Sunday 29 January 2017

मन्त्रों का विज्ञान से नाता है क्या ?

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मन्त्रों का विज्ञान से नाता है क्या ?

ज्यादातर लोग आजकल मन्त्र तंत्र आदि में विश्वास नहीं करते, इसकी वजह है आज का विज्ञान.. दूसरी वजह है मंत्रो के बारे में  हद से ज्यादा कल्पनातीत कहानियों का बनाया जाना । अब लोगों को लगता है कि अगर मन्त्र से ये होता है तो ये करके दिखाओ, या वो करके दिखाओ या बॉर्डर पर जाकर मन्त्रों से लड़ो आदि आदि।

पहले तो ये कहना अच्छा होगा कि मन्त्रों का प्रयोग हिन्दू(सिख आदि सभी) ही नहीं मुस्लिम और ईसाई के साथ बौद्ध भी करते हैं। खैर, 

कभी आपने सोचा है कि शब्दों से बने कुछ गानों पर आपके अंदर अलग अलग ऊर्जा जागती है या नहीं ? चलो ठीक है रोमांटिक गाने से प्रेम का भाव आता है ? दुःख के गानों से अचानक सबकुछ नीरस सा लगने लगता है ? अच्छा कुछ ऐसे गाने जो आपको पसंद ना हो तो सरदर्द भी करने लगता है और आप चीख पड़ते है कि .. बंद करो ये गाना... पर आपके अंदर इतने तरह की अलग अलग ऊर्जा सिर्फ शब्दों की वजह से क्यों पैदा हो जाती है ? सकारात्मक भी और नकारात्मक भी।


ये सब शब्दों का कमाल होता है,  उस शब्द ने जो ऊर्जा पैदा की है उससे आप प्रभावित होते हैं.. ।। शब्दों को उच्चारण करने से हवा में तरंग बनती है... तरंगों का झुण्ड किस तरफ जायेगा. .. कैसी शक्तियों से मिलेगा ये उस तरंग के प्रकार पर निर्भर है।

ये तो मानते हैं ना कि शब्द जो है वो ध्वनि पैदा करता है... ध्वनि देखा नहीं जाता लेकिन होता है ? ? विज्ञानं ही तो बता रहा हूँ.. तेज ध्वनि में तो इतनी ताकत होती है घरों के शीशे टूट जाते हैं.. कान के परदे फट जाते हैं.. तो क्या आपने देखा कि कान के परदे फाड़ने वाली ध्वनि कैसी थी ? दीखता तो वो अपने इस प्रचंड रूप में भी नहीं है।।

अगर कोई ध्वनि आपके कान के परदे फाड़ सकता है तो आपको बेहोश नहीं कर सकता ? बाजार में "mosquito repeller" नाम से एक यंत्र मिलता है.. उसको लाइए. . घर में लगा दीजिये... उससे एक सीमित मात्रा में एक ख़ास ध्वनि निकलती है जो आपको सुनाई नहीं देगी पर सारे मच्छर भाग जायेंगे... उसको सुनाई पड़ता है और वो बरदाश्त नहीं कर पाता। ध्वनि का प्रभाव है तो.. भई विज्ञान की बात कर रहा हूँ मैं...

मन्त्रों से आपको बेहोश किया जा सकता है.. मन्त्रों से पानी को अलग तरह का बनाया जा सकता है और खाने को भी.. अच्छा और बुरा दोनों... ध्वनि की तरंगें वातावरण के अच्छे और बुरे प्रभाव को सोखती हैं... अपने में मिलाती है या भगा देती है.. या उसकी दिशा मोड़ कर आपके तरफ लाती है किसी दूसरे के ऊपर छोड़ देती है...

ये शून्य.. ये हवा.. कोई रिक्त स्थान नहीं है... आपको दीखता नहीं वो अलग बात है पर उसी रिक्त या अदृश्य या खाली सी जगह .. पर मन्त्र काम करता है क्योंकि आँखों के ना देख पाने की वजह से जिस चीज का उपयोग हम नहीं कर पा रहे उस चीज से हम मन्त्रों के माध्यम से संवाद करते हैं।

बाकी ये सब एक ज्ञान का विषय है कि कौन से शब्द .. कौन सी ध्वनि.. कैसा उच्चारण... होना चाहिए... इसके जानकार कौन हैं... कहाँ है... कितने लोग ऐसे आज बचे हैं... और फिर वही बात है कि इससे सबकुछ नहीं होता , थोड़ा बहुत होता है.. फिर मंत्र है कोई गोली बम नहीं कि उठाया और पटक दिया. .. समय लगता है.. उच्चारण होता है.. उसे साधना पड़ता है ... बाकी तो ऐसा है कि मानिए या ना मानिए.. कोशिश थी विज्ञानं की दृष्टि से समझाने की.
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