगतसिंह ने आगे बढ़कर चार-छह गोलियां और दागकर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया। जब सांडर्स के अंगरक्षक ने पीछा किया तो चन्द्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे ठेर कर दिया। इसके बाद पुरे लाहौर में जगह-जगह परचे चिपका दिए गए कि लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला आजाद ने सांडर्स को मारकर ले लियाहै। समस्त भारत में क्रान्तिकारियों के इस कदम को सराहा गया। इस घटना के बाद समस्त क्रान्तिकारियों में आजाद का नाम गूंजने लगा। अंग्रेजों ने आजाद को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए पांच हजार का ईनाम घोषित कर दिया। अंग्रेज आजाद को पकड़ने के लिए पागल हो गए थे। लेकिन अंत तक उनके हत्थे नहीं आए। बलिदानियों के परिवारजनों के अलावा देशवासियों के भीतर भी पीड़ा है कि देश की आजादी में भाग लेने वाले कई लोगों का भूला दिया है। उनका स्मरण होना चाहिए, उन्हें याद किया जाना चाहिए। एक सच्चाई शीशे की तरह साफ है और वह यह है कि कुछ मुठ्ठी भर नाम छोड़कर हजारों स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं मिली। यहां हमारा आशय उन आंदोलनकारियों से बिल्कुल नहीं है जो महात्मा गांधी और उनके साथियों के नेतृत्व में देश के लिए लड़ मिटने को तैयार होकर निकले थे। अविभाजित भारत में आजादी के हजारों ऐसे दीवाने हुए जिन्होंने कांग्रेस के साथ या उससे अलग आजादी का बिगुल बजाया। चंद्रशेखर आजाद ने उस वक्त युवाओं की एक फौज अंग्रेजों से लड़ने के लिए तैयार की थी। लेकिन कुछ भारतवासी उस समय उनका विरोध कर रहे थे। ये वह लोग थे जिन्हे अंग्रेजों की गुलामी पसंद थी। सोच बदलने वाली सियासत उस वक्त भी हावी थी। चंद्रशेखर आजाद भी उस वक्त सियासत के शिकार हुए थे। उनकी लोकप्रियता कुछ लोगों को खटक रही थी। आजाद को ठिकाने लगाने के लिए एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि चन्द्रशेखर आजाद इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में अपने एक साथी के साथ बैठे हुए हैं। वह 27 फरवरी, 1931 का दिन था। चन्द्रशेखर आजाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार-विमर्श कर रहे थे। मुखबिर की सूचना पर पुलिस अधीक्षक नाटबाबर ने आजाद को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में चारो ओर से घेर लिया। तुम कौन हो कहने के साथ ही उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना नाटबाबर ने अपनी गोली आजाद पर छोड़ दी। नाटबाबर की गोली चन्द्रशेखर आजाद की टांग में जा घूसी। लेकिन वीर योद्वा आजाद ने हिम्मत दिखाते हुए घिसटकर एक जामुन के वृक्ष की ओट लेकर अपनी गोली दूसरे वृक्ष की ओट में छिपे हुए नाटबाबर के ऊपर फायर किया, आजाद का निशाना सही लगा और उनकी गोली ने नाटबाबर की कलाई तोड़ दी। एक घनी झाड़ी के पीछे सी.आई.डी. इंस्पेक्टर विश्वेश्वर सिंह छिपा हुआ था, उसने स्वयं को सुरक्षित समझकर आजाद को एक गाली दे दी। गाली को सुनकर आजाद को क्रोध आया। जिस दिशा से गाली की आवाज आई थी, उस दिशा में आजाद ने अपनी गोली छोड़ दी। निशाना इतना सही लगा कि आजाद की गोली ने विश्वेश्वरसिंह का जबड़ा तोड़ दिया। दोनों ओर से गोलीबारी हो रही थी। इसी बीच आजाद ने अपने साथी सुखदेवराज को वहां से भगा दिया। पुलिस की कई गोलियां आजाद के शरीर में समा गईं। उनके माउजर में केवल एक अंतिम गोली बची थी। उन्होंने सोचा कि यदि मैं यह गोली भी चला दूंगा तो जीवित गिरफ्तार होने का भय है। अपनी कनपटी से माउजर की नली लगाकर उन्होंने आखिरी गोली स्वयं पर ही चला दी। गोली घातक सिद्ध हुई और उनका प्राणांत हो गया। इस घटना में चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु हो गई। चंद्रशेखर आजाद के शहीद होने का समाचार जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू को प्राप्त हुआ। उन्होंने ही कांग्रेसी नेताओं और देशभक्तों को यह समाचार बताया। श्मशान घाट से आजाद की अस्थियां लेकर एक जुलूस निकला। इलाहाबाद की मुख्य सड़कें अवरुद्ध हो गयीं, ऐसा लग रहा था मानो सारा देश अपने इस सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा है। इसके साथ ही एक युग के अध्याय का अंत हो गया।

ये दोनों संदेश सभी भारतीयों को जरूर जरूर से पढ़ना और जानना चाहिए। हमारे भारत देश की आजादी के लिए अनेक वीरों ने अपना बलिदान दिया था जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, भगतसिंह, चंद्र शेखर आजाद, लाला लाजपत राय, खुदीराम बोस एवं अन्य बहुत सारे देश भक्त भाई-बहनों ने। देश का नम्बर एक गद्दार था मगर मोहनदास करमचंद गाजी/गांधी भी कम नहीं था जिसने सरदार पटेल की जगह रंगीन मिजाज वाले नेहरू को प्रधानमन्त्री बनाया और उसने हमेशा हिन्दूओं/सनातनियों को नीचले दर्जे पर रखा एवं स्वामी श्रद्धानंद जी के हत्यारे को माफी दिलाई और उस हत्यारे को अपने भाई समान घोषित किया और इसके लिए उस गाजी/गांधी को कभी भी और किसी भी प्रकार से माफ़ नहीं किया जा सकता, चंद्र शेखर आजाद जिंदाबाद, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जिंदाबाद, सरदार पटेल जिंदाबाद....

Friday 19 February 2021

डॉ अम्बेडकर

 प्रश्न 1-      डॉ अम्बेडकर का जन्म कब हुआ था?


उत्तर-       14 अप्रैल 1891

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प्रश्न 2-       डॉ अम्बेडकर का जन्म कहां हुआ था ?


