Sunday 29 November 2020

किसान बिल

मोमिन नज़ीर मुहमद पगड़ी पहन सिख बनने का ढोंग कर इस फर्जी किसान आंदोलन में उत्पात मचाने हेतु सम्मिलित हुआ है, 

तो वहीं दूसरी ओर ₹500 दिहाड़ी लेकर शाहीन बाग में बैठने वाली वृद्ध मोमिना इस बार किसान बनने की नौटंकी कर इस आंदोलन में पंजाब से आई एक सिख वृद्धा बनने का स्वांग रच रही है।

क्रोनोलॉजी समझिए, इन लोगों का किसी भी बिल, किसी भी कानून और किसानों से कोई लेना देना नहीं है:-

इनके हथकंडे वही शाहीन बाग वाले हैं, 
इनका आचरण भी वही शाहीन बाग  वाला है,  
इनकी हरकतें भी वही शाहीन बाग वाली है, 
इनके मूवमेंट भी शाहीन बाग वाले हैं,
इनके स्पॉन्सर भी वही शाहीन बाग वाले हैं, और 

इनका उद्देश्य भी वही शाहीन बाग वाला है।




पंजाब में चल रहे किसान आंदोलन का मुख्य कर्ताधर्ता है केवल दो साल पहले अस्तित्व में आया एक नया किसान संगठन "भारतीय किसान यूनियन -एकता उग्राह"। मात्र दो सालों में ये पंजाब का सबसे बड़ा संगठन बन गया। इसका पीले रंग का झंडा है, जिस पर बैलो से हल जोतते हुए किसान की तस्वीर है।

पर जब इस संगठन के बारे में और पता किया तो सब कुछ उल्टा पुल्टा नज़र आया। दरअसल ये संगठन के लोग NRC-CAA विरोध में शाहीनबाग में हुए प्रदर्शनों में बढ़ चढ़ कर शामिल हुए थे।नागरिकता कानून में किसानों का क्या काम? जबकि किसी nrc/caa के किसी फॉर्मेट में इनका नाम तक नही। शाहीनबाग में लंगर चलाते हुए जिन सिंखो की तस्वीरें वायरल हुई थी वे सब इसी किसान संगठन से जुड़े हुए थे। भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राह ने पंजाब में भी अनेको जगह CAA NRC के खिलाफ प्रदर्शन किए थे। पुरषो में पीली पगड़ी और महिलाओं में पीली चुन्नी इनकी पहचान है। सुनने में आता है कि ये बेहद धनवान संगठन है जिसमे पंजाब के लगभग सभी बड़े जमीदार शामिल है।

शाहीनबाग में इस संगठन की उपस्थिति, मात्र दो सालों में पूरे पंजाब का सबसे बड़ा किसान संगठन बन जाना।ये कुछ ठीक नही। हम सब जानते है कि हमारे दुष्ट पड़ोसी के भी पंजाब में अपने स्वार्थ है और देश के भीतर बैठी एक पूरी जमात पिछले 6 सालों से ये चाहती आई है कि ये हर ऐसा आंदोलन हिंसक हो जाये, सरकार कुछ गोली वोली चलवा ताकि इन्हें अपना देश की तोड़ने बांटने के एजेंडे को बल मिले और मोदी को खत्म करने का रास्ता बने। ऐसे में इस नाजुक मामले को देखते हुए सरकार को बातचीत में इन्हें एंगेज करना चाहिए। बलप्रयोग पंजाब में हालात को और खराब ही कर देगा। यंहा किसान आंदोलन के साथ साथ मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का भी है।

विकास बालियान के FB से कुछ फ़ोटो यहां अटेच है। इनमें ज्यादातर भारतीय किसान यूनियन-एकता उग्राह के शाहीनबाग में शामिल होने की है।

किसानों के नाम पर देश में शाहीन बाग की तर्ज पर अलग अलग जगह आंदोलन के नाम पर लोगों को मरवाने कि कांग्रेसियों की साज़िश शुरू।

इस साज़िश का भांडा फोड़।  

ये पूरे देश मे आग लगाने की कोशिश है।  

विपक्ष को पूरी तरह पता है कि सरकार इस को रोकने के लिए पूरी जान लगा देगी ।

विपक्ष चाहता है कि पुलिस कार्यवाही में लोग मारे जाएं और फिर वो उनकी लाश पर राजनीति कर पूरे देश के किसानों को सरकार के खिलाफ कर सके ।

चैनल्स को जम के पैसा दे दिया गया कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को अन्नदाता कह कर सहानुभूति इकट्ठा कर इनके पक्ष में माहौल बनाओ , 

चैनल आपको ये नहीं बताएंगे की आंदोलन की आड़ में , ट्रेन की पटरी पर बैठ जाएंगे , पूरे उत्तर भारत का पर्यटन , यातायात , ठप्प कर देंगे और ये ही लोग कुछ दिन बाद जीडीपी पर ज्ञान देंगे।  

ये आंदोलन भी गुर्जर आंदोलन की तरह सरकार को विकास से पीछे धकेलने की साज़िश है ।

केजरीवाल ने ट्वीट किया है कि किसानों को आंदोलन करने से रोका जा रहा है। 

समझ जाइए की आंदोलन के पीछे इनका कौन सा हित पूरा हो रहा है, किसानों के दिल्ली जाम करने से इनको क्या मिलने वाला है। 

केजरीवाल किसान आंदोलन के नाम पर पंजाब के किसानों में अपनी पैठ बनाना चाहता है। 

विपक्ष को समझ आ गया है कि 

केंद्र सरकार किसानों को किसान निधि , यूरिया की नीम कोटिंग ,बैंक से लोन , और अब पूरे देश के किसानों की ज़मीनों की ड्रोन द्वारा रजिस्ट्री करवा कर पूरे देश के किसानों के हितों की रक्षा कर रही है , 

और 

देश का किसान सरकार के किसान बिल से भी खुश है सिवाय उन आढ़तियों और दलालों के पूरे देश के किसान को किसान बिल से कोई दिक्कत नहीं है ।

ये जो किसान बन कर देश जलाने की साज़िश करने आए हैं , ये कांग्रेसी कार्यकर्ता है , बिचौलिए है , आढ़ती है और कुछ आपिए या विरोधी भी है जो चाहते हैं कि देश के किसानों में गलत संदेश जाए ,

लेकिन इन सबकी साज़िश लोग समझ चुके हैं

कोंग्रेस ने पिछले कार्यकाल में किसानों के लिए कुछ किया होता तो आज किसान खुदकुशी नहीं कर रहा होता , आज किसानों को गरीबी से ऊपर उठाने की कोशिश हो रही है तो इनको दिक्कत हो रही है ।

सरकार को ऐसे साज़िश भरे आंदोलन को कठोरता से कुचलना चाहिए और जो नेता बने है उनकी आईडी चैक कर असलियत पता करनी चाहिए। 


Is 'Farmer's Protest' a New Shaheen Bag?

Let's connect the dots.

1. Farmers Protesting are raising Pro-Khalistan slogans, using Bhinderwala's posters, abusing Hindus & giving Pro-Khalistani Speeches.

Isn't it the same as the PFI funded Shaheen Bag?

It's Pakistan Supported Pro Khalistan Movement.

2. These Farmers have ration for at least 6 Months & good quality tents. Why this level of planning? Can unorganized farmers do such level of planning who claiming to fight for 4-5 ₹ difference in price?

Isn't it the same like Shaheen Bag?

3. AAP refused permission to CRPF to turn stadiums into temporary jails. Isn't it the same as AAP's Leaders like Amantullah Khan Supported Shaheen Bag & also Kejriwal indirectly helped the Protest?

4. Farmers Bills do clearly says that it's not gonna affect old system but will also benefit to the farmers but again Congress started it's fake News Propaganda like it does in Anti-CAA Protests. So again Congress used Farmers as face like they used Dadis in Shaheen Bag.

5. All the 'Celebrities' especially Punjabi, started their PR machine to support these Protests at the time when these Protests just started and didn't even made big news Isn't it the same as Bollywood Supported Shaheen Bag?

6. Same 'Loktantra khatre me hai Sanvidhan bachao' and all things are being said for these Protests. Isn't it similar to S.B.?

7. They choose Jantar Mantar as the location to Protest.

Why?

In Shaheen Bag Protests the thing which made them infamous was the selection of the location. Supreme Court asked them to shift to Jantar Mantar because S.B. is troubling common people.

And now when they choose the location suggested by SC then how someone will challenge the Protests?

8. Farmers live in the whole India but why these bills just triggered Farmers of Punjab when in Farmers in other parts are happy & thanking the govt for it? That too after months like Shaheen Bag?

There are so many other points also but I think these are enough to prove it that it's an another well planned conspiracy in collaboration by Pakistan, Leftists & Congress because Modi is the Only target of all these.

https://twitter.com/Wo_Sharma_Ji/status/1332233628491927552?s=08



हम किसानो के साथ तो है परन्तु देश दुरोहियो के साथ नही है – राष्ट्रिय सैनिक संस्था 

30 नवम्बर 2020 , मुख्यालय राष्ट्रीय सैनिक संस्था , 133 बी मोडल टाउन ईस्ट , गाज़ियाबाद – आज यहाँ राष्ट्रिय सैनिक संस्था की एक राष्ट्रिय वेबिनार में देशभर के सभी सदस्य पूर्व सैनिको एवं देश भक्त नागरिको ने कहा की हम सब किसानो के बेटे है और उनके साथ हैं  परन्तु हम किसानो के आन्दोलन में असामाजिक तत्वों , नागरिकता कानून के विरोधियो , कट्टर मुसलमानों और देश के विरुद्ध बात करने वाले लोगों का समर्थन नही करते , बल्कि उनका विरोध करते है |

राष्ट्रिय सैनिक संस्था के पदाधिकारी और किसान नेता मनवीर सिंह तेवतिया ने कहा की असल समस्या कृषि कानून की नहीं है बल्कि किसानो को दिए गये उधार , बिजली और प्राइवेट संस्थानों द्वारा ठेके पर ली गई किसानो की जमीं की है | इस सम्बन्ध में समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को बताया जायेगा |

राष्ट्रिय सैनिक संस्था के राष्ट्रिय अध्यक्ष वीर चक्र प्राप्त  कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी ने कहा की क्या देश के 27 प्रदेशो में किसान नही रहते | वो यहाँ क्यों नही आयें | यहाँ ज्यादातर आड़ती हैं  ,  या दलाल हैं , या खालीस्तानी है , या पंजाब के वो लोग हैं जिनका कमीशन इन कृषि के कानूनो द्वारा बंद हो गया है |

राष्ट्रिय सैनिक संस्था के दिल्ली प्रदेश के संयोजक श्री राजीव जोली खोसला ने कहा की हमे तो ये विपक्षी दलों का एक षडयन्त्र लग रहा हैं | ऐसा प्रतीत होता है जैसे इन लोगों का देश में दंगा फैलाने का इरादा है 

राष्ट्रिय सैनिक संस्था की राष्ट्रिय काउंसिल के वरिष्ठ सदस्य मेजर सुशिल गोयल , कलकत्ता से श्री अशोक जैन , कश्मीर से मौलाना मकबूल मलिक , मुंबई से विजय मिश्रा ने कहा की राष्ट्रिय सैनिक संस्था आवश्यकता पड़ने पर किसानो के साथ खड़ी होगी और उनमे छुपे हुए दलालों का पर्दाफास भी करेगी | 

इस अवसर पर सर्वेश मित्तल , सतेंद्रा , उर्वशी वालिया , डा दयानंद तिवारी , हर्ष मोदी , मोहम्मद मकबूल मलिक , प्रतिक चौहान , चेतना सेनी , स्वाति बंसल , काजोल गौतम आदि ने भी किसानो का तो समर्थन किया परन्तु आन्दोलन के तरीके का नही |

उर्वशी वालिया , प्रदेश अध्यक्ष , दिल्ली , महिला विंग , राष्ट्रिय सैनिक संस्था


1 ,    सबसे अधिक गेहूँ कहाँ उगता है ? - पंजाब में । 

सबसे अधिक गेहूं कौन खरीदता है ? - 

FCI 

FCI किससे खरीदता है ? - बड़े बड़े आड़तियों से ।

पंजाब की सबसे बड़ी आड़ती कंपनी कौन है ? - सुखविंदर एग्रो 

सुखविंदर एग्रो किसकी कंपनी है ?- हरप्रीत बादल की। 

2 .     सबसे अधिक गेहूं कहाँ सड़ता है ?- FCI के गोडाउन में ।

सड़ा हुआ गेहूं कहाँ काम आता है ? - सड़ा हुआ गेहूँ शराब बनाने में काम आता है ।

सड़ा गेहूँ कौन बेचता है और वह भी सबसे कम दाम पर ? - FCI बेचता है ।

सबसे अधिक शराब की खपत कहाँ होती है ? - पंजाब में । 

हमेशा "खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय" किसके पास रहता है ? - हरप्रीत बादल के पास रहता है। 

3 .     ऐसा ही सब कुछ महाराष्ट्र में भी चल रहा है ।

शराब की भट्टियां किसकी हैं ? - कांग्रेस + एनसीपी के नेताओं की । 

चीनी के कारखाने किसके कब्जे में हैं ? -  कांग्रेस के और राकांपा के नेताओं के कब्जे में हैं । 

चीनी के कारखानों में क्या उत्पादन होता है ? - चीनी और एल्कोहल दोनों ।

एल्कोहल का उपयोग कहाँ होता है ?-

शराब बनाने के लिए । 

ऐसा ही यह सीधा सा हिसाब है, आया क्या आपके ध्यान में ? 

और मोदी ने इस संबंध को नष्ट कर दिया है, आया कुछ समझ में ? 

अब आया आपको समझ में कि मोदी जी का विरोध क्यों कर रहे हैं  ये भ्रष्टाचारी लोग ?

ध्यान दें पंजाब का किसान अंदोलन,  जिसमें पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए हरे रंग का झंडा फहराया जाता है, खालिस्तानी आतंकवादियों की तस्वीरें लगाकर देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं, "इंदिरा गांधी को उड़ा दिया था, मोदी भी उड़ा देंगे......" ऐसे आह्नान किये जा रहे हैं (YouTube पर यह सब देखा जा सकता है ।)

ज्ञानी लोगों को समझ में आता है कि, किसान लोग निश्चित रूप से ऐसा उद्योग नहीं करेगा ! शेष आप स्वयं निर्णय करें ।


अभी तक तो किसान आंदोलन को बदनाम किया जा रहा था कि यह सिर्फ खालिस्तानियों का आंदोलन है।

इस बात को झुठलाने के लिए अब इस आंदोलन में देश भर के बड़े बड़े किसान और उसके संगठन जुड़ गए है। अब इस आंदोलन से देश भर के असली किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए आने लग गए है। अभी तक आप लोग जो इस किसान आंदोलन को खालिस्तानी आंदोलन कह कर बदनाम कर रहे थे वह गलत साबित हो रहा है। देखिए इस आंदोलन में कैसे कैसे धुरंधर किसान शामिल हो रहे है........

