Thursday 26 November 2020

अहमद पटेल

अहमद पटेल ने हिंदुत्व की जड़ में मरने तक इतना मट्ठा डाल दिया है कि अभी दशकों लग जायेंगे उबरने में।

भारत मे सिर्फ दो ही ऐसे व्यक्ति थे, जिसके पास इस देश में चल रहे किसी मदरसे किसी मस्जिद किसी मौलवी किसी स्तर के मुस्लिम धर्मगुरु की विस्तृत जानकारी रहती थी। उनमें से एक अहमद पटेल थे। अहमद पटेल ने कांग्रेस के सहारे जितनी सहायता मुसलमानों की कर दी उतनी तो एक प्रधानमंत्री भी पूरा तंत्र लगा कर नहीं कर सकता था। वो अपने मजहब के धर्मगुरुओं का धर्म गुरु था।

इसलिए किसी गलतफहमी में न रहिए। गजवा ए हिन्द के आधुनिक कार्यक्रमों की रीढ़ थे अहमद पटेल।

कांग्रेस को यह पता लग गया था कि यदि 2012 का विधानसभा चुनाव नरेंद्र मोदी जीत गए तब वह प्रधानमंत्री पद के तगड़े दावेदार बन जाएंगे और पप्पू उर्फ राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह जाएगा। 

उसके बाद कांग्रेस ने एक ऑपरेशन नरेंद्र मोदी अभियान चलाया जिसकी पूरी कमान अहमद पटेल के हाथों में थी। 

अहमद पटेल ने एक साथ कई मोर्चों  पर काम किया। 

पहला मोर्चा था नरेंद्र मोदी जी का चरित्र हनन करना उनके चरित्र पर कीचड़ उछालना... उसके लिए अहमद पटेल ने प्रदीप शर्मा नामक आईएएस ऑफिसर को मोहरा बनाकर एक फर्जी कहानी मीडिया में प्लांट करवाया कि नरेंद्र मोदी एक लड़की को बार-बार फोन करते हैं उसकी जासूसी करवाते हैं। 

दूसरा मोर्चा था 2012 विधानसभा चुनाव में गुजरात की मीडिया को खरीद कर नरेंद्र मोदी के खिलाफ माहौल बनाना और उसके लिए अहमद पटेल ने न्यूजप्रिंट कागज को मोहरा बनाया। दरअसल मान्यता प्राप्त अखबारों को भारत सरकार न्यूज़ प्रिंट कागज पर सब्सिडी देती है यह पेपर कनाडा से आता है और यदि सरकार सब्सिडी ना दे तो अखबार इतना महंगा हो जाएगा कि कोई अखबार खरीदेगा ही नहीं इसीलिए भारत सरकार हर एक न्यूज़पेपर हाउस को न्यूज़ प्रिंट कोटा देती है जिसमें उन्हें भारी भरकम सब्सिडी मिलती है। 

अहमद पटेल ने गुजरात के 3 बड़े अखबार दिव्य भास्कर, गुजरात समाचार और संदेश से कहा मैं तुम्हारा सब्सिडी कोटा बढ़ा दूंगा बल्कि तुम बैक डोर से भी हर महीने तीन-चार कंटेनर सब्सिडी लेकर इम्पोर्ट करो उसकी सब्सिडी भी लो और उसे खुले बाजार में मार्केट रेट पर बेचकर पैसे कमाओ लेकिन शर्त यही है कि तुम्हें मोदी के खिलाफ गुजरात सरकार के खिलाफ खबरें खूब छापनी है। 

इतना ही नहीं गुजरात समाचार के मालिक शांतिलाल शाह को पद्म विभूषण भी दिया गया। 

संदेश अखबार के मालिकों ने मालिकों को रियल एस्टेट बिजनेस के लिए बहुत बड़ी जमीन जो एनजीटी के अंतर्गत थी उसे केंद्र की मनमोहन सरकार ने क्लियर करवा दिया और संदेश ग्रुप में रिंग रोड पर विशाल टाउनशिप बनाई । 

इन तीनों अखबारों ने खतरनाक मोदी विरोध का बवंडर चला दिया था। 

मुझे याद है उस वक्त मैं नरेंद्र मोदी से मिला था और मैंने यह सवाल किया था कि सर स्टार न्यूज़ एनडीटीवी से लेकर गुजराती मीडिया भी आप के खिलाफ इतना कुछ लिख रही है तो मोदी जी ने मुस्कुराते हुए कहा था कि जेपी मेरी सबसे बड़ी ताकत सोशल मीडिया है तुम जैसे लोग हो जो इनके झूठ का अगले ही पल खुलासा कर देते हो और वह तेजी से वायरल भी होता है। 

अहमद पटेल ने 

तीसरा मोर्चा नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों में फंसाने के लिए रचा और उसके लिए उसने संजीव भट्ट को अपना मोहरा बनाया। संजीव भट्ट की बेटी का दाखिला महाराष्ट्र के D.Y. पाटील मेडिकल कॉलेज में मुख्यमंत्री कोटे से करवा दिया गया उसकी वाइफ को राज्यसभा में भेजने का लालच दिया गया और संजीव भट्ट मीडिया में झूठी बातें प्रचारित करने लगा उसकी सारी बातें सुप्रीम कोर्ट में झूठ साबित हुई खैर गुजरात सरकार ने भी संजीव भट्ट को उसकी औकात बता दी उसकी सारी पुरानी फाइल खोलकर उसे सलाखों में डाल दिया। 