उत्तर-      मध्य प्रदेश  इंदौर के  महू छावनी  में हुआ था।

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प्रश्न 3-     डॉ अम्बेडकर के पिता का नाम क्या था?


उत्तर-        रामजी मोलाजी सकपाल था।

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प्रश्न 4-      डॉ अम्बेडकर की माता का नाम क्या था?

उत्तर-         भीमा बाई ।

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प्रश्न 5-      डॉ अम्बेडकर के पिता का क्या करते थे?


उत्तर-        सेना मैं सूबेदार थे ।  

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प्रश्न 6-      डॉ अम्बेडकर की माता का देहांत कब  हुआ था?


उत्तर-        1896

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प्रश्न 7-      डॉ अम्बेडकर की माता के  देहांत के वक्त उन कि आयु क्या थी ?


उत्तर-          5वर्ष।

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प्रश्न 8-      डॉ अम्बेडकर किस जाती से थे?


उत्तर-         महार जाती।

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प्रश्न 9-       महार जाती को कैसा माना जाता था?


उत्तर-      अछूत (निम्न वर्ग )।

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प्रश्न10-      डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं कहां बिठाया जाता था?


उत्तर-      क्लास के बहार।

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प्रश्न 11-     डॉ अम्बेडकर को स्कूल मैं पानी कैसे पिलाया जाता था?


उत्तर-       ऊँची जाति का व्यक्ति ऊँचाई से पानी उनके हाथों परडालता था!

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प्रश्न12-      बाबा साहब का विवाह कब और किस से हुआ?


उत्तर-     1906 में रमाबाई से।

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प्रश्न 13-        बाबा साहब ने मैट्रिक परीक्षा कब पास की?


उत्तर-         1907 में।

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प्रश्न 14-     डॉ अम्बेडकर के बंबई विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने से क्या हुवा?


उत्तर-      भारत में कॉलेज में प्रवेश लेने वाले पहले अस्पृश्य बन गये।

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प्रश्न 15-       गायकवाड़ के महाराज ने डॉ अंबेडकर को पढ़ने कहां भेजा?


उत्तर-       कोलंबिया विश्व विद्यालय न्यूयॉर्क अमेरिका भेजा।

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प्रश्न 16-        बैरिस्टर के अध्ययन के लिए बाबा साहब कहां और कब गए?


उत्तर-     11 नवंबर 1917 लंदन में।

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प्रश्न 17-        बड़ौदा के महाराजा ने डॉ आंबेडकर को अपने यहां किस पद पर रखा?


उत्तर-        सैन्य सचिव पद पर।

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प्रश्न 18-       बाबा साहब ने सैन्य सचिव पद को क्यों छोड़ा?


उत्तर-       छुआ छात के कारण।

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प्रश्न 19-     बड़ौदा रियासत में बाबा साहब कहां ठहरे थे?


उत्तर-        पारसी सराय में।

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प्रश्न 20-      डॉ अंबेडकर ने क्या संकल्प लिया?


उत्तर-      जब तक इस अछूत समाज की कठिनाइयों को समाप्त ने कर दूं तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।

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प्रश्न 21-      डॉ अंबेडकर ने कौनसी पत्रिका निकाली?


उत्तर-          मूक नायक ।


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प्रश्न 22-       बाबासाहेब वकील कब बने?


 उत्तर-           1923 में ।

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प्रश्न 23-      डॉ अंबेडकर ने वकालत कहां शुरु की?


उत्तर-        मुंबई के हाई कोर्ट से ।

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प्रश्न 24-     अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को क्या संदेश दिया?


उत्तर-    शिक्षित बनो संघर्ष करो संगठित रहो ।

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प्रश्न 25-     बाबा साहब ने बहिष्कृत भारत का

प्रकाशन कब आरंभकिया?


उत्तर-       3 अप्रैल 1927 

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प्रश्न 26-     बाबासाहेब लॉ कॉलेज के प्रोफ़ेसर कब बने?


उत्तर-        1928 में।

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प्रश्न 27-    बाबासाहेब मुंबई में साइमन कमीशन के सदस्य कब बने?


उत्तर-       1928 में।

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प्रश्न 28-      बाबा साहेब द्वारा विधानसभा में माहर वेतन बिल पेश कब हुआ?


उत्तर-       14 मार्च 1929

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प्रश्न 29-    काला राम मंदिर मैं अछुतो के प्रवेश के लिए आंदोलन कब किया?


 उत्तर-     03 मार्च 1930

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प्रश्न 30-    पूना पैक्ट किस किस के बीच हुआ?


उत्तर-       डॉ आंबेडकर और महात्मा गांधी।

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प्रश्न 31-    महात्मा गांधी के जीवन की भीख मांगने बाबा साहब के पास कौनआया?


उत्तर-        कस्तूरबा गांधी

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प्रश्न 32-    डॉ  अम्बेडकर को गोल मेज कॉन्फ्रंस का निमंत्रण कब मिला?


उत्तर-      6 अगस्त 1930

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प्रश्न 33-     डॉ अम्बेडकर ने पूना समझौता कब किया?


उत्तर-        1932 ।

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प्रश्न 34-     अम्बेडकर को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानचार्य नियुक्त कियागया?


उत्तर-     13 अक्टूबर 1935 को।

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प्रश्न 35-    मुझे पढे लिखे लोगोँ ने धोखा दिया ये शब्द बाबा साहेब ने कहां कहे थे?


उत्तर-    आगरा मे 18 मार्च 1956 ।

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प्रश्न 36-    बाबा साहेब के पि. ए. कोन थे?


उत्तर-     नानकचंद रत्तु।

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प्रश्न 37-    बाबा साहेब ने अपने अनुयाइयों से क्या कहा था?


उत्तर-    - इस करवा को मै बड़ी मुस्किल से यहाँ तक लाया हु !

इसे आगे नहीं ले जा सकते तो पीछे मत जाने देना।

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प्रश्न 38-      देश के  पहले कानून मंत्री कौन थे?


उत्तर-      डॉ अम्बेडकर।

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प्रश्न 39-    स्वतंत्र भारत के नए संविधान की रचना किस ने की?


उत्तर-      डॉ अम्बेडकर।

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प्रश्न 40-     डॉ अंबेडकर ने भारतीय संविधान कितने समय में लिखा?


उत्तर- 2    साल 11 महीने 18 दिन।

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प्रश्न 41-    डा बी.आर. अम्बेडकर ने  बौद्ध धर्मं कब और कहा अपनाया?