पटना से किसान नेता पप्पू यादव पहुंच चुके हैं।

आप पार्टी के सभी किसान नेता जैसे संजय सिंह , गोपाल राय, राघव चड्ढा आदि सब पहले से मौजूद है।

इसके अलावा स्वतंत्र किसान नेता मेघा पाटकर ओर योगेंद्र यादव भी शुरू से सम्मिलित है।

बाकी JNU से युवा किसान नेता कन्हैया कुमार जी अपने नेताओ के संग पहुचने वाले है।

ओर बड़ी खबर ये है की कनाडा से किसी बड़े सरदार किसान नेता ने वीडियो बना कर घोषणा करी है की आंदोलन के लिए 1 मिलियन डॉलर देगे ताकि किसी का ट्रेक्टर जले ट्राली जले ट्रक जले उसे तुरंत वही मुआवजा दिया जा सके और जय खालिस्तान के साथ उन्होंने वीडियो समाप्त किया ।

विशेष बात तो यह है कि,,,

अनाज की जगह बीवियों की खेती करने वाले ईमानदार लोग तो पहले दिन से ही पूर्ण समर्थन में है ।

उधर ऑस्ट्रेलिया से उन्नत कृषि के तरीके सीख कर आए अखिलेश यादव जी अपने किसानों को गाजीपुर बॉर्डर ब्लॉक करने भेज ही चुके है ।

और तो और सुदूर पूर्व से महान किसान नेत्री ममता बैनर्जी जी ने भी अपना पूर्ण नैतिक समर्थन इस आंदोलन को दिया है , वो आ नही सकती क्योंकि वो बंगाल में किसानों की सेवा में समर्पित है ।

और सबसे खास बात ये कि किसानों की चिंता में देश के महान व युवा नेता राहुल जी गांधी तो इतने गमगीन है की गोवा में बैठ कर एकाग्रचिंतन कर अपना पूर्ण मोरल स्पोर्ट पहले ही दिन से दे चुके है ।

और अभी अभी खबर मिली है की उभरते हुवे जोशीले युवा किसान चन्द्रशेखर रावण अपनी युवा किसान भीम सेना के साथ दिल्ली पहुंच चुके है ।

किसान की बेटी और माँ शाहीन बाग की दादी भी अपना समर्थन देने पहुँच गयी।

और इन सब ने मिल कर घोषणा करी है की आंदोलन पूर्णत किसानों का है ओर इसमे कोई राजनीति नही है व किसी भी राजनीतिक नेता को आंदोलन में घुसने नही दिया जाएगा।

इधर देखो ये लाख रु किलो की मशरूम खाने वाला पूंजीपति मोदी कितना अत्याचारी है की इतने बड़े बड़े और गम्भीर किसान नेताओ की बात ही नही सुन रहा।

सुनने में आया है कि बिहार के भी किसानों के नेता श्री तेजस्वी यादव जी अपने पूरे कुनबे के साथ इस आंदोलन में शामिल होने वाले है।

अब देखना है ये कि मोदी जी की टीम इस विकट स्तिथि से कैसे निकल पायेगी।

और हाँ 

इस आंदोलन में पहली बार बिना मूंछों के सरदार किसानों के रूप में देखे गए है। 



यूपी बिहार के किसानों के हज़ारों करोड़ रुपये हर साल लूटने वाले पंजाब के खतरनाक लुटेरे और डकैत अब किसान की नकाब पहन कर दिल्ली में कर रहे हैं दंगा फसाद बवाल.? यह सच भी जानिए...इन खतरनाक लुटेरों द्वारा यूपी बिहार के किसानों की लूट का सच जानने समझने के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि आप पहले इन तथ्यों से परिचित हो जाइए...पंजाब सरकार के कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार इस वर्ष 2019-20 में पंजाब में कुल 22.91 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था और धान की औसत उपज लगभग 6.6 टन प्रति हेक्टेयर रही थी. अर्थात्‌ पंजाब में कुल 15.2 मिलियन टन धान की पैदावार हुई थी. लेकिन आप यह जान कर चौंक जाएंगे कि वर्ष 2019-20 में पंजाब की सरकारी मंडियों में MSP पर कुल 16.38 मिलियन टन धान खरीदा गया. अब आप सोचिए जरा कि लगभग 12 लाख टन अतिरिक्त धान पंजाब की सरकारी मंडियों में MSP पर बिकने के लिए कहां से आया.? हालांकि यह 12 लाख टन की मात्रा भी सही नहीं है क्योंकि यह स्थिति तो तब होगी जब किसान धान का एक एक दाना सरकार को बेच दे. जबकि यह असम्भव है. क्योंकि अपने खाने के लिए, साप्ताहिक ग्रामीण बाजारों में बिकने के लिए तथा राइस मिलों को भी किसान अपना धान सीधे बेच देता है. जाहिर सी बात है कि कम से कम, लगभग 20 से 25 लाख टन धान पंजाब के बाहर यूपी और बिहार के किसानों से बहुत सस्ते दामों पर लाकर पंजाब की सरकारी मंडियों में बेच दिया जाता है. यह कोई यह हवा हवाई बातेँ अनुमान या दावा नहीं है. इसी वर्ष 20 अक्टूबर को पंजाब के बाहर से लाए जा रहे 822 टन धान से लदे 32 ट्रक पुलिस द्वारा पटियाला में पकड़े गए थे. हालांकि यह कार्रवाई एक दिखावा मात्र ही थी ताकि सरकार पर उंगली ना उठ सके. जहां 20-25 लाख टन बाहर से लाकर पंजाब की सरकारी मंडियों में बेचा जा रहा हो वहां केवल 822 टन धान की धर पकड़ को दिखावा मात्र ही कहा जाएगा.  यूपी बिहार से ट्रक पर लाद कर लाने का खर्च और फिर उसपर इन दलालों का मोटा मुनाफा अगर जोड़ लिया जाए तो आप खुद अनुमान लगा लीजिए कि यूपी बिहार के किसानों से ये दलाल कितने कम मूल्य पर धान और गेंहूं की खरीदारी करते रहे हैं. ध्यान रहे कि ये दलाल यही खेल गेंहूं के साथ भी करते हैं. यही कारण है कि सरकारी मंडियों में धान और गेंहूं की सरकारी खरीद का FCI का 60-65 % कोटा पंजाब से ही पूरा हो जाता है. शेष देश विशेषकर यूपी बिहार का किसान खाली बैठा रह जाता है. यह केवल इसी वर्ष की कहानी नहीं है. 2017-18 में पंजाब में 25.19 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 6.5 टन दर्ज की गयी थी. अतः धान की औसत से पैदावार लगभग 16.4 मिलियन टन हुई थी. लेकिन पंजाब की सरकारी मंडियों में धान की खरीद हुई थी 17.95 मिलियन टन धान की. ये लगभग 15.5 लाख टन अतिरिक्त धान पंजाब में कहां से आ गया था.? वह भी तब जब यह मान लिया जाए कि पंजाब के किसानों ने धान की अपनी पैदावार का एक दाना भी ना अपने खाने के लिए रखा हो, ना बाहर कहीं बेचा हो. हालांकि हम सब जानते हैं कि यह असम्भव है. 2018-19 में इस लूट पर कुछ रोक लग पायी थी जब पंजाब में धान की पैदावार लगभग 16. 86मिलियन टन हुई थी और वहां की सरकारी मंडियों में कुल 17.05 लाख टन की खरीद हुई थी. लाखों टन धान की तस्करी कर के पंजाब में MSP के जरिए यूपी बिहार के किसानों के हिस्से के हज़ारों करोड़ रुपये की लूट करने वाले पंजाब के इन डकैतों दलालों की उस लूट और डकैती पर नया कृषि बिल पूर्ण विराम लगाने जा रहा है इसीलिए ये डकैत और दलाल किसान के भेष में दिल्ली में बवाल और दंगा करने पर उतारू हो गए हैं. इनका यह सच पूरे देश में विशेषकर यूपी बिहार के हर किसान तक अपने अपने तरीके से वॉट्सएप फ़ेसबुक के जरिए अवश्य पहुंचाये.


चीन और पाकिस्तान के हमले के खिलाफ तैयार भारत की सेना की कमर को रेल, सड़क और संचार व्यवस्था ध्वस्त कर के पहले ही तोड़ देने की इस देशद्रोही साजिश को जानिए समझिए...

ध्यान से पढ़िए...

देश और दिल्ली से जम्मू-कश्मीर को जोड़ने वाले सड़क व रेल मार्ग को तथाकथित किसान आंदोलन की आड़ में जाम कर के बैठे गुंडे कोई किसान नहीं बल्कि भारत विरोधी गैंग के गुंडे और दलाल हैं.

लेह लद्दाख कश्मीर में तैनात लाखों भारतीय सैनिकों की रसद, दवाइयां और उन तक गोला बारूद हथियार की सप्लाई पिछले एक महीने से रेल-सड़क मार्ग जाम कर के इन देशद्रोही गुंडों ने रोक रखी है.

सरकार फ़िलहाल हवाई जहाज से फौजियों तक यह सामान पहुंचा रही है. लेकिन यह व्यवस्था काम चलाऊ है. सीमा पर तैनात लाखों सैनिकों के लिए यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है. लेकिन इन देशद्रोही गुंडों ने अब जियो के लगभग डेढ़ हजार मोबाइल टॉवर ध्वस्त कर दिए हैं और आगे करते जा रहे हैं. यह एक भयानक साजिश है जिसके तहत पाकिस्तान से लगी सीमा वाले पंजाब में संचार व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त किया जा रहा है. पंजाब की कांग्रेसी सरकार इसे खुला समर्थन कर रही है.

भारतीय सेना की रेल-सड़क सम्पर्क और संचार व्यवस्था को पूरी तरह काट कर चीन और पाकिस्तान की तरफ से होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में भारतीय सेना को पूरी तरह लाचार और लचर स्थिति में पहुंचा देने की भयानक तैयारी कर रहे हैं ये देशद्रोही गुंडे. क्योंकि नए कृषि कानून और किसान आंदोलन से भारतीय सेना के जवानों या जियो की मोबाइल फोन सर्विस का किसी भी प्रकार का कोई लेना-देना दूर दूर तक नहीं है.

कृपया ये सन्देश देश के हर नागरिक तक पहुंचाने में अपनी पूरी शक्ति और सामर्थ्य झोंक दीजिए. वर्ना बहुत गम्भीर और भयानक परिणाम देश को भोगने पड़ेंगे.

इन देशद्रोही गुंडों को खुलकर अपना समर्थन और सहयोग दे रहे राजनीतिक गिरोहों के इस देशघाती चरित्र और चेहरे के खिलाफ जनता को खुलकर जागरूक करिए.

इन देशद्रोही गुंडों द्वारा मीडिया विशेषकर न्यूजचैनलों के साथ मिलकर किसानों के नाम पर बिछाए गए इस भारत विरोधी इमोशनल ब्लैकमेल के जाल को काटने में लगी हुई है. इसमें हमारा आपका योगदान भी अब बहुत जरूरी हो गया है.


दिलीप आप्टे जी के एक आलेख से इस एंगल पर रोशनी पड़ी कि #किसानबिल के नए फार्म रिफॉर्म की जड़ क्या है और राजनेता इससे क्यों चिंतित हैं? इसे सही ढंग से समझने के लिए इस विश्लेषण को पढ़ें।

नई प्रणाली में, #कृषिउपज के व्यापारियों को #केंद्रीय_प्राधिकरण के साथ अपने PAN के साथ उन्हें पंजीकृत करना होगा।

प्रथम स्तर का लेनदेन जो (किसान और व्यापारी के बीच) जीएसटी प्रणाली के दायरे से बाहर है।

धीरे-धीरे, आगे कृषि व्यापार (हालांकि पंजीकृत व्यापारियों) को जीएसटी प्रणाली में लाया जाएगा। नतीजतन, कृषि उपज की बिक्री और आय सरकार के रिकॉर्ड में मिल जाएगी।

GAME यहाँ से शुरू होगा। किसान तो हमेशा आयकर और जीएसटी प्रणाली से मुक्त रहेंगे। लेकिन जो ट्रेडर्स इन #एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को अप-स्ट्रीम बेचते हैं उन्हे जीएसटी और इनकम टैक्स के दायरे  में लाया जाएगा

इसे यहाँ समझने के लिए एक उदाहरण है। अगर #सुप्रियासुले और #चिदंबरम को अपने अंगूर और गोभी को व्यापारियों को क्रमशः 500 करोड़ रुपये में बेचना है, तो उन्हें आयकर से छूट रहेगी, लेकिन उन्हें अपने #आईटीआर में जिस व्यापारी  को माल बेच उसके #PAN को उद्धृत करना होगा।

ट्रेडर को अप-स्ट्रीम में माल को बेचकर अपनी आय पर 500 करोड़ रुपये और #आयकर पर जीएसटी का भुगतान करना होगा।

कल्पना कीजिए कि यदि कोई अंगूर और कोई गोभी है ही नहीं  (सिर्फ भरष्टाचार का पैसा है)तो  स्वाभाविक रूप से, व्यापारी सुप्रिया सुले या चिदंबरम से जीएसटी और आयकर वसूल करेगा!
 इसलिए, सभी सुले,सभी चिदंबरम,सभी भृष्ट नेताओं को, जो कमीशन एजेंट और दलाल हैं, उन्हें अपनी कृषि आय दिखाने के लिए अब एक बड़ी रकम का भुगतान इनकम टैक्स और GST के रूप में भुगतना होगा। ये रकम करोड़ों में नही बल्कि अरबों में है

 ईमानदार किसान, जिनके पास वास्तव में कृषि उपज थी, वे इस दायरे  से मुक्त रहेंगे।

यही इस मामले कि #जड़ है। इसलिए सारे भिर्ष्टाचारी बिलबिला रहे हैं, यदि ये बिल रहा तो उनके भृष्टाचार से कमाए ख़ज़ाने में छेद हो जायेगा।
पंजाब और महाराष्ट्र में कृषिगत भृष्टाचार सबसे ज्यादा है, साथ ही वाड्रा के साम्रज्य का बड़ा हिस्सा हरियाणा में है तो विरोध वहीं से आ रहा है!

यदि कल को अम्बानी अडानी इन किसानों से माल खरीदते भी हैं तो उन्हें उस खरीद पर सरकार को GST और टैक्स देना होगा जो अब तक टैक्स से बचा हुआ था।

अब आप समझ सकते हैं कि सारे #विपक्षी राजनेता #आंदोलनकारियों की भीड़ इकट्ठा करने में इतना भारी धन क्यों खर्च कर रहे हैं।

अगर भारत से भरष्टाचार का चूल मूल खत्म करना है तो सही बिलों के पीछे छुपी #राष्ट्र_निर्माण की मंशा को समझना होगा और समर्थन करना होगा
😇🇮🇳
#FarmersWithModi #FarmersProtest 
#CurruptionFreeBharat

किसानों का आदोलंन को राजनीतिक पार्टीयाओ के द्वारा उग्र बनाया जा रहा है।जिसमें मुख्य विरोधी घटक दल आम आदमी पार्टी,कांग्रेस,वामपंथी Communist, व कुछ किसान संगठन जो इन राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी है,शामिल है।किसानों का आंदोलन फार्म ला से भटकर अब देश विरोधी तत्वो द्वारा हाई जैक कर लिया गया है
इस आदोलंन को चलाने की धूरि पंजाब से है।हरियाणा,उत्तर प्रदेश के पश्चिम भाग व राजस्थान के कुछ किसान शामिल है।पहले किसान संगठनो की माँग सिर्फ फार्म ला को हटाने तक सीमित थी।लेकिन अब यह भारतीय उद्योगपतिओ खासकर अंबानी,अडानी व बाबा रामदेव के Product का बहिष्कार करने पर केंद्रित हो गयी हैं।ध्यान रहे भारत में चल रहे मुस्लिम उधोगपतियो व विदेशी कंपनियाँ जैसे नेसले,कोकाकोला जो पंजाब में चल रही है उनके सामान का बहिष्कार करने की कोई माँग नही की गयी हैं।जीयो के 15 मोबाइल टावरो को किसानों के बीच छिपे अराजकता फैलाने वाले तत्वो ने भारी नुकसान पहुँचाया है।कारण समझो।जो Communist बिचारधारा के नेता जैसे सीताराम यचूरी व कांग्रेस के मोदी विरोधी तत्वो की चाल है कि भारतीय सामान का बहिष्कार करवाकर चीन का सामान भारत में बिकता रहे।चीन के साथ बारडर पर चल रही तनातनी के बीच ऐ Anti national elements चाईना की मदद से इस आंदोलन को धार दे रहे हैं।फार्म ला तो बहाना है इनका असली मकसद भारत को आर्थिक रूप से कंगाल करना हैं।कनाडा से भी वहाँ के पंजावियो द्वारा इस आंदोलन को चलाने के लिए फंडिग दी जा रही है।मोदी जी के द्वारा आत्मनिर्भर भारत के कारण आज हमारे भारतीय उधोगपति भारत में ही सामान बना रहे हैं।जो पहले चीन व बाकी देशों से आता था।चीनी सामान का भारतीयों ने बहिष्कार कर दिया जिससे चाईना की आर्थिक खुशहाली की रीड की हड्डी टूट गयी हैं।इसीलिए चीन बोखलाया हुआ है।याद करे कैसे राहूल गाँधी 2008 में चीन से बयापारिक समझोता करके आऐ थे।व कयी बार चीन के राजदूत को मिलकर आऐ।जबकि वह केंद्रीय मंत्रीमंडल में भी नही है।बल्कि हारी हुई कांग्रेस पार्टी का सिर्फ़ सांसद है।चीन से आयात बंद होने के बाद मोदी जी ने Vocal For Local का करोनाकाल में नारा दिया।उसका असर यह हुआ कि चीन से आने वाला सामान आज भारत में बन रहा है।लाखों लोगों को आज भारत में रोजगार मिल रहा हैं।देश का पैसा देश के काम आ रहा है।चीन से आयातित सामान जैसे Ventilators,PP Kits,Sanitizer, Face Mask व कच्चा माल आदि सभी सामान भारत में तैयार हो रहा है।भारत के इस इतिहासिक कदम से चीन की आर्थिक आय धराशायी हो गयी हैं।इसीलिए जो Communist व बामपंथी थे व जिनकी चीन आर्थिक रूप से मदद करता था तो ऐसे Anti national elements की राजनीतिक दुकान भी बंद हो गयी।इसीलिए ऐ देश विरोधी ताकते मोदी जी का विरोध कर रही है।जनता को आगे आकर मोदी जी का समर्थन करना चाहिए।याद करो 2014 से पहले देश में बड़े बड़े घोटाले हुए।देश का पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम भी भारी आर्थिक घोटाले व भ्रष्टाचार में सम्मिलित होने के कारण 105 दिन तिहाड जैल में रहा व अभी जमानत पर है।पंजाब में भी खालीसतान परसती ताकते पाकिस्तान की सह पर इस आंदोलन को हर प्रकार की आर्थिक मदद दे रही है।असली किसान तो खैतो में काम कर रहा है।अगर सही किसान आदोलंन में होते तो आज मार्केट में फल व शबजीयो का अकाल पड जाता।खैर अफवाहो से सावधान रहे।व झूठी अफवाहो को सुनकर भ्रमित न हो।अपना जनाधार खिसकता देखकर व अगले साल राज्यो में होने वाले चुनावो को देखकर विरोधी राजनीतिक पार्टियों के चलाऐ जा रहे  कुचक्रो से बचे।नुकसान तो आम जनता का हो रहा है।मोदी जी का समर्थन करे।भारत की एकता बनाऐ रखे।तभी हमारा देश विकाशसील देशों की पंक्ति में खड़ा होगा।


