Thursday 5 November 2020

Fourth Pillar

जिस इंटीरियर डिज़ाइनर ने आत्महत्या किया उसके और अरनव गोस्वामी के बीच में कोई निजी डील नहीं थी बल्कि उस इंटीरियर डिजाइनर के फर्म और अरनव गोस्वामी की कंपनी के बीच में डील हुआ था और परचेज ऑर्डर के समय जो शर्ते रखी गई थी उन शर्तों के अनुसार अर्णब गोस्वामी ने उसे 90% पेमेंट दे दिया था और यह बात मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी गई है

90% पेमेंट लेने के बाद अगर उस इंटीरियर डिजाइनर को यह लग रहा था कि उसके साथ धोखा हुआ है तब इसके लिए आर्थिक मामले देखने वाले आर्बिट्रेटर होते हैं उनके पास सिविल शूट फाइल की जाती है यह मामला क्रिमिनल केस में नहीं आता है और मुंबई पुलिस ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि इंटीरियर डिजाइनर  के परिवार के अनुसार अरनव गोस्वामी ने उसका पेमेंट नहीं दिया इसलिए वो दुखी था  जबकि जांच में यह पता चला कि उस इंजीनियर डिजाइनर ने अपना बाकी का 10% पेमेंट निकलवाने के लिए कोई कानूनी रास्ता नहीं अपनाया वह मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध में भी अपील नहीं किया और ना ही उसने आर्बिट्रेटर के पास कोई अपील किया..

मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार वह इंटीरियर डिजाइनर डिवोर्स होने की वजह से मानसिक तनाव में था इसलिए उसने और उसकी मां ने आत्महत्या कर ली

मित्रों यह सारी बातें मुंबई पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट में लिखी है जो अदालत में पेश की गई और अदालत ने इस रिपोर्ट के आधार पर इस पूरे केस को क्लोज कर दिया

कल अलीबाग कोर्ट में उपस्थित एक पत्रकार मित्र ने मुझे बताया उसके अनुसार:-

अलीबाग कोर्ट को मैंनेज तो कर लिया था लेकिन मैनेज करने की एक सीमा होती है.. जज साहब ने रायगढ़ पुलिस से पूछा आपने जो क्लोजर रिपोर्ट फाइल किया था उसके बाद आपको ऐसा क्या नया सबूत मिला जिसके आधार पर आपने अरनव गोस्वामी को गिरफ्तार किया और आप अरनव गोस्वामी को अपनी कस्टडी में लेना चाहते हैं ?

तब वहां उपस्थित सारे पुलिसकर्मी एक-दूसरे का मुंह देखते रहे और मुंबई पुलिस के वकील चुप हो गए उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई भी नया सबूत नहीं है सिर्फ परिवार का एक एप्लीकेशन है कि इस केस को रीओपन किया जाए

तब जज साहब ने मुंबई पुलिस के वकील से पूछा आप वकील है क्या आपको पता है कि केस रीओपन का क्या प्रोसीजर है 

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अर्णव गोस्वामी की गिरफ्तारी एक सोची समझी साजिश है महाराष्ट्र की उद्धव, पंवार और सोनिया सरकार की। काल मैंने टाइम्स नाउ पर रात 8 बजे एक 10 मिनट की स्टेटमेंट सुनी राहुल शिवशंकर की। उसने कहा कि अर्णव के वकीलों ने उसकी गिरफ्तारी के खिलाफ 9 कारण दिए जिसमे एक कारण था की गिरफ्तारी पॉलिटिकली मोटिवेटेड है क्योंकि नाईक की FIR पर तहकीकात हुई थी 2 साल पहले जिसमें सबूतों के अभाव में कोर्ट में पुलिस ने क्लोज़र रिपोर्ट फ़ाइल कर दी थी। इस प्ली के जवाब मरीन पुलिस का कहना है कि कोर्ट वो रिपोर्ट approve न करके उसे pending रख छोड़ा था जिसपे कोर्ट ने 20 मई 2020 को रिजेक्ट करके पुनः इन्वेस्टिगेशन के लिए रेफेर कर दिया था पुलिस को। कैरोना की वजह से उस वक़्त एक्शन नहीं लिया जा सका था इसलिए पॉलिटिकली motive नहीं है।

अब सोचने की बात ये है कि जब कैरोना की वजह से lockdown था तो कौनसी मजिस्ट…

ये वही नायक फैमिली जिसने क्लोज हो चुके केस को खोलने के लिए 2 तारीख को कहा था और 4 तारीख को कार्यवाही हो गई 

और यह फोटो 2 तारीख की है देखिए यह परिवार अपने पति और अपने पिता के गम में कितना दुखी और उदास लग रहा है



क्या कोई आम आदमी शरद पवार से मिल सकता है ? आजकल राजनीति का वो हाल है गली के पार्षद को भी कुछ काम के लिए बोलो तो बोलता है टाइम नही है शाम को मिलते है ...... 