उत्तर -   14 अक्टूबर 1956,  दीक्षा भूमि,   नागपुर।

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प्रश्न 42-    डा बी.आर. अम्बेडकर ने  बौद्ध धर्मं कितने लोगों के साथ अपनाया?


उत्तर-   लगभग 10 लाख।

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प्रश्न 43-    राजा बनने के लिए रानी के पेट की जरूरत नहीं,

तुम्हारे वोट की जरूरत है ये शब्द किस के है?


उत्तर-     डा बी.आर. अम्बेडकर।

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प्रश्न 44-  डा बी.आर. अम्बेडकर के दुवारा लिखित महान पुस्तक का क्या नाम है?


उत्तर-      दी बुद्ध एंड हिज धम्मा।

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प्रश्न 45 - बाबा साहेब को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया?


उत्तर-       भारत रत्न।

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★★★★★★★★★★★★★★


आज तक हमे बताया जाता है कि 22years का Cricket खेलने वाला,

10वीं मे फेल होने वाला सचिन Cricket का भगवान बना........


Petrol पंप पर काम करने वाला, अबांनी करोडपती बना,


चाय बेचने वाला मोदी Prime minister. बना.......


लेकिन कभी किसी ने ये नही बताया कि...

Class Room के बाहर बैठकर पढने वाला एक दलित बालक

"डा• भीम राव अम्बेडकर " इस देश का शिल्पकार (संविधान निर्माता ) बना..........


और सबसे बढकर इस ससांर में 

''सिबंल आफॅ नालेज''' बना.....


Thursday 11 February 2021

राक्षसों के नाम पर बसे कुछ शहरों के नाम

 राक्षसों के नाम पर बसे कुछ शहरों के नाम


1. जालंधर: 


जालंधर पंजाब का सबसे पुराना शहर है और चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। पुराने समय में जालंधर, जलंधर राक्षस की राजधानी हुआ करता था। जलंधर का जन्म भगवान् शिव के अपनी तीसरी आंख खोलकर उसका तेज समुद्र में डाल देने से हुआ था। जलंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रत के कारण उसे कोई नहीं मार सकता था। बाद में भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया जिससे जलंधर मारा गया।


2. गया: 


गया बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। गयासुर को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था जिसके चलते वह देवताओं से भी ज्यादा पवित्र हो गया। उसे देखने और छूने से ही लोगों के पाप दूर हो जाते थे और वो स्वर्ग चले जाते थे। इस प्रकार असुर भी स्वर्ग पहुंचने लगे। इसे रोकने के लिए भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी के जरिए यज्ञ के लिए गयासुर से उसकी देह मांग ली। गयासुर देहदान कर गया। ये जो गया नाम की जगह है वो गयासुर का ही पांच कोस का शरीर है, जहां लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पहुंचते हैं।


3. कुल्लू घाटी: 


कुल्लू घाटी हिमाचल प्रदेश में है। पहले कभी इसका नाम हुआ करता था कुलंथपीठ। मतलब रहने लायक दुनिया का अंत।  कुलान्त नाम का एक राक्षस था। एक बार वह अजगर बनकर कुंडली मारकर ब्यास नदी के रास्ते में बैठ गया। ऐसा करके वह पानी में डुबाकर दुनिया का अंत करना चाहता था। भगवान शिव को पता चला तो वे उस जगह पर पहुंचे और कहा; 'देखो तुम्हारी पूंछ में आग लगी है। ऐसा सुनकर वह जैसे ही पीछे मुड़ा शिवजी ने त्रिशूल से उसका सिर काट लिया। उस राक्षस के मरने के बाद उसका पूरा शरीर पहाड़ में बदल गया जो कुल्लू घाटी कहलाया।


4. मैसूर: 


मैसूर बेंगलुरु से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर कर्नाटक- तमिलनाडु बॉर्डर के नजदीक बसा है। इसका नाम महिषासुर राक्षस के नाम पर पड़ा था। महिषासुर के समय इसे महिषा- ऊरु कहा जाता था। देवी भागवत के अनुसार राक्षस को देवी चामुंडा ने मार दिया था। महिषा- ऊरु बाद में महिषुरु कहा जाने लगा। फिर कन्नड़ में इसे मैसुरु कहा गया। जो अब मैसूर के रूप में फेमस हो गया है।


5. तिरुचिरापल्ली: 


तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु का जिला है, जो चेन्नई से लगभग सवा तीन सौ किलोमीटर दूर है। इसको पहले थिरि- सिकरपुरम के नाम से जानते थे। अब इसे त्रिची भी कह देते हैं। कावेरी नदी के किनारे पर बसे इस शहर में थिरिसिरन नाम के राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की थी, इसी वजह से इसका नाम थिरिसिरपुरम पड़ा कहा जाता है। बाद में थिरि- सिकरपुरम से थिरिसिरपुरम हुआ और फिर तिरुचिरापल्ली।


6. शुद्धमहादेव: 


शुद्धमहादेव जम्मू कश्मीर के उधमपुर में है। सुद्धांत नाम का राक्षस शंकर जी का भक्त था। एक दिन वो पार्वती जी को डराने लगा। पार्वती जी ने आवाज देकर शिव जी से मदद मांगी। भगवान ने हिमालय से त्रिशूल फेंककर मारा, त्रिशूल लगा और राक्षस वहीं ढेर हो गया। बाद में शंकर जी ने उसे दर्शन भी दिए। और उसके वरदान मांगने पर उस जगह का नाम अपने और उसके नाम पर कर दिया। आज भी वहां भगवान का टूटा त्रिशूल तीन टुकड़ों में गड़ा है और राक्षस शुद्ध का नाम महादेव के पहले लिया जाता है।


7. पलवल: 


पलवल जिला हरियाणा में है पहले ये पंजाब में हुआ करता था। पलवल ही वो जगह है जहां महात्मा गांधी को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। पलवल का नाम पलंबासुर राक्षस के नाम पर पड़ा। एक समय इसे पलंबरपुर कहा जाता था। समय के साथ नाम बदला और पलवल हो गया। पलंबासुर को भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने मारा था। बलराम की याद में आज भी वहां बलदेव छठ का मेला भरता है।


वीर सावरकर

एक साल पहले खबर आयी थी कि अंडेमान प्रशासन के पास सावरकर जी के माफीनामे का कोई रिकार्ड नहीं है। विस्तार से जानिए सावरकर जी को।

क्या सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी ..???