Saturday 28 November 2020

सनातन धर्म

https://drive.google.com/file/d/1DP1I5js2c_6QrxKZFxnXd2AgTExMhPzg/view?usp=sharing

यह पुस्तक 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित की गई थी, जो अब उपलब्ध नहीं है। एक प्रति कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध थी, जिसे Microsoft द्वारा डिजिटाइज़ किया गया है। यह हिंदू धर्म का एक सुंदर परिचय है। बिना किसी स्कूल की संबद्धता के। यह विशेष रूप से युवाओं के अनुकूल है। आप आराम से पढ़ सकते हैं। इसमें 332 पृष्ठ हैं और इसे अपने ज्ञात युवा पीढ़ी के बच्चों के साथ साझा करें। 

यह "सनातन धर्म" पर एक दुर्लभ पुस्तक है


https://drive.google.com/file/d/1DP1I5js2c_6QrxKZFxnXd2AgTExMhPzg/view?usp=sharing

Friday 27 November 2020

पानीपत की तीसरी लड़ाई

लेखक... Jitendra Pratap Singh

 भारत के सबसे बड़े गद्दार शाह वलीउल्लाह देहलवी को भारत के मोमिन  बेहद आदर से याद करते हैं.... हर दीनी किताब में उसका जिक्र होता है हर एक मुस्लिम जलसे में शाह वालीउल्लाह देहलवी का जिक्र होता है उसकी शान  में कसीदे पढ़े जाते हैं.... शाह वलीउल्लाह देहलवी के  पिता औरंगजेब के दरबार  मे थे.... उन्होंने  देखा कि भारत में मुग़लों का शासन कमजोर हो रहा है औरंगजेब का निधन हो गया था और उसे लगा कि अब दिल्ली की गद्दी पर मराठे कब्जा कर लेंगे 


          तब वलीउल्लाह अफगानिस्तान के दरिंदे सुल्तान अहमद शाह अब्दाली के पास गया और उन से निवेदन किया कि आप भारत पर हमला करिये और दिल्ली पर कब्जा करिए और 'काफिरों' का सफाया कर दीजिये... खून की नदियां बहा दीजिये !.... पहले तो अहमद शाह अब्दाली झिझक रहा था लेकिन जब शाह वलीउल्लाह देहलवी ने उसे भरोसा दिया कि मैं भारत के दो लाख मोमिनों की फौज बनाकर आपके साथ लड़ूंगा... आप भारत पर हमला करिये... दिल्ली को मराठों से बचाइए....

         मराठे यह सोच रहे थे कि भारत के मोमिन उसका साथ देंगे क्योंकि भारतीय मोमिन कभी नहीं चाहेंगे कि कोई विदेशी दिल्ली की गद्दी पर बैठे... मराठों को क्या पता था कि अब्दाली को कत्लेआम और लूटपाट के लिए भारत के ही मोमिनों ने बुलाया था...

       मराठी तब चौक गए जब उन्होंने देखा कि हज़ारों मोमिन सैनिक शाह वलीउल्लाह के नेतृत्व में अहमद शाह अब्दाली की सेना में जाकर मिल गए और फिर पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई ... दिल्ली पर अहमद शाह अब्दाली ने कब्जा किया.... अहमद शाह अब्दाली ने लगभग एक लाख हिंदुओं को जिबह कर दिया.... उत्तर भारत में लाखों हिंदुओं का धर्मांतरण करवाया !... पंजाब और दिल्ली को श्मशान और भूतों का डेरा बना दिया...  शाह वलीउल्लाह देहलवी के ऊपर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने भी किताब लिखी है और मसीहा बताया है और यह लिखा है कि यदि यह नहीं होते तो दिल्ली पर हिन्दू राजा कब्जा कर लेते....
                दरअसल.... वह राष्ट्र की अवधारणा में विश्वास नहीं करते ! उन्हें हर मोमिन अपना भाई लगता है... भले ही वो विदेशी क्यो न हो गज़वा ऐसे ही जारी रहेगा...


गुरु तेग बहादुरजी नवंबर 24, 1675

तारीख :- नवंबर 24, 1675...

दोपहर बाद।

स्थान :- दिल्ली का चांदनी चौंक

लाल किले के सामने :-

मुगलिया हुकूमत की क्रूरता देखने के लिए लोग इकट्ठे हो चुके थे,वो बिल्कुल शांत बैठे थे , प्रभु परमात्मा में लीन।लोगो का जमघट। सब की सांसे अटकी हुई।शर्त के मुताबिक अगर गुरु तेग बहादुरजी इस्लाम कबूल कर लेते है तो फिर सब हिन्दुओं को मुस्लिम बनना होगा बिना किसी जोर जबरदस्ती के।

गुरु जी का होंसला तोड़ने के लिए उन्हें बहुत कष्ट दिए गए। तीन महीने से वो कष्टकारी क़ैद में थे। उनके सामने ही उनके सेवादारों भाई दयाला जी , भाई मति दास और उनके ही अनुज भाई सती दास को बहुत कष्ट देकर शहीद किया जा चुका था। लेकिन फिर भी गुरु जी..इस्लाम अपनाने के लिए नही माने।

औरंगजेब के लिए भी ये इज्जत का सवाल था ,क्या वो गिनती में छोटे से धर्म से हार जायेगा।

समस्त हिन्दू समाज की भी सांसे अटकी हुई थी क्या होगा? लेकिन गुरु जी अडोल बैठे रहे। किसी का धर्म खतरे में था धर्म का अस्तित्व खतरे में था। एक धर्म का सब कुछ दांव पे लगा था।हाँ या ना पर सब कुछ निर्भर था।

खुद चल के आया था औरगजेब लालकिले से निकल कर सुनहरी मस्जिद के काजी के पास,,,

उसी मस्जिद से कुरान की आयत पढ़ कर यातना देने का फतवा निकलता था..वो मस्जिद आज भी है..गुरुद्वारा शीस गंज, चांदनी चौक दिल्ली के पास पुरे इस्लाम के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न था. 

आखिरकार जालिम जब उनको झुकाने में कामयाब नही हुए तो जल्लाद की तलवार चल चुकी थी। और प्रकाश अपने स्त्रोत में लीन हो चुका था।

ये भारत के इतिहास का एक ऐसा मोड़ था जिसने पुरे हिंदुस्तान का भविष्य बदल के रख दिया। हर दिल में रोष था। कुछ समय बाद गोबिंद राय जी ने जालिम को उसी के अंदाज़ में जवाब देने के लिए खालसा पंथ का सृजन की। समाज की बुराइओं से लड़ाई ,जोकि गुरु नानक देवजी ने शुरू की थी अब गुरु गोबिंद सिंह जी ने उस लड़ाई को आखिरी रूप दे दिया था।दबा कुचला हुआ निर्बल समाज अब मानसिक रूप से तो परिपक्व हो चूका था 

लेकिन तलवार उठाना अभी बाकी था।

खालसा की स्थापना तो गुरु नानक देव् जी ने पहले चरण के रूप में 15 शताब्दी में ही कर दी थी लेकिन आखरी पड़ाव गुरु गोबिंदसिंह जी ने पूरा किया। जब उन्होंने निर्बल लोगो में आत्मविश्वास जगाया और उनको खालसा बनाया और इज्जत से जीना सिखाया। निर्बल औरअसहाय की मदद का जो कार्य उन्होंने शुरू किया था वो निर्विघ्न आज भी जारी है।

गुरु तेग बहादुर जी जिन्होंने हिन्द की चादर बनकर तिलक और जनेऊ की रक्षा की ,उनका एहसान भारतवर्ष को नही भूलना चाहिए । 

सुधीजन जरा एकांत में बैठकर सोचें अगर गुरु तेग बहादुर जी अपना बलिदान न देते तो हर मंदिर की जगह एक मस्जिद होती और घंटियों की जगह अज़ान सुनायी दे रही होती।

24 नवम्बर का यह इतिहास सभी को पता होवे ..

*वाहे गुरु जी का खालसा..!*in

वाहे गुरू जी  की फ़तेह...!




महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी

मियाँ की जूती मियाँ के सर

यह  कहावत बनी कैसे, शायद हममें से बहुत कम लोगों को पता होगा 

चलिए जानते हैं...

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए पेशावर से लेकर कन्याकुमारी तक महामना मदन मोहन मालवीय जी ने इसके लिए चन्दा एकत्र किया था, जो उस समय करीब एक करोड़ 64 लाख रुपए हुआ था। 

काशी नरेश ने ज़मीन दी थी तो, दरभंगा नरेश ने 25 लाख रुपए से सहायता की थी। वहीं हैदराबाद के निज़ाम ने कहा कि इस विश्वविद्यालय से पहले हिन्दू’ शब्द हटाओ फिर दान दूँगा। महामना ने मना कर दिया तो निज़ाम ने कहा कि मेरी जूती ले जाओ, महामना उसकी जूती लेकर चले गए और हैदराबाद में चारमीनार के पास उसकी नीलामी लगा दी। निज़ाम की माँ को जब पता चला तो वह बन्द बग्घी में पहुँचीऔर क़रीब 4 लाख रुपए की बोली लगाकर निज़ाम की जूती ख़रीद ली, उन्हें लगा कि उनके बेटे की इज्ज़त बीच शहर में नीलाम हो रही है।

मियाँ की जूती मियाँ के सर मुहावरा उसी घटना के बाद से प्रचलित हो गया ।

भारत रत्न राष्ट्रवाद के प्रखर समर्थक, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक,

महान समाज सुधारक, शिक्षाविद्

एवं स्वतंत्रता सेनानी 

महामना पं. मदन मोहन मालवीय जी


Maj. Gen. Dhruv C Katoch

This is the.. True story.. Name of the main. Culprit was Surinder Singh kairon son of the then Chief Minister of Punjab. S. Pratap Singh Kairon..

ARMY GENERAL WHO DEFIED PRIME MINISTER:

The year was 1959, the place was Amritsar. Some Indian Army officers and their wives went to Railway station to see off one of their colleagues. Some goons made lewd remarks against the women and try to molest them. The Army officers chased the goons who took shelter in a nearby Cinema Theatre.

The matter had been reported to commanding officer " Col Jyothi Mohan Sen". On learning about the incident, the Col ordered the Cinema Hall to be surrounded by troops. All the goons were dragged out and the leader of the goons was so heady and drunk with power; who was none other than the son of Honorable Chief Minister of Punjab, Pratap Singh Kairon, the close associate of the then Prime Minister, Jawahar Lal Nehru.

All the goons were stripped to their under wears, paraded in the streets of Amritsar and later entered in the cantonment. Next day, the Chief Minister became furious and tried to release his son from Indian Army's incarceration.

You know what happened?

His vehicle was not allowed to go in to the cantonment as VIP vehicle, he was compelled to walk all the way to meet the colonel. The infuriated Chief Minister, Kairon complained about whole affair to Prime Minister, Jawaharlal Nehru.

Those days were different, democracy was in nascent stage, leaders though powerful have some qualms and ethics. 

The perplexed, the so called Bharat Ratna Prime Minister Nehru instead of questioning his confidante Pratap Singh Kairon, sought explanation from the Army Chief General Timmayya for the conduct of his officers.

You know what Timmayya replied?

"If we can not defend the honor of our women, how can you expect us to defend the honor of our country?"

Nehru was dumbfounded. That was the story of a brave soldier who defied Prime Minister.

This article was contributed by " Maj. Gen. Dhruv C Katoch" in the magazine " Salute to the Indian soldier."


अली सीना

https://drive.google.com/file/d/17oKkPTUXA-tvGLpUvzf4LQ3luArr8__K/view?usp=sharing

कनाडा मूल के एक एक्स मुस्लिम अली सीना जिन्होंने मुहम्मद पैगम्बर और इस्लाम का गहरा एवं बारीकी से अध्ययन किया और इस्लाम त्याग दिया…इस्लाम त्याग देने के बाद उन्होंने किताब लिखी, “Understanding Muhammad : A Psychobiography of Allah‘s Prophet” जो मुहम्मद साहब की जीवनी पर एक बेजोड पुस्तक है!

अली सीना ने इस किताब के जरिये मुहम्मद पैगम्बर पर दस अत्यन्त भीषण आरोप लगाए है, जो इस तरह है…

  • खुदगर्ज,अपनी ताकत के लिए कुछ भी करने वाला…!
  • छोटे बच्चों से सेक्स कर सेक्स की तरफ आकर्षित होने वाला…!
  • पुरे समुदाय का हत्यारा…!
  • आतंकवादी…!
  • औरतो से घृणा करने वाला…!
  • किसी भी प्रकार की औरत से यौन सम्बन्ध बांधने वाला…!
  • अपना समुदाय बनाकर खुद के नियम लागु करने वाला…!
  • पागल इंसान…!
  • बलात्कारी…!
  • यातना (कष्ट) देने वाला…!
  • प्रमुख व्यक्तिओ को मारने वाला…!
  • चोर, डाकू डकैत…!

अली सीना ने दुनिया के १६० करोड मुसलमानो को चेलेंज किया हे की मेरे इन लगाए आरोपो को कोई भी गलत साबित करदे तो में उन्हें ५०००० $ (डॉलर) इनाम के तौर पर दूंगा…बस शर्त यही है की जो भी ये चेलेंज स्वीकार करता हे उसने उनकी लिखी किताब understanding Muhammad पढी हो…?

अब हुआ यह कि बहुत से विद्वानों ने इस चेलेंज को स्वीकार किया और शास्त्रार्थ करने के लिए किताब पढ़ी तो उन्होंने भी इस्लाम को त्याग दिया,और कई लोग त्यागने वाले भी है…!

अभी तक कोई मुल्ला,मौलवी, या मुफ़्ती इनको पराजित नही कर सका हे कई लोग तो इनके ब्लॉग पढकर ही इस्लाम छोड़ देते है

25 नवंबर मीरपुर डे

आज 25 नवंबर मीरपुर डे है,

परन्तु न तो मेन स्ट्रीम मीडिया और न ही कोई पत्रकार व लेखक इसका उल्लेख करना चाहता है

इस मीरपुर डे का बैकग्राउंड यह है कि, आज से 73 वर्ष पूर्व 25 नवंबर 1947 को जम्मू कश्मीर के मीरपुर जिले पर पाकिस्तान ने आक्रमण किया था और वहां रहने वाले 20,000 निहत्थे हिंदू और सिखों का नरसंहार कर दिया ।वहां से बचकर केवल 2500 मीरपुर के निवासी किसी तरह से भूखे प्यासे कई दिनों तक पैदल चलकर जम्मू पहुंच सके थे । यह सब इसलिए हुआ क्योंकि पाकिस्तान ने मीरपुर के रहने वाले हिंदुओं व सिखों को चेतावनी दी थी कि यदि बचना चाहते हो तो अपने घर पर सफेद झंडा आत्मसमर्पण के चिन्ह के रूप में लगा देना, परंतु मीरपुर के निवासी हिंदुओं व सिखों ने अपने घरों पर लाल झंडा फहरा कर यह संदेश दिया कि हम आत्मसमर्पण नहीं अपितु लड़कर अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे। 

मीरपुर पर आक्रमण के लिए पाकिस्तान सरकार ने कबायलियों और पठानों के साथ एक समझौता किया था जिसका नाम था "ज़ेन और जार" समझौता, जिसका अर्थ था मीरपुर पर कब्जा करने के बाद वहां रहने वाले हिंदुओं व सिखों की सारी संपत्ति जमीन और धन दौलत पाकिस्तान सरकार की होगी और वहां रहने वाली सभी हिंदू व सिख महिलाएं पठानों की सम्पत्ति होंगीं ।

आप जानते हैं हिंदुओं और सिखों को धोखा किसने दिया ? 