आज उसकी पत्नी कहती है कि हमें कांग्रेस ने बलि का बकरा बना दिया। 

चौथा मोर्चा अहमद पटेल ने नरेंद्र मोदी को फर्जी एनकाउंटर केस में खोला। गुजरात में जितने भी आतंकवादियों का इनकाउंटर हुआ केंद्र में मनमोहन सरकार थी कई एनजीओ को खुद पैसे दिए गए उसमें शबनम हाशमी, तीस्ता सीतलवाड़, मुकुल सिन्हा जैसे लोग थे यह लोग किसी भी तरह से यह चाहते थे कि फर्जी एनकाउंटर केस में नरेंद्र मोदी फंसे उनको जेल हो यहां तक कि इन्होंने अमित शाह को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन नरेंद्र मोदी जी के ऊपर बाबा महाकाल की कृपा थी लाख कोशिश करने के बाद भी यह नरेंद्र मोदी पर हाथ नहीं डाल सके। 

इतना ही नहीं इन्होंने पार्टी के भीतर भी बहुत गहरी साजिश रची केशुभाई पटेल को बगावत के लिए अहमद पटेल ने ही  उकसाया था। 

पांचवा मोर्चा अहमद पटेल ने सरदार सरोवर नर्मदा परियोजना की फाइल रुकवा कर कर दिया ताकि गुजरात में अकाल पड़ता रहे गुजरात सरकार बदनाम हो मोदी जी ने मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी 5 दिनों तक आमरण अनशन किया मनमोहन सरकार बैकफुट पर आई और उसने बांध की ऊंचाई बढ़ाने की परमिशन दिया। 

छठा मोर्चा अहमद  पटेल ने सीबीआई और ईडी को लेकर किया तमाम बीजेपी नेताओं के घर पर छापे पड़ते थे चाहे वह नितिन गडकरी हो चाहे वह दूसरे नेता हो.. गुजरात में सीबीआई बहुत से नेताओं को परेशान करती रही। 

खैर जिसके ऊपर बाबा महाकाल की कृपा हो, अहमद पटेल तो क्या कायनात की कोई ताकत कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकती। आज अहमद पटेल संसार से विदा हो गए। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति दे।

क्यों अहमद पटेल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण था .

1. अहमद पटेल सोनिया गांधी के दाहिने हाथ थे। सोनिया गांधी को छोड़कर हर कोई उनके अधीन काम करता है।

2. वह भारत के अधिकांश मदरसों के मालिक थे। उनके परिवार के सदस्य देवबंद संस्थानों के कुलपति हैं। उनके चचेरे भाई मदरसों की श्रृंखला चलाते हैं।

3. वह और फारूक अब्दुल्ला पारिवारिक संबंध साझा करते हैं। उसके केरल में संबंध थे। वह भारत के लिए अरब पैसे का प्रवेश द्वार था।

4. उन्होंने पूरी मीडिया श्रृंखला को नियंत्रित किया। वह वही हैं जिनके आदेश पर विनीत जैन ने टाइम्स नाउ से अर्नब को बाहर कर दिया। उनके लोगों को सभी चैनलों में रखा गया है।

5. उनके प्रभाव में निलेकणी, किरण मजूमदार शॉ, नारायण और कई एनजीओ धावकों के रूप में कॉर्पोरेट कैडरों का बेड़ा है।

6. वह वह था जिसने तीन आदेश वापस लिए जब रॉ को दाऊद मिल गया था। समझौता, अजमेर से लेकर मुंबई विस्फोट तक, उन्होंने मीडिया कथा से लेकर गृह मंत्रालय तक सब कुछ मैनेज किया।

7. उन्होंने 2004-2014 के बीच सभी को न्यायपालिका, सचिव से मीडिया संपादकों के बीच भर्ती किया।

8. आप उनकी शक्ति का अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को 4 महीने से अधिक समय तक जेल में रखा था।  8 साल तक डीआईजी वंजारा के नेतृत्व में खुफिया टीम कण्ट्रोल की । वह इतना शक्तिशाली था कि उसने सीएम नरेंद्र मोदी को 13 घंटे तक पीटा। उन्होंने अमित शाह को गुजरात छोड़ने के लिए मजबूर किया।

9. वह ऑगस्टा वेस्टलैंड से लेकर स्पेक्ट्रम तक के पीछे का आदमी था। वह प्रधान दलाल था। सोनिया गांधी ने राहुल गांधी से ज्यादा अहमद पटेल का समर्थन किया।

10. उन्होंने खुले तौर पर 44 MLA पर कब्जा कर लिया और रिज़ॉर्ट में करोड़ों बर्बाद कर दिए। न तो मीडिया और न ही कानून ने उनसे पूछा कि वह ऐसा कैसे कर सकते हैं। वह सत्ता में नहीं हैं, हालांकि उन्होंने अपनी शक्ति दिखाई थी जब उन्हें 45 वोटों की आवश्यकता थी यह जानते हुए कि उन्हें केवल 44 वोट मिलेंगे। वह चुनाव आयोग गया और चुनाव आयोग ने 2 वोटों को अयोग्य घोषित कर दिया। वीडियो में कोई कदाचार नहीं दिखता है और कोई भी वीडियो की जांच कर सकता है। एनडीए के कैबिनेट मंत्रियों की मौजूदगी के बावजूद अहमद पटेल ने चुनाव आयोग को विजेता बनाया। यह राज्य चुनाव जीतने के बराबर है। उन्होंने कांग्रेस को 57 से घटाकर 42 कर दिया लेकिन कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि वह जीतें। वह सोनिया गांधी की जीवन रेखा थीं। 

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