उत्तर : सावरकर को लेकर ये बहुत बड़ा भ्रम फैलाया जाता है कि उन्होंने मर्सी पिटीशन फाइल कर माफी मांगी थी. ये कोई मर्सी पिटीशन नहीं थी ये सिर्फ एक पिटीशन थी. जिस तरह हर राजबंदी को एक वकील करके अपना केस फाइल करनी की छूट होती है उसी तरह सारे राजबंदियों को पिटीशन देने की छूट दी गई थी. वे एक वकील थे उन्हें पता था कि जेल से छूटने के लिए कानून का किस तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं. उनको 50 साल का आजीवन कारावास सुना दिया गया था तब वो 28 साल के थे. अगर ये जिंदा वहां से लौटते तो 78 साल के हो जाते. इसके बाद क्या होता उनका ? न तो वो परिवार को आगे बढ़ा पाते और न ही देश की आजादी की लड़ाई में अपना योगदान दे पाते. उनकी मंशा थी कि किसी तरह जेल से छूटकर देश के लिए कुछ किया जाए. 1920 में उनके छोटे भाई नारायण ने महात्मा गांधी से बात की थी और कहा था कि आप पैरवी कीजिए कि कैसे भी ये छूट जाएं. गांधी जी ने खुद कहा था कि आप बोलो सावरकर को कि वो एक पिटीशन भेजें अंग्रेज सरकार को और मैं उसकी सिफारिश करूंगा. गांधी ने लिखा था कि सावरकर मेरे साथ ही शांति के रास्ते पर चलकर काम करेंगे तो इनको आप रिहा कर दीजिए. ऐसे में पिटीशन की एक लाइन लेकर उसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है.

सावकर को अंग्रेजों से पेंशन क्यों मिलती थी ???

उत्तर : जेल से रिहा होने के बाद सावरकर को रत्नागिरी में ही रहने को कहा गया था. अंग्रेज उन पर नजर रखते थे. उनकी सारी डिग्रीयां और संपत्ति जब्त कर ली गई थी. ऐसे राज बंदियों को जिन्हें कंडीशनल रिलीज मिलती थी उन सभी को पेंशन दी जाती थी. उस समय अंग्रेजों का ये था कि हम आपको काम करने की छूट नहीं देंगे, आपकी देखभाल हम करेंगे.

सावरकर- इकोज़ फ्रॉम द फॉरगॉटन पास्‍ट' के लेखक विक्रम संपथ के उत्तर। विक्रम संपथ जी ने अपनी पुस्तक लिखने से पहले 40,000 पृष्ठों के दस्तावेजों का अध्ययन किया।

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आजकल कुछ वामपंथी वीर सावरकर को कोसते रहते हैं। परन्तु वीर सावरकर की ये 25 बातें पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो उठेगा। इसको पढ़े बिना आज़ादी का ज्ञान अधूरा है! आइए जानते हैं एक ऐसे महान क्रांतिकारी के बारे में जिनका नाम इतिहास के पन्नों से मिटा दिया गया। जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के द्वारा इतनी यातनाएं झेलीं की उसके बारे में कल्पना करके ही इस देश के करोड़ों भारत माँ के कायर पुत्रों में सिहरन पैदा हो जायेगी।

जिनका नाम लेने मात्र से आज भी हमारे देश के राजनेता भयभीत होते हैं क्योंकि उन्होंने माँ भारती की निस्वार्थ सेवा की थी। वो थे हमारे परमवीर सावरकर।

1. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और कहा कि वो हमारे शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष के निधन पर ब्रिटेन में शोक सभा हुई है.?

2. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह का उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ..!

3. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी…!

4. वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र ‘इन्डियन ओपीनियन’ में गाँधी ने निंदा की थी…!

5. सावरकर द्वारा विदेशी वस्त्र दहन की इस प्रथम घटना के 16 वर्ष बाद गाँधी उनके मार्ग पर चले और 11 जुलाई 1921 को मुंबई के परेल में विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया…!

6. सावरकर पहले भारतीय थे जिनको 1905 में विदेशी वस्त्र दहन के कारण पुणे के फर्म्युसन कॉलेज से निकाल दिया गया और दस रूपये जुरमाना किया… इसके विरोध में हड़ताल हुई… स्वयं तिलक जी ने ‘केसरी’ पत्र में सावरकर के पक्ष में सम्पादकीय लिखा…!

7. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफ़ादार होने की शपथ नहीं ली… इस कारण उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नहीं दिया गया…!

8. वीर सावरकर पहले ऐसे लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजों द्वारा ग़दर कहे जाने वाले संघर्ष को ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ नामक ग्रन्थ लिखकर सिद्ध कर दिया…!

9. सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी लेखक थे जिनके लिखे ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ पुस्तक पर ब्रिटिश संसद ने प्रकाशित होने से पहले प्रतिबन्ध लगाया था…।

10. ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विदेशों में छापा गया और भारत में भगत सिंह ने इसे छपवाया था जिसकी एक एक प्रति उन दिनों तीन-तीन सौ रूपये में बिकी थी…! भारतीय क्रांतिकारियों के लिए यह पवित्र गीता थी… पुलिस छापों में देशभक्तों के घरों में यही पुस्तक मिलती थी…!

11. वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय आठ जुलाई 1910 को समुद्र में कूद पड़े थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे…!

12. सावरकर पहले क्रान्तिकारी थे जिनका मुकद्दमा अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस की मिलीभगत के कारण उनको न्याय नहीं मिला और बंदी बनाकर भारत लाया गया…!

13. वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी…!

14. सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले - “चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को मान लिया”…!

15. वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सज़ा के समय 10 साल से भी अधिक समय तक आज़ादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला…!

16. वीर सावरकर काला पानी में पहले ऐसे कैदी थे जिन्होंने काल कोठरी की दीवारों पर कंकर कोयले से कवितायें लिखीं और 6000 पंक्तियाँ याद रखी..!

17. वीर सावरकर पहले देशभक्त लेखक थे, जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आज़ादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध लगा रहा…!

18. वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि :

‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका,

पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः।

अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभूमि है, जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भूमि है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है..! (हिन्दू की इस परिभाषा को सभी स्वीकार नहीं करते। )

19. वीर सावरकर प्रथम राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सत्ता ने 30 वर्षों तक जेलों में रखा तथा आजादी के बाद 1948 में नेहरु सरकार ने गाँधी हत्या की आड़ में लाल किले में बंद रखा पर न्यायालय द्वारा आरोप झूठे पाए जाने के बाद ससम्मान रिहा कर दिया… देशी-विदेशी दोनों सरकारों को उनके राष्ट्रवादी विचारों से डर लगता था…!

20. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी थे जब उनका 26 फरवरी 1966 को उनका स्वर्गारोहण हुआ तब भारतीय संसद में कुछ सांसदों ने शोक प्रस्ताव रखा तो यह कहकर रोक दिया गया कि वे संसद सदस्य नहीं थे जबकि चर्चिल की मौत पर शोक मनाया गया था…!

21. वीर सावरकर पहले क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त स्वातंत्र्य वीर थे जिनके मरणोपरांत 26 फरवरी 2003 को उसी संसद में मूर्ति लगी जिसमे कभी उनके निधन पर शोक प्रस्ताव भी रोका गया था…!

22. वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा लेकिन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र का अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया…!

23. वीर सावरकर पहले ऐसे राष्ट्रभक्त हुए जिनके शिलालेख को अंडमान द्वीप की सेल्युलर जेल के कीर्ति स्तम्भ से UPA सरकार के मंत्री मणिशंकर अय्यर ने हटवा दिया था और उसकी जगह गांधी का शिलालेख लगवा दिया..!

24. वीर सावरकर ने दस साल आज़ादी के लिए काला पानी में कोल्हू चलाया था जबकि गाँधी ने काला पानी की उस जेल में कभी दस मिनट चरखा नहीं चलाया..?

25. वीर सावरकर माँ भारती के पहले सपूत थे जिन्हें जीते जी और मरने के बाद भी आगे बढ़ने से रोका गया… पर आश्चर्य की बात यह है कि इन सभी विरोधियों के घोर अँधेरे को चीरकर आज वीर सावरकर सभी में लोकप्रिय और युवाओं के आदर्श बन रहे हैं।


वन्दे मातरम्।।

Saturday 6 February 2021

स्व.श्रीमती एमिली शेंकल बोस

 


कांग्रेसी कहते है सोनिया भारत की पहली बहू है

पर कांग्रेसी आपको नही बताएंगे कि भारत की पहली और असली बहू कौन थी ???

आज मै आपको बता रहा हूँ भारत माता की असली बहू के बारे मे पढ़ियेगा जरूर।

भारत की असली बहू नेताजी सुभाष चंद्र बोस की धर्मपत्नी जिनका भारत मे कभी स्वागत नही किया....

 कांग्रेस ने इनको भी नेताजी की तरह गुमनाम कर दिया!

श्रीमती "एमिली शेंकल" ने 1937 मे भारत मां के सबसे लाड़ले बेटे "बोस" जी से विवाह किया!

एक ऐसे देश को ससुराल के रूप मे चुना जहां कभी इस "बहू" का स्वागत नही किया गया....न बहू के आगमन पर मंगल गीत गाये गये....न बेटी (अनीता बोस) के जन्म होने पर कोई सोहर ही गाया गया.....

यहां तक गुमनामी की इतनी मोटी चादर के नीचे उन्हे ढ़ंक दिया गया कि कभी जनमानस मे चर्चा भी नही हुई....!!!

अपने 7 साल के कुल वैवाहिक जीवन मे पति के साथ इन्हे केवल 3 साल रहने का मौका मिला.....फिर इन्हे और नन्ही सी बेटी को छोड़कर बोस जी देश के लिए लड़ने चले गये....!!!!

अपनी पत्नी से इस वादे के साथ गये की पहले देश आजाद करा लूँ फिर हम साथ-साथ रहेगे....अफसोस कि ऐसा हुआ नही क्योंकि कथित विमान दुर्घटना मे बोस जी लापता हो गए....!!

उस समय "एमिली शेंकल" बेहद युवा थीं वो चाहती तो युरोपीय संस्कृति के अनुसार दूसरी शादी कर लेती पर नही की और बेहद कठिन तरीके से जीवन गुजारा...... 

आपको जान कर बेहद दु:ख होगा कि एक तारघर मे मामूली क्लर्क के नौकरी और बेहद कम वेतन के साथ वो अपनी बेटी को पालती रही.......

तब तक भारत आजाद हो गया था वो चाहती थी...उनका बहुत मन था......भारत आने का.... कि एक बार अपने पति के वतन की मिट्टी को हाथ से छू कर नेताजी को महसूस करूं......जिस वतन के लिए मेरे पति ने अपना जीवन होम कर दिया....

लेकिन उनके आगमन की इच्छा की इस खबर को सुन कर गुलाबो चिच्चा इतना भयभीत हो गया था कि देश की बहू को आने के लिए उसने वीजा तक देने से मना कर दिया...

ये होता है गीदड़ों के दिमाग मे शेरों का खौफ...!!

जबकि उन्हे सम्मान-सहित बुलाकर भारत की नागरिकता देनी चाहिए थी !

उस महान महिला का बडप्पन देखिये कि उन्होने इसकी कभी किसी से

शिकायत भी नही की....और गुमनामी मे ही मार्च 1996 मे जीवन त्याग दिया!

ये थी हमारे देश की असली बहू की कहानी स्वर्गीय "श्रीमती एमिली शेंकल" की!!

देश पर बोझ बन कर शासन करने वाला विशेष विषैला परिवार कितना कुटिल,कायर और कपटी है जिसने देश के साथ ही नही वरन् देश के बलिदानी हुतात्माओं और उनके परिजनो के साथ भी धोखा और छल किया है....और आज भी कर रहा है...!!!!!

जयहिंद वन्देमातरम्

आप भी दर्शन करिये स्व.श्रीमती एमिली शेंकल बोस का..