मीरपुर निवासी हिंदुओं व सिखों के मुस्लिम पड़ोसियों ने, जो उसी वर्ष अगस्त में बंटवारे के बाद मीरपुर छोड़कर पाकिस्तान चले गए और पाकिस्तान आर्मी को मीरपुर की भूगौलिक स्थिति, स्थानीय आबादी की पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई, जिससे पाक आर्मी सफलतापूर्वक मीरपुर पर कब्जा कर उसे पाकिस्तान में मिला सके।

क्या आप जानते हैं कि उस आक्रमण के समय हमारे देश के महान स्टेट्समैन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी कांग्रेस सरकार ने क्या किया ?

भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस सरकार ने मीरपुर के निवासियों की सहायता करने से मना कर दिया, नेहरू ने 20,000 हिंदुओं, सिखों को पाकिस्तानी सेना और कबायलियों द्वारा मारे लुटे जाने के लिए छोड़ दिया, कबायलियों और पठानों द्वारा हजारों हिंदू और सिख बच्चियों, लड़कियों औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद उन्हें उठा उठाकर पाकिस्तान ले जाने दिया, पाकिस्तानियों और कबायली पठानों से बचने के लिए मीरपुर में कई हिन्दू व सिख महिलाओं ने आत्महत्या तक कर ली थी।

तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस सरकार यदि चाहते तो मीरपुर को पाकिस्तानियों और कबायलियों से बचाने के लिए और वहां के नागरिकों की रक्षा के लिए इंडियन आर्मी को भेज सकते थे, किंतु नेहरू की कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर ऐसा कुछ नहीं किया, जबकि उस समय मीरपुर से कुछ ही मील दूर झांगर में भारतीय सेना तैनात थी, परंतु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मीरपुर के हिंदू व सिखों को उनके हाल पर पाकिस्तानियों के हाथों मरने के लिए छोड़ दिया।

भारत देश के एक पूरे शहर पर कब्जा कर लिया गया, भारत के इस शहर मीरपुर की सम्पूर्ण पुरुष आबादी को पाकिस्तानियों द्वारा 1 दिन में कत्ल कर दिया गया, उस शहर की सभी महिलाओं को अगवा कर लिया गया, उनके संग यौन अपराध हुए उन हजारों महिलाओं को उठाकर ले जाया गया, परंतु भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस सरकार चटखारे लेकर मीरपुर के 20,000 हिंदू सिख पुरुषों के जनसंहार और हजारों हिन्दू व् सिख महिलाओं के बलात्कार और अपहरण का दृश्य मजे ले लेकर देखकर आनंदित होते रहे, मौन साध कर बैठे रहे, और उनकी सहायता हेतु सेना नहीं भेजी।

1 दिन के अंदर ही पूरा मीरपुर कब्रिस्तान में बदल गया, सभी हिंदू व सिख पुरुषों को मार दिया गया, पुरुषों के सामने उनकी बेटियों, बहुओं, बहनों  माओं, पत्नियों का बलात्कार किया गया, और फिर उन महिलाओं के सामने ही उनके पुरुषों को मार दिया गया, इसके बाद सभी बच्चियों, लड़कियों, औरतों को उठाकर पाकिस्तान ले जाया गया। केवल कुछ वृद्ध महिलाओं को जीवित छोड़ा गया।

यह सब इसलिए हुआ क्योंकि नेहरू के नेतृत्व वाली तत्कालीन भारत सरकार ने जानबूझकर हिंदुओं व सिखों को मरने दिया, जबकी वहां के निवासी यह सोचकर बैठे थे की भारत सरकार उनकी सुरक्षा हेतु सेना अवश्य भेजेगी और वे भारतीय सेना के संग कंधे से कन्धा मिलाकर लड़ते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे, इसीलिए मीरपुर के हिंदूओं व सिखों ने आत्मसमर्पण के बदले अपनी मातृभूमि के लिए लड़ने का निर्णय किया।

विडंबना देखिए कि पाकिस्तान द्वारा मीरपुर में अंजाम दिए गए 20,000 निर्दोष हिंदुओं व् सिखों के उस नरसंहार का आज तक कहीं कोई उल्लेख नहीं होता, ना तो आज तक पाकिस्तान सरकार पाकिस्तानी सेना के मानवाधिकार उल्लंघनों और अपराधों की बात होती है, ना ही तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और तत्कालीन कांग्रेस सरकार की भूमिका पर प्रश्न उठाए जाते हैं.....

मीरपुर आज भी पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है और कभी वहां रहने वाले बहुसंख्यक हिंदुओं और सिखों का अब वहां 100% जातीय सफाया पाकिस्तान द्वारा किया जा चुका है।

Thursday 26 November 2020

Swargiya Morar ji Desai

Shri Srinivasa Ramanujam

 Today is National Mathematics Day 

( I.e. Birth Day of Srinivasa Ramanujam )


See This Absolutely Amazing Mathematics Given By Great Mathematician रामानुजम


1 x 8 + 1 = 9


12 x 8 + 2 = 98


123 x 8 + 3 = 987


1234 x 8 + 4 = 9876


12345 x 8 + 5 = 98765


123456 x 8 + 6 = 987654


1234567 x 8 + 7 = 9876543


12345678 x 8 + 8 = 98765432


123456789 x 8 + 9 = 987654321


1 x 9 + 2 = 11


12 x 9 + 3 = 111


123 x 9 + 4 = 1111


1234 x 9 + 5 = 11111


12345 x 9 + 6 = 111111


123456 x 9 + 7 = 1111111


1234567 x 9 + 8 = 11111111


12345678 x 9 + 9 = 111111111


123456789 x 9 +10= 1111111111


9 x 9 + 7 = 88


98 x 9 + 6 = 888


987 x 9 + 5 = 8888


9876 x 9 + 4 = 88888


98765 x 9 + 3 = 888888


987654 x 9 + 2 = 8888888


9876543 x 9 + 1 = 88888888


98765432 x 9 + 0 = 888888888


And Look At This Symmetry :


1 x 1 = 1


11 x 11 = 121


111 x 111 = 12321


1111 x 1111 = 1234321


11111 x 11111 = 123454321


111111 x 111111 = 12345654321


1111111 x 1111111 = 1234567654321


11111111 x 11111111 = 123456787654321


111111111 x 111111111 = 12345678987654321


Please Share This Wonderful Number Game With Your Friends & especially with  the Children.

दीदी (एक व्यंग)

दीदी पढ़ाई-लिखाई में बहुत होशियार थी।

दीदी को कई किताबें मुँहजुबानी याद थी। 

दीदी ने बहुत - सारा इतिहास पढ़ रखा था। 

दीदी की #नसों में खून नहीं सेकुलरिज्म बहता था। 

दीदी को सभी धर्म एक ही लगते थे। 

दीदी को अपने भगवानों पर भरोसा नही था। 

दीदी भी सोंचती थी कि भगवान ने तो सबको इंसान बनाया है, फिर ये हिन्दू-मुस्लिम किसने किया? 

दीदी हर जगह टॉपर थी - 

इसलिये उन्हें लगता था कि उन्होंने सबकुछ जान लिया है।


फिर जब दीदी आइएएस की परीक्षा में भी टॉप मार गई - तब दीदी "अहं ब्रम्हास्मि" वाली अवस्था प्राप्त कर गई। दीदी का सेकुलरिज्म उबाल मारने लगा। दीदी को मुस्लिम समाज वर्षों से उत्पीड़ित और राजनीति का शिकार लगता था। 

"सच्चा मुसलमान कभी भरोसा नहीं तोड़ सकता" - 

दीदी दृढ़प्रतिज्ञ थी।


फिर दीदी ने बहुत बड़े समारोह का आयोजन करके एक मुस्लिम आईएइस अधिकारी 'अतहर' से निकाह कर लिया। निकाह के बाद दीदी ने अपने नाम के साथ गर्व से "खान" जोड़ लिया। 

दीदी का मन इतने में भी तृप्त नहीं हुआ। 

अतः दीदी ने अपने बायो में "कश्मीरी मुस्लिम" जोड़ लिया।


निकाह के बाद दीदी को कुछ ऑकवर्ड सा फील हुआ जब उनके आगे बीफ बिरयानी परोस दी गयी। दीदी चौंक गयी जब ससुराल वालों ने कहा कि ये आईएएस वाईएएस रखो अपनी पिछली जेब मे, 

बुर्का लगाना शुरू करो। 

दीदी का फेमिनिज्म दहाड़ें मार-मारकर रोने लगा। 

मैं यूपीएससी टॉपर हूँ - बुर्का कैसे पहनूँगी?


अचानक दीदी को पता चलता है कि उनके शौहर के अब्बू भी उन्हें गलत नजरों से घूरता है। 

दीदी शौहर से इस बारे में बात करती है तो शौहर कहता है कि मेरे अब्बू को खुश रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है। 


सुबह का वक्त था। 

दीदी का मन हुआ कि वो  भजन सुने। 

दीदी ने अपने मोबाइल पर भजन चला दिया। 

भजन की आवाज सुनकर शौहर की नींद खुल गई। शौहर ने दीदी के हाथ से मोबाइल छीनकर पटक दिया। 

दीदी के ऊपर दबाव बढ़ने लगा कि अब बच्चे जनो।अब दीदी तो ठहरी आईएएस अधिकारी। 

इतनी जल्दी बच्चे थोड़े ही करेगी। 

लेकिन शौहर ने कह दिया कि हमें तो कम से कम 10 बच्चे चाहिए। 

बात ससुर तक पहुंची।

ससुर को पंच बनाया गया।

ससुर ने फैसला सुनाया -

बच्चे तो अल्लाह की रहमत हैं। 

दीदी ने कहा कि अपनी नौकरी के साथ-साथ 

मैं इतने बच्चों की देखभाल कैसे करूँगी? 

तो ससुर ने कहा कि नौकरी छोड़ दो।


दीदी के गुप्तचरों ने खबर दी कि उनके शौहर कोई और लड़की से निकाह करने की बात कर रहे हैं। दीदी के दिमाग मे 'तेरे तो उड़ गये तोते' वाला गाना गूँजने लगा।


दीदी भागी-भागी गयी शौहर से पूछने तो उसने कहा कि दो क्या? मैं तो चार-चार बार निकाह कर सकता हूँ। हमारी आसमानी किताब में ऐसा ही लिखा है। 

मैं IAS हूं। 40 को आसानी से खिला सकता हूं।

अब दीदी को कुछ-कुछ समझ आने लग गया कि 

ये सेकुलरिज्म केवल तभी तक जीवित था - 

जब तक उसके नाम के पीछे कोई हिन्दू पहचान थी। जैसे ही 'खान' जुड़ा - 

सेकुलरिज्म ताबूत में बंद होकर कब्रिस्तान पहुँच गया।


फिर दीदी 'ठुकरा के मेरा प्यार, मेरा इंतकाम देखेगा' वाले मोड में आ गई। 

एसडीएम के दफ्तर में हवन करवा डाला। इंस्टाग्राम पर शौहर को अनफॉलो कर दिया। तलाक का नोटिस भेज दिया। 

इतना सब होने के बाद दीदी को फिर से 

हनुमान जी याद आए और दीदी ने पोस्ट किया -


"तुम रक्षक काहू को डरना"।


दीदी बहुत Cute है। 

दीदी बहुत Innocent है।

दीदी बहुत सौभाग्यशाली भी है कि IAS है -

वरना वो भी किसी सूटकेस में बंद पड़ी मिलती..

फिर थोड़ी चिल्ल - पों होती ...

और लोग मामले को भूल जाते।


दीदी अब फिर से हिन्दू बन गयी है

संवेदना और पुराना भारत

हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होता था तो किसान कुछ देर के लिए हल चलाना बन्द करके बैल के मल-मूत्र त्यागने तक खड़ा रहता था ताकि बैल आराम से यह नित्यकर्म कर सके,यह आम चलन था।

हमनें (ईश्वर वैदिक) यह सारी बातें बचपन में स्वयं अपनी आंखों से देख हुई हैं जीवों के प्रति यह गहरी संवेदना उन महान पुरखों में जन्मजात होती थी जिन्हें आजकल हम अशिक्षित कहते हैं यह सब अभी 30-40 वर्ष पूर्व तक होता रहा।

उस जमाने का देसी घी यदि आजकल के हिसाब से मूल्य लगाएं तो इतना शुद्ध होता था कि 2 हजार रुपये किलो तक बिक सकता है । उस देसी घी को किसान विशेष कार्य के दिनों में हर दो दिन बाद आधा-आधा किलो घी अपने बैलों को पिलाता था ।

टटीरी नामक पक्षी अपने अंडे खुले खेत की मिट्टी पर देती है और उनको सेती है। हल चलाते समय यदि सामने कहीं कोई टटीरी चिल्लाती मिलती थी तो किसान इशारा समझ जाता था और उस अंडे वाली जगह को बिना हल जोते खाली छोड़ देता था । उस जमाने में आधुनिक शिक्षा नहीं थी ।

सब आस्तिक थे । दोपहर को किसान जब आराम करने का समय होता तो सबसे पहले बैलों को पानी पिलाकर चारा डालता और फिर खुद भोजन करता था । यह एक सामान्य नियम था ।

बैल जब बूढ़ा हो जाता था तो उसे कसाइयों को बेचना शर्मनाक सामाजिक अपराध की श्रेणी में आता था । बूढा बैल कई सालों तक खाली बैठा चारा खाता रहता था, मरने तक उसकी सेवा होती थी । उस जमाने के तथाकथित अशिक्षित किसान का मानवीय तर्क था कि इतने सालों तक इसकी माँ का दूध पिया और इसकी कमाई खाई है , अब बुढापे में इसे कैसे छोड़ दें , कैसे कसाइयों को दे दें काट खाने के लिए ? जब बैल मर जाता तो किसान फफक-फफक कर रोता था और उन भरी दुपहरियों को याद करता था जब उसका यह वफादार मित्र हर कष्ट में उसके साथ होता था । माता-पिता को रोता देख किसान के बच्चे भी अपने बुड्ढे बैल की मौत पर रोने लगते थे । पूरा जीवन काल तक बैल अपने स्वामी किसान की मूक भाषा को समझता था कि वह क्या कहना चाह रहा है ।

वह पुराना भारत इतना शिक्षित और धनाढ्य था कि अपने जीवन व्यवहार में ही जीवन रस खोज लेता था । वह करोड़ों वर्ष पुरानी संस्कृति वाला वैभवशाली भारत था 

वह अतुल्य भारत था !