कहानी ये बनाई गयी कि इस परिवार के मुखिया ने अर्नब गोस्वामी द्वारा पैसे नहीं देने की वजह से आर्थिक तंगी में आत्महत्या कर लिया

 इतनी ही बड़ी तंगी चल रही थी तो पति और सास (सासूमां) ने ही आत्महत्या क्यो की ? मां बेटी कैसे बच गए ?




स्वर्गीय बेचारा नाइक के गरीब मृत व्यक्ति !!

गरीब विधवा और गरीब बेटी की दुखद पोस्ट तस्वीरें देर से नाईक की आत्महत्या के बाद एफबी पर पोस्ट की गईं।

नाइक की अपनी संपत्ति लगभग 250 करोड़ रुपये है ...। और गरीब नाइक और उसकी माँ को अर्नब से आने वाले 82 लाख रुपये के लिए आत्महत्या करनी पड़ी! बहुत बुरा हुआ, श्रीमती नाइक और उनकी बेटी ने एफबी पर फोटो पोस्ट करके दिखाया है कि परिवार के साथ बहुत बड़ा अन्याय हुआ है। पूरा मराठी भाषी समुदाय नाइक परिवार के दुख को साझा करता है।








एक इंटीरियर डिजाइनर - जिसने अर्नब गोस्वामी के स्टूडियो में काम किया था - उसने और उसकी मां ने आत्महत्या कर लिया था। उस डिज़ाइनर ने कहीं कोई सुसाइड नोट नहीं छोड़ा था, किसी को कोई बयान नहीं दिया था जिससे साबित हो सके ऐसा उसने अर्णब के से परेशान होकर किया था। अर्णब को जान - बूझकर फंसाने की कोशिश की जा रही थी क्योंकि डिज़ाइनर की पत्नी ने अपने पति की आत्महत्या के मात्र कुछ हफ्तों बाद ही किसी और के साथ लिव-इन में रहने लगी। शायद इसीलिए डिज़ाइनर के पति और सास को आत्महत्या करनी पड़ी थी।बाद में उसकी बेटी ने अलीबाग पुलिस में शिकायत दिया कि अरनव गोस्वामी ने पेमेंट नहीं दिया था इसलिए मेरे पिता ने आत्महत्या किया। मुंबई पुलिस ने पूरी जांच की। अर्णब गोस्वामी ने इंजीनियर डिजाइनर का बिल का पेमेंट चेक से किया था। अर्णब ने पेमेंट का स्पष्ट प्रूफ पुलिस को दे दिया था जो साबित करता था कि उसने जितने का भी बिल था उतने राशि का पेमेंट उस एंटीरियर डिज़ाइनर को मिल चुका था। उसके बाद पुलिस को इस केस में क्लोजर रिपोर्ट लगाकर केस को बंद करना पड़ा था। पहली बात तो ये है कि यह आत्महत्या का केस ही रुपए पैसे से जुड़ा नहीं है क्योंकि अगर यह केस रुपए पैसे से जुड़ा होता तब वह इंटीरियर डिजाइनर या तो अकेले आत्महत्या करता या उसकी पत्नी उसके साथ आत्महत्या करती। आखिर मां ने उसके साथ आत्महत्या क्यों किया ?  और आत्महत्या के कुछ ही दिनों बाद उसकी पत्नी किसी और के साथ रहने क्यों चली गई? लेकिन कहते हैं सरकारों के पास बहुत ताकत होती है। सरकारें जो चाहे वह कर सकती हैं। लेकिन सरकारें यह भूल जाती हैं कि भारत में हर 5 साल के बाद चुनाव भी होता है और उद्धव भी यह भूल गया है।

#IndiawithArnab #ArnabGoswami




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