मांसाहार पर वैज्ञानिकों की शोध

 मांसाहार पर वैज्ञानिकों की शोध

प्राकृतिक आपदाओं पर हुई नई खोजों के नतीजें मानें तो इन दिनों बढ़ती मांसाहार की प्रवृत्ति ही भूकंप और बाढ़ के लिए जिम्मेदार है। आइंस्टीन पेन वेव्ज ( Pain Waves) के मुताबिक मनुष्य की स्वाद की चाहत- खासतौर पर मांसाहार की आदत के कारण प्रतिदिन मारे जाने वाले पशुओं की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है।

सूजडल (रूस) में पिछले दिनों हुए भूस्खलन और प्राकृतिक आपदा पर हुए एक सम्मेलन में भारत से गए भौतिकी के तीन वैज्ञानिकों ने एक शोधपत्र पढ़ा। डा. मदन मोहन बजाज, डा. इब्राहीम और डा. विजयराजसिंह के अलावा दुनियाँ भर के 23 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा  तैयार किए शोधपत्र के आधार पर कहा गया कि भारत, जापान, नेपाल, अमेरिका, जार्डन, अफगानिस्तान, अफ्रीका में पिछले दिनों आए तीस बड़े भूकंपों में आइंस्टीन पैन वेव्ज (इपीडबल्यू) या नोरीप्शन वेव्ज बड़ा कारण रही है।

इन तरंगों की व्याख्या यह की गई है कि कत्लखानों में जब पशु काटे जाते हैं तो उनकी अव्यक्त कराह, फरफराहट, तड़प वातावरण में तब तक रहती है जब तक उस जीव का  माँस, खून, चमड़ी पूरी तरह नष्ट नही होती. उस जीव की कराह खाने वालों से लेकर पूरे वातवरण मे भय रोग और क्रोध उत्पन्न करती है। यों कहें कि प्रकृति अपनी संतानों की पीड़ा से विचलित होती है। अध्ययन मे बताया गया है कि प्रकृति जब ज्यादा क्षुब्ध होती है तो मनुष्य आपस में भी लड़ने भिड़ने लगते हैं, चिड्चिडे हो जाते हैं और विभिन्न देश प्रदेशों में दंगे होने लगते हैं। सिर्फ स्वाद के लिए बेकसूर जीव जंतुओं की हत्या ही कभी कभी आत्महत्या का भी । 

ज्यादातर मामलों में प्राकृतिक उत्पात जैसे अज्ञात बीमारियाँ, हार्टअटेक, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, बाढ़, भूकंप, ज्वालामुखी के विस्फोट जैसे संकट आते हैं।

इस अध्ययन के मुताबिक एक कत्लखाने से जिसमें औसतन पचास जानवरों को मारा जाता है 1040 मेगावाट ऊर्जा फेंकने वाली इपीडब्लू पैदा होती है।

दुनिया के करीब 50 लाख छोटे बड़े कत्लखानों में प्रतिदिन 50 लाख करोड़ मेगावाट की मारक क्षमता वाली शोक तरंगे या इपीडव्लू पैदा होती है। विश्व के  700 से अधिक वैज्ञानिकों सहित अनेक डाक्टरों के  सम्मेलन में माना गया कि कुदरत कोई डंडा ले कर तो इन तंरगों के गुनाहगार लोगों को दंड देने नहीं निकलती। उसकी एक ठंडी सांस भी धरती पर रहने वालों को कंपकंपा देने के लिए काफी है।

कत्लखानों में जब जानवरों को कत्ल किया जाता है तो बहुत बेरहमी के साथ किया जाता है बहुत हिंसा होती है बहुत अत्याचार होता है। जानवरों का कतल होते समय उनकी जो चीत्कार निकलती है, उनके शरीर से जो स्ट्रेस हारमोन निकलते है और उनकी जो शोक वेभ निकलती है, वो पूरी दुनिया को तरंगित कर देती है, कम्पायमान कर देती है। 

जानवरों को जब कटा जाता है तोह बहुत दिनों तक उनको भूखा रखा जाता है और कमजोर किया जाता है फिर इनके ऊपर 70 डिग्री सेंट्रीगेड गर्म पानी की बौछार डाली जाती है उससे शरीर फूलना शुरु हो जाता है तब गाय भैंस बकरी तड़पना और चिल्लाने लगते हैं तब जीवित स्थिति में उनकी खाल को उतारा जाता है और खून को भी इकठ्ठा किया जाता है | फिर धीरे धीरे गर्दन काटी जाती है, एक एक अंग अलग से निकला जाता है।

आज का आधुनिक विज्ञानं ने ये सिद्ध किया है के मरते समय जानवर हो या इन्सान, अगर उसको क्रूरता से या उम्र पूरी होने के पहले  मारा जाता है, तो उसके शरीर से निकलने वाली जो चीख पुकार है उसकी बाइब्रेशन में जो नेगेटिव वेव्स निकलते हैं वो पूरे वातावरण को बुरी तरह से प्रभावित करता है और उससे सभी मनुष्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, खासतौर पर सबसे ज्यादा असर ऐसे जीव का उन मनुष्यों पर पड़ता है जो उसका माँस खाते है और ये दुष्प्रभाव एक बार खाने के बाद कम से कम 18 महीने तक रहता है.. बड़ी बात ये है कि  खाने वाले के परिजन और अधिक तनावग्रस्त, दुखी व  भयंकर  रोगॊ से पीडित होते जाते  है । 

अफ्रीका  के दो प्रोफेसर, दो जर्मनी, दो अमेरिका के,  एक भारतीय  मदनमोहन  और चार जर्मनी के वैज्ञानिकों ने अपने अपने हेड,  मार्क फीस्ट्न, डेविड थामस, जुँनस अब्राहम व क्रिओइबोँद फिलिप् के साथ बीस साल इस विषय पर रिसर्च किया है और उनकी रिसर्च ये कहती है कि जानवरों का जितना ज्यादा कत्ल किया जायेगा, जितना ज्यादा हिंसा से मारा जायेगा उतना ही अधिक दुनिया में भूकंप आएंगे, जलजले आएंगे, प्राकृतिक आपदा आयेगी उतना ही दुनिया में संतुलन बिगड़ेगा और लोग दुखी, तनाव्युक्त व हार्टअटेक से पीडित होंगे.

Friday 5 February 2021

बीजू पटनायक

 भारत के एकमात्र ऐसे व्यक्ति बीजू पटनायक है जिन के निधन पर उनके पार्थिव शरीर को तीन देशों के राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया था। भारत,रूस और इंडोनेशिया.....

 बीजू पटनायक पायलट थे और जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत संघ संकट में घिर गया था तब उन्होंने लड़ाकू विमान डकोटा उड़ा कर हिटलर की सेनाओं पर काफी बमबारी की थी जिससे हिटलर पीछे हटने को मजबूर हो गया था।उनकी इस बहादुरी पर उन्हें सोवियत संघ का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया गया था और उन्हें सोवियत संघ ने अपनी नागरिकता प्रदान की थी.....