आजकल हर इंसान दुःखी और तनाव ग्रस्त है क्योंकि वो अपनी संस्कृति और संस्कारों को भूल कर स्वार्थ में लिप्त हो चुका है 😢

अहमद पटेल

अहमद पटेल ने हिंदुत्व की जड़ में मरने तक इतना मट्ठा डाल दिया है कि अभी दशकों लग जायेंगे उबरने में।

भारत मे सिर्फ दो ही ऐसे व्यक्ति थे, जिसके पास इस देश में चल रहे किसी मदरसे किसी मस्जिद किसी मौलवी किसी स्तर के मुस्लिम धर्मगुरु की विस्तृत जानकारी रहती थी। उनमें से एक अहमद पटेल थे। अहमद पटेल ने कांग्रेस के सहारे जितनी सहायता मुसलमानों की कर दी उतनी तो एक प्रधानमंत्री भी पूरा तंत्र लगा कर नहीं कर सकता था। वो अपने मजहब के धर्मगुरुओं का धर्म गुरु था।

इसलिए किसी गलतफहमी में न रहिए। गजवा ए हिन्द के आधुनिक कार्यक्रमों की रीढ़ थे अहमद पटेल।

कांग्रेस को यह पता लग गया था कि यदि 2012 का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी जीत गए तब वह प्रधानमंत्री पद के तगड़े दावेदार बन जाएंगे और पप्पू उर्फ राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह जाएगा। 

उसके बाद कांग्रेस ने एक ऑपरेशन नरेंद्र मोदी अभियान चलाया जिसकी पूरी कमान अहमद पटेल के हाथों में थी। 

अहमद पटेल ने एक साथ कई मोर्चों  पर काम किया। 

पहला मोर्चा था नरेंद्र मोदी जी का चरित्र हनन करना उनके चरित्र पर कीचड़ उछालना... उसके लिए अहमद पटेल ने प्रदीप शर्मा नामक आईएएस ऑफिसर को मोहरा बनाकर एक फर्जी कहानी मीडिया में प्लांट करवाया कि नरेंद्र मोदी एक लड़की को बार-बार फोन करते हैं उसकी जासूसी करवाते हैं। 

दूसरा मोर्चा था 2012 विधानसभा चुनाव में गुजरात की मीडिया को खरीद कर नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाना और उसके लिए अहमद पटेल ने न्यूजप्रिंट कागज को मोहरा बनाया। दरअसल मान्यता प्राप्त अखबारों को भारत सरकार न्यूज़ प्रिंट कागज पर सब्सिडी देती है यह पेपर कनाडा से आता है और यदि सरकार सब्सिडी ना दे तो अखबार इतना महंगा हो जाएगा कि कोई अखबार खरीदेगा ही नहीं इसीलिए भारत सरकार हर एक न्यूज़पेपर हाउस को न्यूज़ प्रिंट कोटा देती है जिसमें उन्हें भारी भरकम सब्सिडी मिलती है। 

अहमद पटेल ने गुजरात के 3 बड़े अखबार दिव्य भास्कर, गुजरात समाचार और संदेश से कहा मैं तुम्हारा सब्सिडी कोटा बढ़ा दूंगा बल्कि तुम बैक डोर से भी हर महीने तीन-चार कंटेनर सब्सिडी लेकर इम्पोर्ट करो उसकी सब्सिडी भी लो और उसे खुले बाजार में मार्केट रेट पर बेचकर पैसे कमाओ लेकिन शर्त यही है कि तुम्हें मोदी के खिलाफ गुजरात सरकार के खिलाफ खबरें खूब छापनी है। 

इतना ही नहीं गुजरात समाचार के मालिक शांतिलाल शाह को पद्म विभूषण भी दिया गया। 

संदेश अखबार के मालिकों ने मालिकों को रियल एस्टेट बिजनेस के लिए बहुत बड़ी जमीन जो एनजीटी के अंतर्गत थी उसे केंद्र की मनमोहन सरकार ने क्लियर करवा दिया और संदेश ग्रुप में रिंग रोड पर विशाल टाउनशिप बनाई । 

इन तीनों अखबारों ने खतरनाक मोदी विरोध का बवंडर चला दिया था। 

मुझे याद है उस वक्त मैं नरेंद्र मोदी से मिला था और मैंने यह सवाल किया था कि सर स्टार न्यूज़ एनडीटीवी से लेकर गुजराती मीडिया भी आप के खिलाफ इतना कुछ लिख रही है तो मोदी जी ने मुस्कुराते हुए कहा था कि जेपी मेरी सबसे बड़ी ताकत सोशल मीडिया है तुम जैसे लोग हो जो इनके झूठ का अगले ही पल खुलासा कर देते हो और वह तेजी से वायरल भी होता है। 

अहमद पटेल ने 

तीसरा मोर्चा नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में फंसाने के लिए रचा और उसके लिए उसने संजीव भट्ट को अपना मोहरा बनाया। संजीव भट्ट की बेटी का दाखिला महाराष्ट्र के D.Y. पाटील मेडिकल कॉलेज में मुख्यमंत्री कोटे से करवा दिया गया उसकी वाइफ को राज्यसभा में भेजने का लालच दिया गया और संजीव भट्ट मीडिया में झूठी बातें प्रचारित करने लगा उसकी सारी बातें सुप्रीम कोर्ट में झूठ साबित हुई खैर गुजरात सरकार ने भी संजीव भट्ट को उसकी औकात बता दी उसकी सारी पुरानी फाइल खोलकर उसे सलाखों में डाल दिया। 

आज उसकी पत्नी कहती है कि हमें कांग्रेस ने बलि का बकरा बना दिया। 

चौथा मोर्चा अहमद पटेल ने नरेंद्र मोदी को फर्जी एनकाउंटर केस में खोला। गुजरात में जितने भी आतंकवादियों का इनकाउंटर हुआ केंद्र में मनमोहन सरकार थी कई एनजीओ को खुद पैसे दिए गए उसमें शबनम हाशमी, तीस्ता सीतलवाड़, मुकुल सिन्हा जैसे लोग थे यह लोग किसी भी तरह से यह चाहते थे कि फर्जी एनकाउंटर केस में नरेंद्र मोदी फंसे उनको जेल हो यहां तक कि इन्होंने अमित शाह को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन नरेंद्र मोदी जी के ऊपर बाबा महाकाल की कृपा थी लाख कोशिश करने के बाद भी यह नरेंद्र मोदी पर हाथ नहीं डाल सके। 

इतना ही नहीं इन्होंने पार्टी के भीतर भी बहुत गहरी साजिश रची केशुभाई पटेल को बगावत के लिए अहमद पटेल ने ही  उकसाया था। 

पांचवा मोर्चा अहमद पटेल ने सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना की फाइल रुकवा कर कर दिया ताकि गुजरात में अकाल पड़ता रहे गुजरात सरकार बदनाम हो मोदी जी ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी 5 दिनों तक आमरण अनशन किया मनमोहन सरकार बैकफुट पर आई और उसने बांध की ऊंचाई बढ़ाने की परमिशन दिया। 

छठा मोर्चा अहमद  पटेल ने सीबीआई और ईडी को लेकर किया तमाम बीजेपी नेताओं के घर पर छापे पड़ते थे चाहे वह नितिन गडकरी हो चाहे वह दूसरे नेता हो.. गुजरात में सीबीआई बहुत से नेताओं को परेशान करती रही। 

खैर जिसके ऊपर बाबा महाकाल की कृपा हो, अहमद पटेल तो क्या कायनात की कोई ताकत कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकती। आज अहमद पटेल संसार से विदा हो गए। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे।

क्यों अहमद पटेल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण था .

1. अहमद पटेल सोनिया गांधी के दाहिने हाथ थे। सोनिया गांधी को छोड़कर हर कोई उनके अधीन काम करता है।

2. वह भारत के अधिकांश मदरसों के मालिक थे। उनके परिवार के सदस्य देवबंद संस्थानों के कुलपति हैं। उनके चचेरे भाई मदरसों की श्रृंखला चलाते हैं।

3. वह और फारूक अब्दुल्ला पारिवारिक संबंध साझा करते हैं। उसके केरल में संबंध थे। वह भारत के लिए अरब पैसे का प्रवेश द्वार था।

4. उन्होंने पूरी मीडिया श्रृंखला को नियंत्रित किया। वह वही हैं जिनके आदेश पर विनीत जैन ने टाइम्स नाउ से अर्नब को बाहर कर दिया। उनके लोगों को सभी चैनलों में रखा गया है।

5. उनके प्रभाव में निलेकणी, किरण मजूमदार शॉ, नारायण और कई एनजीओ धावकों के रूप में कॉर्पोरेट कैडरों का बेड़ा है।

6. वह वह था जिसने तीन आदेश वापस लिए जब रॉ को दाऊद मिल गया था। समझौता, अजमेर से लेकर मुंबई विस्फोट तक, उन्होंने मीडिया कथा से लेकर गृह मंत्रालय तक सब कुछ मैनेज किया।

7. उन्होंने 2004-2014 के बीच सभी को न्यायपालिका, सचिव से मीडिया संपादकों के बीच भर्ती किया।

8. आप उनकी शक्ति का अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को 4 महीने से अधिक समय तक जेल में रखा था।  8 साल तक डीआईजी वंजारा के नेतृत्व में खुफिया टीम कण्ट्रोल की । वह इतना शक्तिशाली था कि उसने सीएम नरेंद्र मोदी को 13 घंटे तक पीटा। उन्होंने अमित शाह को गुजरात छोड़ने के लिए मजबूर किया।

9. वह ऑगस्टा वेस्टलैंड से लेकर स्पेक्ट्रम तक के पीछे का आदमी था। वह प्रधान दलाल था। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी से ज्यादा अहमद पटेल का समर्थन किया।

10. उन्होंने खुले तौर पर 44 MLA पर कब्जा कर लिया और रिज़ॉर्ट में करोड़ों बर्बाद कर दिए। न तो मीडिया और न ही कानून ने उनसे पूछा कि वह ऐसा कैसे कर सकते हैं। वह सत्ता में नहीं हैं, हालांकि उन्होंने अपनी शक्ति दिखाई थी जब उन्हें 45 वोटों की आवश्यकता थी यह जानते हुए कि उन्हें केवल 44 वोट मिलेंगे। वह चुनाव आयोग गया और चुनाव आयोग ने 2 वोटों को अयोग्य घोषित कर दिया। वीडियो में कोई कदाचार नहीं दिखता है और कोई भी वीडियो की जांच कर सकता है। एनडीए के कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद अहमद पटेल ने चुनाव आयोग को विजेता बनाया। यह राज्य चुनाव जीतने के बराबर है। उन्होंने कांग्रेस को 57 से घटाकर 42 कर दिया लेकिन कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि वह जीतें। वह सोनिया गांधी की जीवन रेखा थीं। 

Saturday 21 November 2020

China becomes a 10 trillion dollar economy

How did China become a 10 trillion dollar economy and India is not?

China's Academic Talent Search Programmes. The Best and the Brightest are identified - and fully sponsored for education in US, UK, Australia, Japan or Singapore as well as Education in Chinese Universities like Tong Ji or Liauquong.

No Minorities or Majorities. A Bao Minority Scholar topped the Lists in 2019 and is presently studying graduating in a Chinese University and will likely do his masters in USA at Stanford or MIT.

INDIA :

69% Seats in Engineering Colleges and Medical Colleges are reserved based on Community and Caste.

The Best Talents find themselves abandoned by their Own Governments - Doesn't matter if its Indira Gandhi or Rajiv Gandhi or MMS or Vajpayee or Narendra Modi.

In 2020 - In 8 States - only 0.9% Doctors came from the Forward Castes and only 9.3% Engineers (8 States include - AP, Tamilnadu, Kerala, Bihar, Rajashtan, Maharashtra, West Bengal, Madhya Pradesh)

80% Students who study Masters in US or UK or Australia or Canada or Europe or Singapore - return home within 15 years to China to serve their Government Contracts in Research or Engineering or Medicine or Biosciences.

They are offered many benefits - Less Taxes, More incentives, The Gai Bo Program etc.

Less than 7% Students return home to India after 15 years. Sure they'll do all this flag waving and chanting nonsense but ask them to come home and they will flee before you can say the word “Ghar Wapsi” (My own son - is a huge admirer of Modi but ask him to come to Modis India and he will scamper)

The reason - There is nothing for them in India.

Zero Opportunities except a lot of wind and gas from various ministers “We will do this by 2020…..2030 etc etc”

Economic Development Board sponsored EY awards to Top Entrepreneurs who are awarded $ 10 Million each for their businesses. Xiangshei Xcrow won in 2016 and today has a 81% business domination in China and Asia Pacific.

Chinese government invests $ 70 Billion annually in Innovation and Technopreneurships - the result of which is Tik Tok or Machine Learning AIs or a plethora of advanced patents in China from 2010.

Indian Governments contribution to Entrepreneurship. Negligible Tax Incentives, Negligible Benefits but enough talk to fill 10 newspapers for 10 years.

The result is most of our entrepreneurs are Hair Cutting Saloon owners rather than owners of Intellectual Technology or Property or own cutting edge MLAIs.

Yet they are 10 times overvalued like Byjus or Ola Cabs ….in a plethora of one Con after another.

Our Government contributes Rs. 100 Crore for Entrepreneurs but so far no idea where bulk of the money is?

Every Chinese company over a certain revenue must contribute at least 15% of its profits for Research and Development.

The Total R & D Investment by China is a whopping - $ 317 Billion annually or nearly 2.15% of the GDP.

The Total R & D Investment of the whole world is $ 1.64 Trillion - so China spends a whopping 19.33% of the Worlds Research Budget and comes next only to USA (40.64%). Yet in 1990 - USA spent 70.95% of the Worlds Budget while China spent 0.06%. From 1990 to 2020 - the growth of 0.06% to 19.33% is Meteoric.

Out of this - Chinese companies spend 65.8% of this money compared to Foreign Companies which spend only 34.2% of this money

Local Chinese Research outspends Foreign Research by almost 100%

Result - Patents and Advancement

Corporates dont spend 50 paise for Research except for some pomp and show facility. With good students straining to run away abroad - the researchers left are of mediocre quality in general.

India spends $ 26 Billion or 0.85% of the GDP on Research and Development which is around 1.59% of the Worlds R & D Budget. In 2015 - India spent $ 36 Billion and this has fallen sharply over the last 5 years.

Out of this 96.2% of the money is spent by Foreign Companies while only 3.8% is spent by Indian Companies.

Local Indian Research is barely 3% of the Foreign Research

Results - Haircutters and Clerks

Indigineous Defence Industry was a project of the Chinese in the year 1988. They began with lousy fifth rate products but by today - their productions are nearly 80 - 85% or even in some cases 90 - 95% of US or European Standards Manufacture.

They have even began exporting some of these products albeit to countries like Brazil or Pakistan.

They make indigenous Wind Tunnels, Advanced Turbines, Turbofans, Avionics Systems and though they start with Fifth Rate Quality, they always keep improving and within 7–10 years have now achieved around 80% - 85% Global Standard. By 2030 - It is believed they will achieve global standards as they have began investing heavily in Metallurgy and Titanium Alloy Processes and Carbon Fibre Processes.

Best Part - these Industries generate employment for 36 Million Chinese combined.

70 Years of Independence, British Legacy, Big Industries already available - Yet even to this day - we import almost 80% of our advanced

इंदिरा गांधी

 वर्ष १९८० इंदिरा गांधी की वापसी हुई थी । आते ही उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार को चलता किया और वहां के नये मुख्यमंत्री बने श्री अब्दुल रहमान अंतुले। अंतुले इंदिरा गांधी के कट्टर समर्थक थे। इमरजेंसी में इन्होंने अपनी नेता का साथ दिया था और कांग्रेस के विभाजन के बाद इंदिरा कांग्रेस अंतुले साहब ही मैनेज करते थे ।

 मराठा लॉबी नाराज थी, मगर इंदिरा गांधी को इन सब की कभी परवाह नहीं थी। सरकार चलने लगी। उस समय देश के सबसे प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार "इंडियन एक्सप्रेस" के संपादक थे श्री अरूण शौरी । एक दिन जब शौरी साहब अपने चैंबर में बैठे थे तो उनसे मिलने एक नामी डाक्टर साहब आए। उन्होंने बताया कि वे एक अस्पताल खोलना चाहते हैं...

 मगर..... फाइल सी एम  के यहां अटकी पड़ी है ।

 कारण???

 पता चला कि 5 करोड़ रूपए एक ट्रस्ट को दान देने पर ही मंजूरी मिलेगी..और कुछ अन्य लोगों ने भी बताया कि बिना इसके कोई काम नहीं होता है । उस ट्रस्ट का नाम था इंदिरा गांधी प्रतिभा प्रतिष्ठान। अरूण शौरी ने पहली बार इस ट्रस्ट का नाम सुना था । उन्होंने डाक्टर साहब को विदा किया और अपने सहकर्मी गोविंद तलवलकर को इसके बारे में पता लगाने को कहा ।

खोजबीन शुरू हुई मगर

किसी को पता नहीं था कि यह ट्रस्ट कहां है। 

फिर एक दिन... सचिवालय बीट के एक पत्रकार ने पता कर ही लिया  कि इस ट्रस्ट का कार्यालय कोयना बांध पुनर्वास आफिस के एक कमरे में है ।

खोजी टीम वहां पहुंची तो पता चला कि एक कमरे में दो लोग बैठते हैं। 

एक कैशियर ,

एक टाइपिस्ट बस।   

बाहर में एक छोटा सा बोर्ड है। जो दिखता भी नहीं। यह भी पता चला कि दोनों स्टाफ लंच के लिए एक घंटे बाहर जाते हैं । 

बस ...

उसी समय खोजी पत्रकार उस कमरे में घुसे। वहां उन्होंने पाया कि ट्रस्ट के नाम से करीब 102 चेक पड़े हैं। जो विभिन्न श्रोतों से प्राप्त हुए हैं 

एक रजिस्टर में उनकी एंट्री भी है। सारे चेक नंबर और बैंक का नाम नोट कर लिया । समय हो चुका था इसलिए उस दिन ये लोग वापस आ गए। जाकर शौरी साहब को बता दिया लेकिन वे खुश नहीं हुए । उनका कहना था कि इन सब की फोटो कॉपी चाहिए ।

दूसरे दिन ये पुनः कोयना पुनर्वास औफिस गये और खुद को आडिट टीम का बताकर कुछ डाक्यूमेंट फोटो कौपी करने का जुगाड कर लिया ।

फिर लंच ब्रेक में रजिस्टर और चेक की फोटो कॉपी हासिल हो गई ।

अब भी अरुण शौरी खुश नहीं थे । उनका मानना था कि चेक से कैसे प्रूफ होगा कि यह किसी काम के एवज में दी गई है ? 

