Thursday 11 February 2021

राक्षसों के नाम पर बसे कुछ शहरों के नाम

 राक्षसों के नाम पर बसे कुछ शहरों के नाम


1. जालंधर: 


जालंधर पंजाब का सबसे पुराना शहर है और चमड़ा उद्योग के लिए जाना जाता है। पुराने समय में जालंधर, जलंधर राक्षस की राजधानी हुआ करता था। जलंधर का जन्म भगवान् शिव के अपनी तीसरी आंख खोलकर उसका तेज समुद्र में डाल देने से हुआ था। जलंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रत के कारण उसे कोई नहीं मार सकता था। बाद में भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया जिससे जलंधर मारा गया।


2. गया: 


गया बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। गयासुर को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था जिसके चलते वह देवताओं से भी ज्यादा पवित्र हो गया। उसे देखने और छूने से ही लोगों के पाप दूर हो जाते थे और वो स्वर्ग चले जाते थे। इस प्रकार असुर भी स्वर्ग पहुंचने लगे। इसे रोकने के लिए भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी के जरिए यज्ञ के लिए गयासुर से उसकी देह मांग ली। गयासुर देहदान कर गया। ये जो गया नाम की जगह है वो गयासुर का ही पांच कोस का शरीर है, जहां लोग अपने पितरों के तर्पण के लिए पहुंचते हैं।


3. कुल्लू घाटी: 


कुल्लू घाटी हिमाचल प्रदेश में है। पहले कभी इसका नाम हुआ करता था कुलंथपीठ। मतलब रहने लायक दुनिया का अंत।  कुलान्त नाम का एक राक्षस था। एक बार वह अजगर बनकर कुंडली मारकर ब्यास नदी के रास्ते में बैठ गया। ऐसा करके वह पानी में डुबाकर दुनिया का अंत करना चाहता था। भगवान शिव को पता चला तो वे उस जगह पर पहुंचे और कहा; 'देखो तुम्हारी पूंछ में आग लगी है। ऐसा सुनकर वह जैसे ही पीछे मुड़ा शिवजी ने त्रिशूल से उसका सिर काट लिया। उस राक्षस के मरने के बाद उसका पूरा शरीर पहाड़ में बदल गया जो कुल्लू घाटी कहलाया।


4. मैसूर: 


मैसूर बेंगलुरु से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर कर्नाटक- तमिलनाडु बॉर्डर के नजदीक बसा है। इसका नाम महिषासुर राक्षस के नाम पर पड़ा था। महिषासुर के समय इसे महिषा- ऊरु कहा जाता था। देवी भागवत के अनुसार राक्षस को देवी चामुंडा ने मार दिया था। महिषा- ऊरु बाद में महिषुरु कहा जाने लगा। फिर कन्नड़ में इसे मैसुरु कहा गया। जो अब मैसूर के रूप में फेमस हो गया है।


5. तिरुचिरापल्ली: 


तिरुचिरापल्ली तमिलनाडु का जिला है, जो चेन्नई से लगभग सवा तीन सौ किलोमीटर दूर है। इसको पहले थिरि- सिकरपुरम के नाम से जानते थे। अब इसे त्रिची भी कह देते हैं। कावेरी नदी के किनारे पर बसे इस शहर में थिरिसिरन नाम के राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की थी, इसी वजह से इसका नाम थिरिसिरपुरम पड़ा कहा जाता है। बाद में थिरि- सिकरपुरम से थिरिसिरपुरम हुआ और फिर तिरुचिरापल्ली।


6. शुद्धमहादेव: 


शुद्धमहादेव जम्मू कश्मीर के उधमपुर में है। सुद्धांत नाम का राक्षस शंकर जी का भक्त था। एक दिन वो पार्वती जी को डराने लगा। पार्वती जी ने आवाज देकर शिव जी से मदद मांगी। भगवान ने हिमालय से त्रिशूल फेंककर मारा, त्रिशूल लगा और राक्षस वहीं ढेर हो गया। बाद में शंकर जी ने उसे दर्शन भी दिए। और उसके वरदान मांगने पर उस जगह का नाम अपने और उसके नाम पर कर दिया। आज भी वहां भगवान का टूटा त्रिशूल तीन टुकड़ों में गड़ा है और राक्षस शुद्ध का नाम महादेव के पहले लिया जाता है।


7. पलवल: 


पलवल जिला हरियाणा में है पहले ये पंजाब में हुआ करता था। पलवल ही वो जगह है जहां महात्मा गांधी को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। पलवल का नाम पलंबासुर राक्षस के नाम पर पड़ा। एक समय इसे पलंबरपुर कहा जाता था। समय के साथ नाम बदला और पलवल हो गया। पलंबासुर को भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने मारा था। बलराम की याद में आज भी वहां बलदेव छठ का मेला भरता है।


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