कश्मीर पर जब कावालियों ने आक्रमण किया था तब बीजू पटनायक थे जिन्होंने प्लेन उड़ा कर दिन में कई चक्कर दिल्ली से श्रीनगर का लगाए थे और सैनिकों को श्रीनगर पहुंचाया था.....

इंडोनेशिया कभी डच यानी हालैंड का उपनिवेश था और डच ने इंडोनेशिया के काफी बड़े इलाके पर कब्जा किया था और डच सैनिकों ने इंडोनेशिया के आसपास के सारे समुद्र को टच कंट्रोल करके रखा था और वह किसी भी इंडोनेशियन नागरिक को बाहर नहीं जाने देते थे। उस वक्त इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री सजाहरीर को एक कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए भारत आना था लेकिन डच ने  इसकी इजाजत नहीं दी थी। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो ने भारत से मदद मांगी और इंडोनेशिया के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने बीजू पटनायक से मदद मांगी। बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ने अपनी जान की परवाह किए बगैर एक डकोटा प्लेन लेकर डच के कंट्रोल एरिया के ऊपर से उड़ान भरते हुए वे उनकी धरती पर उतरे और बेहद बहादुरी का परिचय देकर इंडोनेशिया के प्रधानमंत्री को सिंगापुर होते हुए सुरक्षित भारत ले आए। इससे इंडोनेशिया के लोगों में एक असीम ऊर्जा का संचार हुआ और उन्होंने डच सैनिकों पर धावा बोला और इंडोनेशिया एक पूर्ण आजाद देश बना। बाद में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो की बेटी हुई तब उन्होंने उसका नामकरण करने के लिए बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को बुलाया था और बीजू पटनायक और उनकी पत्नी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की बेटी का नाम मेघवती रखा था। इंडोनेशिया ने बीजू पटनायक और उनकी पत्नी को अपने देश की आनरेरी नागरिकता प्रदान की थी।

*बीजू पटनायक के निधन के बाद इंडोनेशिया में सात दिनों का राजकीय शोक मनाया गया था और रूस में एक दिन के लिए राजकीय शोक मनाया गया था तथा सारे झंडे झुका दिए गए थे।

हमारे देश के ऐसे महान शख्स के बारे में पता चला तो गर्व की अनुभूति हुई।सोचा ये जानकारी सबको देनी चाहिए....


पद्मश्री हलधर नाग

 साहिब-दिल्ही आने तक के पैसे नही है कृपया पुरुस्कार डाक से भिजवा दो ।।


जिसके नाम के आगे कभी श्री नही लगाया गया, 3 जोड़ी कपड़े ,एक टूटी रबड़ की चप्पल  एक बिन कमानी का चश्मा और जमा पूंजी 732 रुपया का मालिक आज

 पद्मश्री से उद्घोषित होता है ।।

ये हैं ओड़िशा के हलधर नाग । 

जो कोसली भाषा के प्रसिद्ध कवि हैं। ख़ास बात यह है कि उन्होंने जो भी कविताएं और 20 महाकाव्य अभी तक लिखे हैं, वे उन्हें ज़ुबानी याद हैं। अब संभलपुर विश्वविद्यालय में उनके लेखन के एक संकलन ‘हलधर ग्रन्थावली-2’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। सादा लिबास, सफेद धोती, गमछा और बनियान पहने, नाग नंगे पैर ही रहते हैं। ऐसे हीरे को चैनलवालों ने नहीं, मोदी सरकार ने पद्मश्री के लिए खोज के  निकाला

हलधर नाग : 

उड़‍िया लोक-कवि हलधर नाग के बारे में जब आप जानेंगे तो प्रेरणा से ओतप्रोत हो जायेंगे। हलधर एक गरीब दलित परिवार से आते हैं।10 साल की आयु में मां बाप के देहांत के बाद उन्‍होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी। अनाथ की जिंदगी जीते हुये ढाबा में जूठे बर्तन साफ कर कई साल  गुजारे। बाद में एक स्कूल में रसोई की देखरेख का काम मिला। कुछ वर्षों बाद बैंक से 1000रु कर्ज लेकर पेन-पेंसिल आदि की छोटी सी दुकान उसी स्कूल के सामने खोल ली जिसमें वे छुट्टी के समय पार्टटाईम बैठ जाते थे। यह तो थी उनकी अर्थ व्यवस्था। अब आते हैं उनकी साहित्यिक विशेषता पर। हलधर ने 1995 के आसपास स्थानीय उडिया भाषा में ''राम-शबरी '' जैसे कुछ धार्मिक प्रसंगों पर लिख लिख कर लोगों को सुनाना शुरू किया। भावनाओं से पूर्ण कवितायें लिख जबरन लोगों के बीच प्रस्तुत करते करते वो इतने लोकप्रिय हो गये कि इस साल राष्ट्रपति ने उन्हें साहित्य के लिये पद्मश्री प्रदान किया। इतना ही नहीं 5 शोधार्थी अब उनके साहित्य पर PHd कर रहे हैं जबकि स्वयं हलधर तीसरी कक्षा तक पढ़े हैं।

🙏आभार मोदीजी ऐसे व्यक्ति को चुनने के लिए🙏

आप किताबो में प्रकृति को चुनते है 

पद्मश्री ने, प्रकृति से किताबे चुनी है।।

लुक ए बिट हायर - थोड़ा ऊपर देखिये

 किसी इंग्लिश फिल्म का एक दृश्य है । फिल्म में रानी एलिजाबेथ एक युवक से प्यार करने लगती है । एक बार एलिजाबेथ उसे कोई काम देती है जो उसे किसी दूसरे देश जाकर करना था । एलिजाबेथ उसे एक समुद्री जहाज का कप्तान बनाकर भेजती है । जब जहाज रवाना होता है तब जहाज के दूर जाने पर भी वो दूरबीन से जहाज को देख रही होती है तभी वो कुछ परेशान हो जाती .. वो देखती है जहाज पर उस युवक की प्रेमिका भी उसके साथ है ... दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर डैक पर खड़े हैं ।


उस समय महारानी को परेशान देखकर उनके पास खड़ा एक शुभचिंतक बोलता है , ' मैडम ! लुक ए बिट हायर - थोड़ा ऊपर देखिये ... उस नौजवान और उसकी प्रेमिका के सर के ऊपर देखिये .. देखिये वहाँ कितनी शान से आपके राज्य का झंडा लहरा रहा है । इन छोटी-मोटी परेशानियों से ऊपर उठकर उस लहराते अगाध साम्राज्य  को देखकर खुश होईये ।