तब नई सरकार में शंटिंग में पड़े एक वरीय आई.ए.एस. अफसर की मदद ली गई। उन्होंने बताया कि जिस जिस तारीख का जिस बिजनेस मैन का चेक है उससे संबंधित कोई न कोई निर्णय कैबिनेट में पारित हुआ है । होटल के लिए जमीन दिए जाने के दिन होटल मालिक का चेक । बीयर बार एसोसिएशन का चेक और उसी दिन  बीयर बार में डांस देखने की स्वीकृति । फिर क्या था..कड़ी से कड़ी मिलती गई । उस समय सीमेंट और चीनी का राशनिंग था। ये दोनों परमिट पर मिलते थे । सीमेंट और चीनी को फ्री सेल में बेचने का पारी पारी से कंपनियों को छूट मिलता था। यही सबसे बड़ा घोटाला था। जिस कंपनी ने पैसे दिए उसे लगातार छूट । जिसने नहीं दिए उस की राशनिंग।

अब न्यूज बनाने की बारी थी।

संपादक खुद रात में 11 बजे कंपोज करने बैठे । 

उन्हें डर था कि लिक न हो जाए और बात लिक हो गई। 

अंतुले साहब का फोन इंडियन एक्सप्रेस के मालिक श्री रामनाथ गोयनका को आया। उन्होंने साफ-साफ कह दिया..कि मैं संपादकीय मामले में  कोई हस्तक्षेप नहीं करता और फोन रख दिया। 

दूसरे दिन न्यूज छपा .. इंदिरा गांधी के नाम पर व्यापार हंगामा हो गया ।  संसद में सवाल उठा.. तब वित्त मंत्री आर वेंकटरमण ने कहा कि...

इंदिरा गांधी को ऐसे किसी ट्रष्ट की जानकारी नहीं है। 

दूसरे दिन न्यूज छपा... झूठे हैं ! आप वित्त मंत्री जी ! और साथ में ट्रस्ट के उद्घाटन समारोह की तस्वीर भी छाप दी गई जिसमें इंदिरा गांधी भी उपस्थित थीं। हंगामा इतना बढ़ा कि ..अंतुले साहब बर्खास्त हो गये । बताया जाता है कि  मृणाल गोरे ने इस पर मुकदमा दायर कर दिया था  और डर था कि इंदिरा गांधी भी न फंस जाएं। इसलिए अंतुले को बर्खास्त कर दिया गया।


यह थी खोजी पत्रकारिता के स्वर्णिम काल की अनूठी मिसाल है

सुशील कुमार सरावगी जिंदल राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार समिति नई दिल्ली भारत 

email address abrpsindia@gmail.com


1973 में इंदिरा गाँधी ने न्यायमूर्ति A.N. रे को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बैठा दिया वो भी तब जब उनसे वरिष्ठ न्यायधीशों की लिस्ट जैसे न्यायमूर्ति 

JM शेलात, KS हेगड़े और AN ग्रोवर सामने थी. 

अंततः हुआ यह कि नाराज़गी के रूप में इन तीनों न्यायधीशों ने इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस ने पार्लियामेंट में जवाब दिया, ...यह सरकार का काम है कि किसे मुख्य न्यायधीश रखें और किसको नहीं और हम उसी को बिठाएंगे जो हमारी विचारधारा के पास हो.

और आज वही लोग न्यायाधीशों की आज़ादी की बात करते हैं?

1975 में न्यायाधीश जगमोहन सिंहा को एक फैसला सुनाना था. फैसला था राजनारायण बनाम इंदिरा गांधी के चुनावी भ्रष्टाचार के मामले का. उनको फ़ोन आता है जिसमें कहा जाता है, 'अगर तुमने इंदिरा गाँधी के ख़िलाफ़ फैसला सुनाया, तो अपनी पत्नी से कह देना इस साल करवा चौथ का व्रत न रखे' जिसका न्यायमूर्ति सिंहा ने आराम से जवाब देते हुए कहा 'किस्मत से मेरी पत्नी का देहांत 2 महीने पहले ही हो चुका है.'

इसके बाद न्यायमूर्ति सिंहा ने एक ऐतिहासिक निर्णय दिया जो आज भी मिसाल के रूप में जाना जाता है. इसने कांग्रेस सरकार की चूलें हिला दी और इसी से बचने के लिए इंदिरा गाँधी और कांग्रेस द्वारा आपात काल जनता पर थोप दिया गयारं. देश को नहीं, इंदिरा गाँधी को बचाना था.

1976 में A.N. रे ने इंदिरा गाँधी द्वारा खुद पर किये गए एहसान का बदला चुकाया ....शिवकांत शुक्ला बनाम ADM जबलपुर के केस में.

उनके द्वारा बैठाई गयी पीठ ने उनके सभी मौलिक अधिकारों को खत्म कर दिया.  उस पूरी पीठ में मात्र एक बहादुर न्यायाधीश थे जिन का नाम था न्यायमूर्ति HR खन्ना जिन्होंने अपने साथी मुख्य न्यायधीश को कहा कि 'क्या आप खुद को आईने में आँख मिलाकर देख सकते हैं ?'

इस पीठ में न्यायाधीश AN रे, HR खन्ना, MH बेग, YV चंद्रचूड़ और PN भगवती शामिल थे.

ये सब मुख्य न्यायाधीशों की सूची में आये, केवल एक न्यायधीश को छोड़ कर जिनका नाम था न्यायधीश  HR खन्ना जी.

खन्ना जी को इंदिरा गाँधी की सरकार ने दण्डित किया और अनुभव तथा वरिष्ठता में उनसे नीचे बैठे न्यायधीश MH बेग को देश का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया. 

यह था भारत के लोकतंत्र का हाल कांग्रेस के राज में! ⁉️⁉️

यही न्यायाधीश MH बेग सेवानिवृत्ति के बाद नेशनल हेराल्ड के निदेशक बना दिये गए. यह नेशनल हेराल्ड अखबार वही अखबार है जिस के घोटाले में आज सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ज़मानत पर छूटे हुए हैं. 

यह पूरी तरह से कांग्रेस का अखबार था और एक प्रकार से कांग्रेस के मुखपत्र की तरह काम करता था.

आश्चर्यजनक रूप से न्यायाधीश बेग ने नियुक्ति को स्वीकार कर लिया. राहुल गाँधी का 'संविधान को खतरा'वाले सवाल पर उनके मुँह पर यह जानकारियां मारी जानी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि क्या इस प्रकार से ही बचाना चाहते हो लोकतंत्र को ⁉️

बात यहीं खत्म नहीं हुई, बल्कि 1980 में इंदिरा गाँधी सरकार में वापस आयी और इसी MH बेग को अल्प संख्यक आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. वह इस पद पर 1988 तक रहे, और उनको 'पद्म विभूषण' से राजीव गाँधी की सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया था।

1962 में न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम का एक और नया मामला सामने आया जो आपको जानना अति आवश्यक है.

श्रीमान इस्लाम कांग्रेस के राज्य सभा के MP थें 1962 के दौरान ही और उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. हार गए थे. वो दोबारा 1968 में राज्य सभा के MP बनाये गए. कांग्रेस की ही तरफ से (सीधी सी बात है.) उन्होंने 1972 में राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया और उनको गुवाहाटी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बना 

दिया गया.1980 में वो सेवानिवृत्त हो गए. परंतु जब इंदिरा गाँधी 1980 में दोबारा वापस आयी तो इन्हीं श्रीमान इस्लाम को 'न्यायाधीश बेहरुल इस्लाम' की उपाधि वापस दी गयी और सीधे सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बना दिया गया. गुवाहाटी उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त होने के 9 महीने बाद का यह मामला है भाई साहब।

इंदिरा गांधी पूरी तरह से यह चाहती थी कि सभी न्यायालयों पर उनका 'नियंत्रण' हो. उस समय आपात काल के दौरान इंदिरा गांधी और कांग्रेस पर लगे आरोपों की सुनवाई विभिन्न न्यायालयों में हो रही थी.

वो इंदिरा गाँधी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुए और साफ तौर पर कांग्रेस के लिए भी. न्यायाधीश' इस्लाम ने एक महीने बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और फिर एक बार असम के बारपेटा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े.

लोकतंत्र का इससे बड़ा मज़ाक क्या होगा? जिस चुनाव में वो खड़े होने वाले थे उस साल चुनाव नहीं हो पाए 

अतः उनको एकबार फिर से कांग्रेस की तरफ से राज्य सभा का सदस्य बना दिया गया. लोकतंत्र के लिए जिस प्रकार से कांग्रेस आज छाती पीट रही है, उसी ने लोकतंत्र का गला सबसे अधिक बार घोंटा है.


गुपकार

 क्या है गुपकार गैंग?:

श्रीनगर में एक बेहद वीआईपी रोड है जिसे गुपकार रोड कहते हैं। इसी रोड पर कश्मीर के तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों के बंगले हैं गोल्फ कोर्स है गुपकार रोड पर फारुखअब्दुल्ला, उमरअब्दुल्ला, गुलामनबीआजाद, डॉक्टरकरणसिंह, महबूबामुफ्ती, अब्दुलगनी लोन सहित तमाम कश्मीरी नेताओं के बड़े-बड़े और आलीशान बंगले हैं और यह बंगले सरकारी है जिस पर इन्होंने कब्जा किया हुआ है। इन्होंने अपना एक संगठन बनाया जिसे गुपकार ग्रुप कहते हैं और यह अब कश्मीर में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। यानी कश्मीर में अब कांग्रेस, नेशनलकान्फ्रेंस, और पीडीपी मिलकर चुनाव लड़ेगी और इन्होंने अपने गुपकारगैंग का जो घोषणापत्र बाहर किया है उसमें पहला लाइन यह है कि किसी भी तरह से धारा 370 और 35a को बहाल करना, चाहे उसके लिए चीन और पाकिस्तान की मदद क्यों न लेनी पड़े। सोचिए जो राहुलगांधी चीन के मुद्दे पर मोदी और मोदी सरकार पर हमला करता है उसी राहुल गांधी की कांग्रेस पार्टी कश्मीर में 370 और 35a फिर से लगाने के लिए चीन से मदद मांग रही है। 

Thursday 19 November 2020

रोशनी एक्ट

भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर का रोशनी एक्ट खत्म कर दिय। सोचिए आज तक किसी मीडिया ने हम लोगों को रोशनी एक्ट के बारे में बताया ही नही। यह रोशनी एक्ट कश्मीर छोड़कर भाग गए हिंदुओं के मकान दुकान और जमीन और खेत मुस्लिमो को देने का फारुख अब्दुल्ला द्वारा बनाया गया एक  षड्यंत्र था जिसमें कांग्रेसी भी शामिल थी। 1990 के दशक में जितने भी हिंदू कश्मीर से भागे उन्हें पाकिस्तान के मुसलमानों ने मार कर नहीं भगाया बल्कि उनके ही पड़ोसी जिनके साथ वह बचपन में सेवई खाते थे त्यौहार मनाते थे चाय पीते थे उन्हीं पड़ोसियों अब्दुल असलम गफ्फार ने मार मार कर भगाया। उसके बाद जब पूरा कश्मीर घाटी हिंदुओं से खाली हो गया तब फारुख अब्दुल्ला के पास कुछ मुस्लिम गए और बोले कि हिंदुओं के इन मकानों दुकानों जमीनों खेतों खलिहानो को मुसलमानों को देने के लिए आप कुछ नियम बनाइए। तब फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया और इस रोशनी एक्ट के द्वारा सिर्फ ₹101 में किसी भी हिंदू की जमीन खेत मकान या दुकान एक मुसलमान की हो जाती थी। शगुफा यह छोड़ा गया कि मुसलमानों के घरों के आसपास के घर जो हिंदुओं के थे वह नहीं है बिजली का कनेक्शन काट देने की वजह से उनके आसपास अंधेरा रहता है जिससे उनके लिए खतरा हो सकता है इसलिए ऐसे घरों को रोशन करना जरूरी है। 

इस तरह रोशनी एक्ट का ताना-बाना बना

चुकी हिंदू जब अपना सब कुछ छोड़ कर भाग गए तब बिजली का बिल नहीं चुका पाने की वजह से उनके खेतों के ट्यूबेल का या दुकानों का या घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया.... फिर फारुख अब्दुल्ला ने एक रोशनी एक्ट बनाया जिसके द्वारा मात्र ₹101 फीस भरकर कोई भी मुसलमान अपने नाम से उस हिंदू के खेत खलिहान मकान दुकान के लिए बिजली का कनेक्शन लेने का आवेदन भर सकता था। इस तरह पहले उस मुसलमान के नाम बिजली का बिल जनरेट कर दिया जाता था उसके बाद कुछ ही सालों में उस वक्त हिंदू की मकान दुकान या खेत का पूरा मालिकाना हक उस मुसलमान को दे दिया गया। इस तरह इस जालिमाना रोशनी एक्ट द्वारा फारुख अब्दुल्ला ने कश्मीर घाटी के हजारों हिंदुओं की बेशकीमती प्रॉपर्टी मुसलमानों को मात्र 101  रुपये।में दे दी। 

सबसे आश्चर्य की भारत की वामपंथी मीडिया कभी इस रोशनी एक्ट की चर्चा नहीं की। 

जम्मू काश्मीर में "रोशनी विधेयक" रद्द!

खेल देखिये, हिन्दुओं, कैसे अब्दुल  ने पड़ोसी हिन्दू को मार-भगाकर उसकी जमीन, मकान पर कब्जा जमा लिया १९९० में, फिर कब्जाई जमीन उस कथित शांतिदूतों के नाम करने का षड्यंत्र रचा गया। बिजली कनेक्शन देने की आड़ लेकर एक "रोशनी एक्ट" बनाया फारुख अब्दुल्ला सरकार ने। कब्जाई हिन्दूभूमि को मुस्लिम के नाम करने की फीस रखी गई मात्र १०१ रुपए। १०१ रुपये जमा करने मात्र से राशि जमा करने वाले के नाम वो जमीन का मालिकाना हक "रोशनी एक्ट" के अंतरगत पट्टा जारी कर दिया जाता, और फिर उस पर बिजली कनेक्शन देकर उस हिन्दूभूमि को सदा के लिए मुसलमान के नाम कर दिया गया।  

खेल बहुत गहरा खेला गया फारुख अब्दुल्ला द्वारा। 

१९९० की कत्ल वाली रात के पस्चात, जो जमीन जिसके कब्जे में थी, उसे "रोशनी एक्ट" द्वारा उसका मालिक बनाने का कानून फारुख अब्दुल्ला ने बनाया। 

१९९० के बाद से मुसलमानों के नाम की गई हिन्दूभूमि के कागजात, जो कि "रोशनी एक्ट" द्वारा जारी किए गए थे, उन्हें रद्द किया जाएगा, और उसके असली स्वामी हिन्दू को ढूंढा जाएगा। 

जम्मू-काश्मीर में हिन्दुओ के अच्छे दिनों को आरंभ करता  नरेंद्र मोदी। 

*इंच इंच हिन्दूभूमि पुनः काश्मीरी हिन्दुओं को दिलाने के लिए संघर्ष करता हिन्दुराज। 

हिन्दू पंडितों को मार-भगाकर काश्मीर में मुस्लिमों द्वारा कब्जा की गई हिन्दूभूमि को मात्र ₹१०१ में मुसलमानों के नाम करने के लिए फारुख अब्दुल्ला के द्वारा बनाये गए "रोशनी एक्ट" को हिन्दुराजा नरेंद्र मोदी ने रद्द कर दिया है। 

साथ ही २००१ में काश्मीर में मुस्लिम नेताओं व उनके रिश्तेदारों के नाम बंदरबांट द्वारा "रोशनी एक्ट" द्वारा कब्जाई हिन्दूभूमि के सारे रिकॉर्ड को भी खंगालने के आदेश जारी किए गए हैं। 