लुक ए बिट हायर - जरा इन 'पैड ट्वीट्स' से हटकर देखिये कि ब्राजील के प्रधानमंत्री ने कोरोना वैक्सीन मिलने पर भारत का सम्मान करते हुवे क्या ट्वीट किया है , देखिये कि दक्षिण अफ्रीका में भारत सरकार की भेजी वैक्सीन पहुँचने पर क्रिकेटर केविन पीटरसन ने भारत का कृतज्ञ होते हुवे क्या ट्वीट किया है , देखिये कि कोरोना से पस्त हुये विश्व के लिये भारत की बनी वैक्सीन कैसे संजीवनी बनकर आयी है और देखिये कि किस तरह सारे लाभार्थी देश भारत के लिये दिल खोलकर खड़े है ।


लुक ए बिट हायर - देखिये कि रक्षा के मामले में हम अब चीन की छाती पर चढ़कर खड़े है, देखिये कि अब भारत में भी लड़ाकू विमान बनने लगे है, देखिये कि अब भारत की सेना को किसी भी चीज की कमी नही है ।


लुक ए बिट हायर - देखिये कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में, अनगिनत विरोधी और दुश्मन होने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी का विश्वास कभी डिगता नही है तो आपका विश्वास क्यूँ डिगता है ? देखिये कि वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जनता द्वारा लगातार दूसरी बार जिताया गया प्रधानमंत्री है ना कि कोई सेना द्वारा बनाया इमरान खान या पार्टी ऑफिस में बना शिनपिंग या कोई तख्ता पलट करके बना तानाशाह है तो आपने जैसे वोट देकर जिताया था वैसे ही आज भी डटकर खड़े रहिये ।


अगर दुनिया के किसी भी लेफ्टिस्ट को ये गलतफहमी हो कि किसी भी आंडू-पांडू को पैसे देकर कुछ ट्वीट्स करवाने से वो भारत सरकार का तख्ता पलट करवा देगा या मोदी को तानाशाह साबित कर देगा या उसे ट्रंप की तरह चुनाव में हरवा देगा तो उसे एक बार गांधीनगर के काँग्रेस कार्यालय का एक चक्कर जरूर लगाना चाहिये जहाँ बीस साल से कोई कुत्ता भी मूतने नही जाता .... ये उसी काँग्रेस का कार्यालय है जिसने मोदी को खत्म करने के लिये सत्ता का हर पैंतरा आजमाया , अमेरिका को पत्र तक लिखे लेकिन ना वो गुजरात में उसे हरा सके और ना ही प्रधानमंत्री बनने से रोक सके ।


जो गंदगी मोहल्ले की नाली में होती है वही गंदगी शहर के बड़े नालों में भी होती है इसलिये ना नाली में पैर डाला जाता है और ना नाले में,  ना कोई नाली किनारे घूमने जाता है और ना ही नाले किनारे अर्थात वामपंथी देशी हो या ग्रेटा, रेहाना जैसा विदेशी ... हमारे लिये नाली और नाले में कोई फर्क नही है ।


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 1. If poison expires; is it more poisonous or is it no longer poisonous?

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2. Which letter is silent in the word "Scent," the S or the C?

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3. Do twins ever realize that one of them is "Unplanned"?

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4. Why is the letter W, in English, called double U? Shouldn't it be called double V?

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5. Maybe Oxygen is slowly killing you and It just takes 75-100 years to fully work.

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6. Every time you clean something, you just make something else dirty.

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7. The word "swims" upside-down is still "swims"

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8. 100 years ago everyone owned a Horse and only the rich had Cars. Today everyone has Cars and only the rich own Horses.

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9. If you replace "W" with "T" in "What, Where and When", you get the answer to each of them.

🤔

Still have time for fun..?

Let's try this


Six Great Confusions

Which are still unresolved

😄😂

1. At a movie theatre, which arm rest is yours?


2. If people evolve from monkeys, why are monkeys still around?


3. Why is there a 'D' in fridge,

but not in refrigerator?


Well Try this now

Vagaries of English Language! Enjoy.!!!

😀


•Wonder why the word "Funeral" starts with FUN?


•Why isn't a Fireman called a Water-man?


•How come Lipstick doesn't do what it says?


•If money doesn't grow on trees, how come Banks have Branches?


•If a Vegetarian eats vegetables, what does a Humanitarian eat?


•How do you get off a non-stop Flight?


•Why are goods sent by Ship called CARGO, and those sent by Truck SHIPMENT?


•Why do we put cups in the "Dishwasher" and the dishes in the "Cupboard"?


•Why do doctors "Practice" medicine? Are they having practice at the cost of the patients?


•Why is it called "Rush Hour" when traffic moves at its slowest then?


•How come Noses run and Feet smell?


•Why do they call it a TV 'set' when there is only one?


•What are you vacating when you go on a "Vacation"?


We can never find the answers

Can we❓


Some puns..& some good fun..!!!😀

1. My best mates and I played a game of hide and seek. It went on for hours... Well, good friends are hard to find.

2.  You’re not completely useless, you can always serve as a bad example.

3. I broke my finger last week. On the other hand, I’m okay.

4. Someone stole my Microsoft Office and they’re gonna pay.

You have my Word.

5. eBay is so useless. 

I tried to look up lighters and all they had was 13,749 matches.

6. I can't believe I got fired from the calendar factory. 

All I did was take a day off.

7. My boss is going to fire the employee with the worst posture. 

I have a hunch, it might be me.

8. Don't spell part backwards.

It's a trap.

9. My dad died when we couldn't remember his blood type. 

As he died, he kept saying, children "be positive," but life is hard without him.

10. And the Lord said unto John, “Come forth and you will receive eternal life.”

But John came fifth, and he got hell.

11. What is the best thing about living in Switzerland? 

Well, the flag is a big plus.

12. Did you hear about the guy who got hit in the head with a can of soda? He was lucky it was a soft drink.

13. How did I escape Iraq? 

Iran.

14. To the mathematicians who thought of the idea of zero. Thanks for nothing!

15. Son: "Dad, can you tell me what a solar eclipse is?"

Dad: "No sun."

16. My math teacher called me average. 

How mean!

17. Clinic Receptionist: “Doctor, there's a patient on line that says he's become invisible". 

Doctor: “Well, tell him I can't see him right now."