भागते हिन्दुओं के बंगले, कोठियां, कारखाने, उद्योग, बाग बगीचे, केशर के बागान मुसलमानों ने कब्जा कर लिए थे। उन हिन्दूभूमि को आतंकी मुस्लिमों व उनके रिश्तेदारों के नाम करने के लिए "रोशनी एक्ट", जो कि क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति के लिए तैयार किया गया था, उसकी आड़ में बिजली कनेक्शन देने के लिए केवल ₹१०१ में कब्जा जमीनों व बागानों, बंगलों, अन्य हिन्दूभूमि को मुस्लिमों के नाम पर पट्टा जारी कर दिया गया। काश्मीर को हिन्दुविहीन करने के षड्यंत्र में फारुख अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती दोनों के पिता की मुख्य भूमिकायें थी। इन्होंने भी अकूत हिन्दूभूमि अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम "रोशनी एक्ट" द्वारा पट्टा जारी करते हुए कब्जाई। अब हिन्दुराजा नरेन्द्र मोदी के आदेशों से "रोशनी एक्ट" रद्द कर दिया गया है, और १९९० के बाद में जो भी सम्पति मुसलमानों के नाम की गई थी, सब की जांच आऱभ करने का मार्ग खोल दिया है। हिन्दुराजा नरेन्द्र मोदी इसालमिक आतंकवाद की असली जड़ पर चोट कर दिए हैं। 

इसी काश्मीर से "संविधान" की आड़ लेकर, हिन्दुओं के विरुद्ध आधुनिक "गजवा-ए-हिन्द" का षड्यंत्र फारुख अब्दुल्ला और मुफ्ती मोहम्मद सैयद के द्वारा आरंभ किया गया था! जिसको "रोशनी एक्ट" बनाकर, काश्मीर में से हिन्दुविहीन करने का सफल षड्यंत्र रचा! राजनीतिक आतंकवादियों के बूरे दिन आरंभ हुए हैं। 

हिन्दुओं, शीघ्रपतन के शिकार हो कर, नरेन्द्र मोदी को मत कोसो। वो अखण्ड भारत के लक्ष्य को लेकर, चाणक्य नीति के आधार पर, राजधर्म निभा रहे हैं। मगर कुछ मूर्खों को तो स्वयं के जागरूक नागरिक होने का सार्वजनिक प्रमाण पत्र लेने की इतनी हड़बड़ाहट लगी रहती है, कि देश में कहीं पर भी किसी सेकुलर हिन्दू के साथ कुछ घटना घटित हुई नहीं, कि लग गए मोदी को गालियां देने। तरह तरह के सुझावों की झड़ी लगा देते हैं, कि मोदी तो विश्वास जीतने में लग गया है, मोदी ने तो हिन्दुओं के लिए क्या किया है? ऐसे शीघ्रपतन के शिकार अत्यंत बुद्धिजीवी वर्ग के तथाकथित जागरूक हिन्दुओं को कहना चाहता हूँ कि ७२ वर्षों में जितना षड्यंत्र हिन्दुओं के विरुद्ध कांग्रेस के ईसाई व मुस्लिम नेतृत्व ने किया है, उसकी सटीक जानकारी आपको नहीं है। आप केवल बरसाती मेंढकों की तरह टर्र टर्र करके मोदी-विरोधी गद्दारों के लिए वातावरण बनाने का अनसमझा पाप ही कर रहे हो। अगर आपको ये लगता है कि मोदी के अच्छे निर्णयों पर कुछ लिखने मात्र से आपके पाप क्षीण हो गए हैं, तो  ये आपकी मूर्खता ही है। बुद्धिमान व्यक्ति के तमगे लगाए आप लोग असल में जागते हिन्दुओं को पथभ्रष्ट करने का अनदेखा पाप कर रहे हो। 

राजनीतिक धर्म युद्ध में कोई निष्पक्ष नहीं होता। करोड़ों ग़द्दार मोदी के विरोध में हैं, और करोड़ों हिन्दू मोदी के पक्ष में। 

अब आप ही तय करिए कि आप किस पक्ष के साथ हो। आपके व्यवहार से किसे अधिक लाभ होता है? मोदी को या विपक्ष को?

स्वयं आंकलन करिए व अपनी कलम की दिशा धर्मरक्षार्थ गुप्त व दृश्यतामक निर्णय लेने वाले नरेंद्र मोदी के पक्ष में शाब्दिक करे मोदी-विरोधी पृष्ठभूमि के भंवरजाल में फंसे हिन्दुओं को बाहर निकल आने में साक्षी बनें। 


साभार:  हिन्दु धर्म ध्वजा वाहक



जवाहरलाल नेहरू

 3 पूर्व भारतीय प्रधानमंत्रियों पर प्रश्नोत्तर।


Q1: थुसु रहमान बाई नाम से महिला कौन है ?

Ans: पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की माँ।


Q2: जवाहरलाल नेहरू के पिता कौन हैं ?

Ans: श्री मुबारक अली


Q3: मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू के बीच क्या संबंध है ?

Ans: मुबारक अली की मृत्यु के बाद मोतीलाल नेहरू, थुसु रहमान बाई के दूसरे पति हैं। मोतीलाल मुबारक अली के कर्मचारी के रूप में काम कर रहा था और वह उसके लिए दूसरी पत्नी है। तो मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता हैं।


Q4: क्या जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी पंडित जन्म से हैं ?

Ans: नहीं, पिता और माता दोनों ही मुसलमान हैं।


Q5: क्या जवाहरलाल नेहरू अपने सौतेले पिता की वजह से अपना हिन्दू नाम रखे हुए थे ?

Ans: हाँ, क्योंकि ये नाम एक पर्दा था। लेकिन मोतीलाल भी खुद कश्मीर पंडित नहीं हैं।


Q6: मोतीलाल के पिता कौन हैं और पंडित उनके नाम के साथ कैसे जुड़ गए ?

Ans: मोतीलाल के पिता जमुना नहर (नेहर) के ग़यासुद्दीन गाज़ी हैं जो 1857 के विद्रोह के बाद दिल्ली भाग गए और फिर कश्मीर चले गए। वहाँ उन्होंने अपना नाम गंगाधर नेहरू में बदलने का फैसला किया ('नहर/नेहर' 'नेहरू' बन गए) और "पंडित" को इस नाम के सामने इसलिए रखा कि वे लोगों को अपनी जाति पूछने का कोई मौका न दे। अपने सिर पर टोपी (टोपी) के साथ पंडित गंगाधर नेहरू इलाहाबाद चले गए। उनके बेटे मोतीलाल ने लॉ की डिग्री पूरी की और लॉ फर्म के लिए काम करना शुरू किया।


Q7: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

Ans: जवाहरलाल नेहरू के सौतेले पिता से जन्मे मंसूर अली (मुस्लिम) और कमला कौल नेहरू (एक कश्मीरी पंडित)।


Q8: पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के माता-पिता कौन हैं ?

Ans: जहांगीर फ़िरोज़ खान (फ़ारसी मुस्लिम) और इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ ​​मामूना बेगम खान। इंदिरा प्रियदर्शिनी नेहरू उर्फ ​​मामूना बेगम खान- w/o जहांगीर फिरोज खान (फारसी मुस्लिम), जिन्होंने बाद में मोहनदास करमचंद गांधी की सलाह पर अपना नाम बदलकर गांधी रख लिया। उनके दो बेटे राजीव खान (पिता फिरोज जहांगीर खान) और संजीव खान (नाम बाद में बदलकर राजीव गांधी व संजय गांधी हो गए) संजय के पिता भी फिरोज़ नही बताये जाते। 


Q9: क्या जवाहरलाल नेहरू (भारत के पूर्व प्रधानमंत्री), मुहम्मद अली जिन्ना (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) और शेख अब्दुल्ला (कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री) एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं ?

Ans: हाँ

ऊपर बताए गए तीन लोगों की माताओं में एक ही पति मोतीलाल नेहरू थे। जिन्ना की मां मोतीलाल की चौथी पत्नी हैं। अब्दुल्ला मोतीलाल की 5 वीं पत्नी जो उनके घर की मेड थी के माध्यम से है। इसलिए दोनों के पिता एक ही थे। जबकि जवाहर लाल के पिता मोतीलाल जवाहर लाल के सौतेले पिता हैं। 


Q10: आपको ये सभी उत्तर कहां से मिले, जबकि मुझे इतिहास की पुस्तकों में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली है?

Ans: एम. ओ. मथाई (जवाहरलाल नेहरू के निजी सहायक) की जीवनी से।

द्वारा  एम.ओ. मथाई!!

           *बहुत कम लोगों को पता है कि इस परिवार के बारे में।"


आज देश को पहली बार पता चल रहा है कि कश्मीर वैली की population 53 लाख है। जम्मू रीजन की population 69 लाख है, और लद्दाख की population 5 लाख है।

कश्मीर का एरिया, राज्य के टोटल Area का 16%, जम्मू का Area 25%, बाकी  का  59% Area लद्दाख का है।

सोचने वाली बात ये है कि ना कश्मीर वैली एरिया के हिसाब से ज्यादा है, ना पोपुलेशन के हिसाब से, लेकिन नेहरू ने कश्मीर वैली को 47 सीट विधान सभा में दे दी, तथा जम्मू व लद्दाख को मिलाकर 43 सीट। 

मतलब अगर कोई जम्मू व लद्दाख की सारी सीट भी जीत ले, तब भी सत्ता नहीं पा सकता।

ऐसा घिनौना खेल देश  के साथ खेला गया ।🤔

1947 में बंटवारा नही, बल्कि जेहाद हुआ था...!!
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यह कैसा बंटवारा था...? 
जो भी हिन्दू अपना घर और जमीन पाकिस्तान मे छोड़कर हिन्दुस्तान आए…   उस पर तो मुसलमानों का कब्जा हुआ ही... साथ मे जो घर और जमीन मुसलमान हिन्दुस्तान मे छोड़कर पाकिस्तान गए…   उसे भी वक्फ बोर्ड के माध्यम से मुसलमानों को ही सौंप दिया गया...
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नेहरू, गांधी और कांग्रेस ने, ये कैसा न्याय किया था हिन्दुओं के साथ...?

एक तो मुसलमानों को बांग्लादेश और पाकिस्तान दे दिया…  दूसरे हिन्दुस्तान मे सेकुलरिज्म के नाम पर मुसलमानों को अल्पसंख्यक घोषित कर विशेष संरक्षण दे दिया...  ऊपर से दोनो देशों के विस्थापितों की छूटी हुई सारी जमीन जायदाद भी मुसलमानो के हवाले कर दी गई...

साथ में नेहरू ने कश्मीर का ऐसा नासूर दिया कि वहां से भी हिन्दुओं की धन संपत्ति और उनकी महिलाओं की इज्जत लूटकर उन्हें खदेड़ दिया गया...इतना सब होने और सहने के बाद भी, देश का सेकुलर व कायर हिन्दू, कांग्रेस को वोट देता है ?

देवी देवता

33 करोड नहीँ  33 कोटी देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मेँ।

कोटि = प्रकार। 

देवभाषा संस्कृत में कोटि के दो अर्थ होते है, कोटि का मतलब प्रकार होता है और एक अर्थ करोड़ भी होता।

हिन्दू धर्म का दुष्प्रचार करने के लिए ये बात उडाई गयी की हिन्दुओ के 33 करोड़ देवी देवता हैं और अब तो मुर्ख हिन्दू खुद ही गाते फिरते हैं की हमारे 33 करोड़ देवी देवता हैं.

कुल 33 प्रकार के देवी देवता हैँ हिँदू धर्म मे :-

12 प्रकार हैँ

आदित्य , धाता, मित, आर्यमा, शक्रा, वरुण, अँश, भाग, विवास्वान, पूष, सविता, तवास्था, और विष्णु...!

8 प्रकार हे :-

वासु:, धर, ध्रुव, सोम, अह, अनिल, अनल, प्रत्युष और प्रभाष।

11 प्रकार है :- 

रुद्र: ,हर,बहुरुप, त्रयँबक, अपराजिता, बृषाकापि, शँभू, कपार्दी, रेवात, मृगव्याध, शर्वा, और कपाली।

एवँ

दो प्रकार हैँ अश्विनी और कुमार।

कुल :- 12+8+11+2=33 कोटी 


अगर कभी भगवान् के आगे हाथ जोड़ा है तो इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगो तक पहुचाएं। ।



श्री मद्-भगवत गीता

 "श्री मद्-भगवत गीता"के बारे में-


ॐ . किसको किसने सुनाई?

उ.- श्रीकृष्ण ने अर्जुन को सुनाई। 


ॐ . कब सुनाई?

उ.- आज से  5700 साल पहले सुनाई।


ॐ. भगवान ने किस दिन गीता सुनाई?

उ.- रविवार के दिन।


ॐ. कोनसी तिथि को?

उ.- एकादशी 


ॐ. कहा सुनाई?

उ.- कुरुक्षेत्र की रणभूमि में।


ॐ. कितनी देर में सुनाई?

उ.- लगभग 45 मिनट में


ॐ. क्यू सुनाई?

उ.- कर्त्तव्य से भटके हुए अर्जुन को कर्त्तव्य सिखाने के लिए और आने वाली पीढियों को धर्म-ज्ञान सिखाने के लिए।


ॐ. कितने अध्याय है?

उ.- कुल 18 अध्याय


ॐ. कितने श्लोक है?

उ.- 700 श्लोक


ॐ. गीता में क्या-क्या बताया गया है?

उ.- ज्ञान-भक्ति-कर्म योग मार्गो की विस्तृत व्याख्या की गयी है, इन मार्गो पर चलने से व्यक्ति निश्चित ही परमपद का अधिकारी बन जाता है। 


ॐ. गीता को अर्जुन के अलावा 

और किन किन लोगो ने सुना?

उ.- धृतराष्ट्र एवं संजय ने


ॐ. अर्जुन से पहले गीता का पावन ज्ञान किन्हें मिला था?

उ.- भगवान सूर्यदेव को


ॐ. गीता की गिनती किन धर्म-ग्रंथो में आती है?

उ.- उपनिषदों में


ॐ. गीता किस महाग्रंथ का भाग है....?

उ.- गीता महाभारत के एक अध्याय शांति-पर्व का एक हिस्सा है।


ॐ. गीता का दूसरा नाम क्या है?

उ.- गीतोपनिषद


ॐ. गीता का सार क्या है?

उ.- प्रभु श्रीकृष्ण की शरण लेना


ॐ. गीता में किसने कितने श्लोक कहे है?

उ.- श्रीकृष्ण जी ने- 574

अर्जुन ने- 85 

धृतराष्ट्र ने- 1

संजय ने- 40.

नई शिक्षा नीति 2020

 कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दे दी है।

शिक्षा नीति को 34 वर्षों के बाद बदल दिया गया है। नई शिक्षा नीति के बारे में उल्लेखनीय बातें इस प्रकार हैं:

5 साल के फंडामेंटल

नर्सरी @ 4 साल

जूनियर केजी @ 5 साल

सीनियर केजी @ 6 साल

Std 1st @ 7 साल

Std 2nd @ 8 साल


3 साल की तैयारी

Std 3rd @ 9 साल

Std 4th @ 10 साल

Std 5th @ 11 साल


9 साल मध्य

Std 6th @ 12 साल

Std 7th @ 13 साल

Std 8th @ 14 साल


4 साल माध्यमिक

Std 9th @ 15 साल

Std SSC @ 16 साल

Std FYJC @ 17 वर्ष

STD SYJC @ 18 साल


जरुरी चीजें:

केवल 12 वीं कक्षा में बोर्ड होंगे।

कॉलेज की डिग्री के 4 साल।

10 वीं बोर्ड नहीं

M Phil भी बंद हो जाएगा।

(जेएनयू जैसे संस्थानों में, 45 से 50 वर्ष के छात्र कई वर्षों तक वहां रहते हैं और M Phil का पीछा करते हैं। इन सभी विवादित वामपंथी विचारकों को अब संस्थान से हटा दिया जाएगा)

अब 5 वीं तक के छात्रों को मातृभाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रीय भाषा में ही पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय, भले ही वे अंग्रेजी हों, विषय के रूप में पढ़ाए जाएंगे।

अब सिर्फ 12 वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देनी है। जबकि पहले 10 वीं बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य था, जो अब नहीं होगा।

परीक्षा 9 से 12 वीं कक्षा तक सेमेस्टर के रूप में होगी।

स्कूली शिक्षा 5 + 3 + 3 + 4 फॉर्मूला (ऊपर तालिका देखें) के तहत की जाएगी।

कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी यानी पहले साल ग्रेजुएशन, दूसरे साल डिप्लोमा, तीसरे साल में डिग्री दी जाएगी।

3-वर्ष की डिग्री उन छात्रों के लिए है, जिन्हें उच्च शिक्षा लेने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले छात्र एक साल में एमए कर सकेंगे।

--- अब छात्रों को M Phil नहीं करना पड़ेगा। बल्कि MA के छात्र अब सीधे PhD कर सकेंगे।

छात्र बीच-बीच में अन्य कोर्स कर सकेंगे। उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात 2035 तक 50 प्रतिशत होगा। वहीं, नई शिक्षा नीति के तहत, यदि कोई छात्र किसी कोर्स के बीच में दूसरा कोर्स करना चाहता है, तो वह पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर दूसरा कोर्स कर सकता है।

उच्च शिक्षा में भी कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में वर्गीकृत शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता आदि शामिल हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय भाषाओं में ई-पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स को विकसित किया जाएगा। एक राष्ट्रीय शैक्षिक वैज्ञानिक मंच (NETF) शुरू किया जाएगा। देश में 45 हजार कॉलेज हैं।

यूनिफॉर्म के नियम सभी सरकारी, निजी, डीम्ड संस्थानों के लिए होंगे।

इस नियम के अनुसार, नया शैक्षणिक सत्र शुरू किया जा सकता है और सभी छात्रों और अभिभावकों को इस संदेश को ध्यान से पढ़ने की आवश्यकता है।


Wednesday 18 November 2020

विचारक नाथूराम

 महान देशभक्त राष्ट्र पुत्र महात्मा नाथूरामगोडसे को उनके बलिदान दिवस पर शौर्य पूर्ण श्रद्धांजलि

जन्म : 19 मई 1910 बारामती पुणे (महाराष्ट्र)

बलिदान : 15 नवंबर 1949 अंबाला जेल (पंजाब)

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महात्मा नाथूराम गोडसे का अंतिम बयान 👇👇

कहा जाता है की इसे सुनकर अदालत में उपस्थित सभी लोगो की आँखे गीली हो गई थी और कई तो रोने लगे थे। एक जज महोदय ने अपनी टिपणी में लिखा था की यदि उस समय अदालत में उपस्थित लोगो को जज बनाया  जाता और उनसे फैंसला देने को कहा जाता तो निसंदेह वे प्रचंड बहुमत से नाथूराम के निर्दोष होने का निर्देश देते!

इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान जज खोसला से नाथूराम ने अपना पक्ष खुद पढ़ कर जनता को सुनाने की अनुमति माँगी थी, जिसे जज ने स्वीकार कर लिया था l

नाथूराम जी ने अपने बयान में कहा👇👇

सम्मान ,कर्तव्य और अपने देश वासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमें अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है। में कभी यह नहीं मान सकता की किसी आक्रामक का सशस्त्र  प्रतिरोध करना कभी गलत या अन्याय पूर्ण भी हो सकता है।

प्रतिरोध करने और यदि संभव हो तो ऐसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करना को मैं एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य मानता हूँ। मुसलमान अपनी मनमानी कर रहे थे, या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसर्पण कर दे और उनकी सनक ,मनमानी और गंदे रवैये के स्वर में स्वर मिलाये अथवा उनके बिना काम चलाये वे अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे।

महात्मा गाँधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे .गाँधी जी ने मुस्लिमों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य और सुन्दरता के साथ बलात्कार किया। गाँधी जी के सारे प्रयोग केवल और केवल हिन्दुओ की कीमत पर किये जाते थे। जो कांग्रेस अपनी देश भक्ति और समाज वाद का दंभ भरा करती थी। उसी ने गुप्त रूप से बंदूक की नोक पर पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया।

मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण भारत माता के टुकड़े कर दिए गये और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई। नेहरु तथा उनकी भीड़ की स्वीकारोक्ति के साथ ही एक धर्म के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया .इसी को वे बलिदानों द्वारा जीती गई स्वतंत्रता कहते है। और, किसका बलिदान ?

जब कांग्रेस के शीर्ष नेताओ ने गाँधी जी के सहमती से इस देश को काट डाला ,जिसे हम पूजा की वस्तु मानते है , तो मेरा मस्तिष्क भयंकर क्रोध से भर गया .मैं साहस पूर्वक कहता हूँ की गाँधी अपने कर्तव्य में असफल हो गए। उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया।

मैं कहता हूँ की मैंने गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाईं  ,जिसकी नीतियों और कार्यो से करोड़ों हिन्दुओं को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला। ऐसी कोई क़ानूनी प्रक्रिया नहीं थी जिसके द्वारा उस अपराधी को सजा दिलाई जा सके, इसीलिए मैंने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया।

मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करूँगा ,जो मैंने किया उस पर मुझे गर्व है। मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे। जब तक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहे तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना।

ऐसे देशभक्त क्रांतिकारी तथा प्रखर विचारक को मैं उनके चरणों में शत शत नमन करता हूं 🙏🏻🙏🏻

महात्मा नाथूराम गोडसे अमर रहे 🙏🏻🙏🏻🇮🇳🇮🇳

एक दिन आएगा जब गांधी की जगह गोडसे की मूर्तियां लगेंगी क्योंकि गोडसे सही साबित हो चुके हैं और मुसलमान बार-बार गांधी को गलत साबित कर देता है। 

- अभी जब ओवैसी ने बिहार के सीमांचल में 5 सीटें जीत लीं तो मुसलमानों ने एक बार फिर गांधी को गलत साबित कर दिया। 

- जब भारत बंटा तो बलूचिस्तान से बंगाल तक 9 से 10 करोड़ मुसलमान रहे होंगे... मुसलमानों ने अपने अलग देश के लिए रोना धोना मचाया और जंगी जुनून पैदा किया... हिंदुओं का कत्लेआम किया तो गांधी ने देश का बंटवारा स्वीकार कर लिया ।

- तब कांग्रेस में मौजूद सरदार पटेल लॉबी ने बिलकुल साफ कहा । अंबेडकर ने भी कहा कि सुनियोजित बंटवारा करो और सारे मुसमलानों को देश से बाहर कर दो... पाकिस्तान भेज दो ताकी सांप्रदायिकता की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाए लेकिन गांधी नहीं माना और यहां भी मुसलमानों को रहने दिया। 

- अब टूटे फूटे भारत में 9 करोड नहीं 25 करोड़ मुसलमान हैं और वो (अधिकांशत:) पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं  या फिर उसका समर्थन करते हैं या मुखर होकर विरोध नहीं करते हैं । 

- यानी कुरान शरीफ के अनुयायियों ने बार-बार गांधी के पूरे अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और सामाजिक समरसता के सिद्धांतों को खारिज कर दिया है। 

- अब अगर ओवैसी ये कहता है कि हम तुमको 15 मिनट में खत्म कर देंगे... अगर कश्मीर से किसी मौलाना की आवाज उठती है कि अब देश में इतने मुसमलान हो गए हैं कि फिर से बंटवारा कर सकते हैं तो बार-बार गोडसे सही साबित होते हैं और गांधी गलत साबित होता है। 

- मुसलमानों ने उस वक्त भी गांधी को गलत साबित कर दिया जब दिल्ली में छत से सुरक्षाबलों पर तेजाब की बाल्टियां उड़ेल दी गईं थीं । 

- मुसलमानों ने उस वक्त भी गांधी को गलत साबित कर दिया जब शाहीनबाग में जिन्ना के समर्थन में नारे लगे । शरजील इमाम जैसा अलगाववादी विचारक भी गांधी को गलत साबित करता है । 

- अभी जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में ईशनिंदा करने वाले की हत्या करने के नारे लगे... तब भी मुसलमानों ने गांधी को गलत साबित कर दिया था। 

- अभी जब वल्लभगढ़ में निकिता तोमर की सरेआम हत्या कर दी गई... तो भी गांधी ही गलत साबित हुआ। 

- गांधी बार बार गलत साबित होता है इसीलिए कहता हूं कि लोगों के दिलों से गांधी की प्रतिमा उखड़ चुकी है अब देखना ये है कि गली मोहल्लों चौराहों में और कितने दिन ये मूर्तियां खड़ी रहती हैं ? 


- इतिहास गोडसे का पुनर्मूल्यांकन करेगा

🙏साभार-दिलीप पाण्डेय  जी।। 

साल 2010...                                                

मैं पुणे गया हुआ था...                                       

स्व नाथूराम गोडसे जी का घर भी गया...

वहाँ मेरी मुलाकात नाथूराम गोडसे जी के छोटे भाई गोपाल गोडसे के सुपुत्र श्री नारायण गोडसे और उनकी धर्मपत्नी से हुई...  

उन्होंने मुझे  बहुत प्यार और सम्मान से घर में बिठाया..  नाश्ता दिया और काफी सारी इधर उधर की बातें की...      मैं यह जानना चाहता था...      

कि गाँधी की हत्या के बाद  उनके परिवार पर क्या गुजरा...

उन्होंने बताया जिस समय महात्मा गाँधी की हत्या हुई...उस समय उनके पिता गोपाल गोडसे इंडियन आर्मी में सेवारत थे... और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह ईरान और इराक में भी अंग्रेजी फौज की ओर से युद्ध में भाग लिए थे... गाँधी की हत्या के तुरंत बाद...नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे को घटनास्थल से गिरफ्तार कर लिया गया...         और गोपाल गोडसे को पुणे से गिरफ्तार किया गया...  नि:संदेह गाँधी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की थी...               और नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे ने घटनास्थल से भागने की कोई कोशिश नहीं की थी...लेकिन गोपाल गोडसे पुणे में थे... उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं था...पर उन्हें भी इस हत्याकांड के लिए 18 साल की सजा दी गई... नाथूराम गोडसे की एक इंश्योरेंस थी ₹5000 की...  जिसमें गोपाल गोडसे की धर्मपत्नी सिंधुताई गोडसे नॉमिनी थी...  क्योंकि नाथूराम गोडसे अविवाहित थे... तो उन्होंने अपने छोटे भाई की धर्मपत्नी को नॉमिनी बनाया था...इसी को आधार बनाते हुए काँग्रेस सरकार ने गोपाल गोडसे को 18 साल तक जेल में रखा... गाँधी वध के तुरंत बाद पुणे और उसके आसपास के इलाकों में चितपावन ब्राह्मणों की सामूहिक हत्याकांड शुरू हो गई...सिंधुताई गोडसे अपने तीनों छोटे बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए इधर उधर भागती रही...ऐसे वक्त में नाते रिश्तेदारों ने भी उनसे हाथ खींच लिया...राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गाँधी हत्या एक जघन्य अपराध है...कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया...उनके घर को जलाकर खाक कर दिया गया...जीविकोपार्जन के लिए उन्होंने सड़क के किनारे लोहार का काम शुरू किया... स्वर्गीय नारायण गोडसे ने अपना हाथ मेरे हाथ में दिया... और दबाने को कहा... उनका हाथ पत्थर के माफिक कठोर था...  उन्होंने कहा 12 साल की उम्र से वह लोहे पीट रहे थे अपनी माता जी के साथ...बहनें बड़ी होती जा रही थी...  कहीं भी रिश्ते की बात होने से काँग्रेसी नेता लड़के वाले को भड़का देते थे...  और विवाह नहीं होने देते थे... उनकी माता जी के साथ अभद्र व्यवहार सरेआम होता था..2 बार तो ऐसा हुआ जब थाने से लड़के वाले को विवाह ना करने को कहा गया...  और विवाह करने की स्थिति में अंजाम भुगतने की धमकी दी गई...आखिर वीर सावरकर ने अपने छोटे भाई के बेटे से उनकी एक बहन का विवाह करवाया...जो बाद में हिमानी सावरकर के नाम से अभिनव भारत की प्रेसिडेंट हुई...आपको क्या लगता है कितने ब्राह्मणों की हत्या की गई..मैंने उनसे पूछा... 

उनकी आँखों में आँसू आ गए...और उन्होंने कहा दिन तो किसी तरह गुजर जाता था... लेकिन रात होते ही चुन-चुन कर चितपावन ब्राह्मणों के घर पर पेट्रोल से हमला होती थी...और घर और उसमें रहने वाले केा साथ जलाकर राख कर दिया जाता था... ना कोई मामला दर्ज किया जाता था... ना पड़ोस के लोग काँग्रेसियों के डर से मदद कर पाते थे... मदद करने वाले को अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती थी... और कुछ जगह पर तो मदद करने वालों की सार्वजनिक हत्या भी की गई... ऐसी हालत में उनकी माताजी अपने दोनों छोटे बच्चों को लेकर गाँव चले गए... 

और एक गाँव से दूसरे गाँव तक भटकते रहे...लोगों ने सलाह दिया कि वह अपने को नाथूराम का संबंधी ना बताएं...

अन्यथा जान से मारे जाएंगे... किसी तरह से दंगा समाप्त हुआ...लगभग 8000 से अधिक चितपावन ब्राह्मणों की सरेआम हत्या के बाद...गाँधी वध का बदला 8000 निर्दोष ब्राह्मणों की हत्या करके लिया गया...उन्होंने एक लंबी साँस लिया ...  एक घूँट पानी पिया... उनकी आँखों में आँसू थे... और आगे कहना शुरू किया... जीवन कठिन था....

दो वक्त का भोजन असंभव... माताजी ने लोहार का काम शुरू किया... सड़क के किनारे बैठ कर लोहे के छोटे-मोटे औजार बना कर बेचना शुरू किया... 1962 के युद्ध के दौरान उन्होंने अपनी सेवाएं केंद्र सरकार को देने के लिए पत्र भी लिखा... जिसका उन्हें कोई जवाब नहीं मिला... 1965 के युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं केंद्र सरकार को देने के लिए पत्र लिखा जिसका कोई जवाब नहीं मिला...स्वर्गीय नाथूराम गोडसे के फाँसी के बाद उनके परिवार ने उनके मृत शरीर की माँग की थी... ताकि वे हिंदू रीति रिवाज के अनुसार उनका अंतिम क्रिया कर्म कर सकें...  लेकिन सरकार ने उसकी पत्र का कोई जवाब नहीं दिया...अंबाला जेल में ही उन दोनों को फाँसी देकर...

उनकी लाश भी जला दी गई...अस्थियाँ घग्गर नदी में फेंक दी गई... किसी तरह से उनके परिवार को स्वर्गीय नाथूराम गोडसे और स्वर्गीय नाना आप्टे की अस्थियाँ मिली...जिसको उन्होंने अपने घर के एक कमरे में रखा है...

 क्योंकि नाथूराम गोडसे की अंतिम इच्छा थी...उनकी अस्थियाँ सिंधु नदी में बहाया जाय...जब सिंधु नदी हिंदुस्तान के झंडे तले बह रहा हो...चाहे इसके लिए कितना भी समय लग जाए... कितनी भी पीढ़ियाँ गुजर जाए... नाथूराम गोडसे जी का कहना था... यहूदियों को 1600 साल लगा इसराइल को पाने में... हमें भी 100 - 200 साल लग सकते हैं...लेकिन हमें इंतजार और संघर्ष करना होगा... नाथूराम गोडसे ने एक बात कही थी... 

बाकी क्रांतिकारियों को और उनके परिवार वाले को... 

सम्मान मिलेगा...

धन भी मिलेगी... 

और लोग उनसे जुड़ने में गर्व महसूस करेंगे... 

वे देशभक्त कहलाए जाएंगे...  लेकिन मेरे परिवार को ना सम्मान मिलेगा... ना धन मिलेगा... लोग भी उनसे जुड़ने से परहेज करेंगे...उन्हें देशद्रोही कहा जाएगा... अंग्रेजों के समय में तो सिर्फ क्रांतिकारी को फाँसी दी जाती थी... 

और परिवार वाले सुरक्षित होते थे... मेरे मरने के 100 साल के बाद...लोगों को मेरा बलिदान समझ में आएगा...  

और गाँधी का मुखौटा उतर चुका होगा...लेकिन 100 साल तक मेरे परिवार को भीषण कष्ट सहने होंगे...आजादी के बाद ना सिर्फ नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे को फाँसी दी गई... बल्कि उनके पूरे परिवार को तबाह और बर्बाद कर दिया गया... और साथ में तबाह हुए 8000 निर्दोष परिवार... गाँधी की अहिंसा की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी निर्दोष ब्राह्मणों को...नाथूराम गोडसे और नाना आप्टे की अस्थियों को मैंने प्रणाम किया... उनके साथ भोजन किया और मैंने चलने का इजाजत माँगी... वह मुझे छोड़ने गेट तक आए... मैं उनके चरण स्पर्श करने के लिए झुका...लोहे जैसे हाथों से उन्होंने मुझे उठाया... उनकी आँखों में आँसू थे..मेरी भी आँखें नम थी...

कहने का कुछ नहीं था... फिर भी उन्होंने कहा फिर आना... और घर पर ही रुकना...मैंने भी हाँ में सिर हिलाया...

#साभार- #यशवंत_पाण्डेय