Saturday 22 May 2021

शादी लाल और.... शोभा सिंह

 एक मित्र की कलम से --


दो महान देशभक्तों की कहानी और दो बडे़ गद्दारों की भी 


जनता को नहीं पता है कि भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वाले दो व्यक्ति कौन थे,जब दिल्ली में भगत सिंह पर अंग्रेजों की अदालत में, असेंबली में बम फेंकने का मुकद्दमा चला तो भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त के खिलाफ शोभा सिंह ने गवाही दी। और दूसरा गवाह था शादी लाल !

 दोनों को वतन से की गई इस गद्दारी का इनाम भी मिला। दोनों को न सिर्फ सर की उपाधि दी गई बल्कि और भी कई दूसरे फायदे मिले। 

 शोभा सिंह को दिल्ली में बेशुमार दौलत और करोड़ों के सरकारी निर्माण कार्यों के ठेके मिले।

और.... 

 शादी लाल को बागपत के नज़दीक अपार संपत्ति मिली। आज भी जिला शामली में शादी लाल के वंशजों के पास चीनी मिल और शराब कारखाना है।

  शादीलाल और शोभा सिंह, भारतीय जनता कि नजरों मे सदा घृणा के पात्र थे और अब तक हैं। 

 लेकिन शादी लाल को गांव वालों का ऐसा तिरस्कार झेलना पड़ा कि उसके मरने पर किसी भी दुकानदार ने अपनी दुकान से कफ़न का कपड़ा तक नहीं दिया। शादी लाल के लड़के उसका कफ़न दिल्ली से खरीद कर लाए तब जाकर उसका अंतिम संस्कार हो पाया था।

शोभा सिंह खुशनसीब रहा। उसे और उसके पिता सुजान सिंह (जिसके नाम पर पंजाब में कोट सुजान सिंह गांव और दिल्ली में सुजान सिंह पार्क है) को राजधानी दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में हजारों एकड़ जमीन मिली और खूब पैसा भी। 

 शोभा सिंह के बेटे खुशवंत सिंह ने शौकिया तौर पर पत्रकारिता शुरु कर दी और बड़ी-बड़ी हस्तियों से संबंध बनाना शुरु कर दिया। 

सर शोभा सिंह के नाम से एक चैरिटबल ट्रस्ट भी बन गया जो अस्पतालों और दूसरी जगहों पर धर्मशालाएं आदि बनवाता तथा मैनेज करता है। 

 आज दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास बाराखंबा रोड पर जिस स्कूल को मॉडर्न स्कूल कहते हैं वह शोभा सिंह की जमीन पर ही है और उसे सर शोभा सिंह स्कूल के नाम से जाना जाता है।   खुशवंत सिंह ने अपने संपर्कों का इस्तेमाल कर अपने पिता को एक देशभक्त दूरदृष्टा और निर्माता साबित करने की भरसक कोशिश की।

 खुशवंत सिंह ने खुद को इतिहासकार साबित करने की भी कोशिश की और कई घटनाओं की अपने ढंग से व्याख्या की। 

 खुशवंत सिंह ने भी माना है कि उसका पिता शोभा सिंह 8 अप्रैल 1929 को उस वक्त सेंट्रल असेंबली मे मौजूद था जहां भगत सिंह और उनके साथियों ने धुएं वाला बम फेंका था                        बकौल खुशवंत सिंह, बाद में शोभा सिंह ने यह गवाही दी।

 शोभा सिंह 1978 तक जिंदा रहा और दिल्ली की हर छोटे बड़े आयोजन में वह बाकायदा आमंत्रित अतिथि की हैसियत से जाता था। हालांकि उसे कई जगह अपमानित भी होना पड़ा लेकिन उसने या उसके परिवार ने कभी इसकी फिक्र नहीं की।


खुशवंत सिंह का ट्रस्ट हर साल सर शोभा सिंह मेमोरियल लेक्चर भी आयोजित करवाता है, जिसमे बड़े-बड़े नेता और लेखक अपने विचार रखने आते हैं, और बिना शोभा सिंह की असलियत जाने (य़ा फिर जानबूझ कर अनजान बने) उसकी तस्वीर पर फूल माला चढ़ा आते हैं। 

आज़ादी के दीवानों के विरुद्ध और भी गवाह थे ।

1. शोभा सिंह 2. शादी राम के अलावा

3. दिवान चन्द फ़ोर्गाट

4. जीवन लाल 

5. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दादा 


दीवान चन्द फोर्गाट DLF कम्पनी का Founder था, इसने अपनी पहली कालोनी रोहतक में काटी थी 

इसकी इकलौती बेटी थी जो कि K.P.Singh को ब्याही और वो मालिक बन गया DLF का ।

अब K.P.Singh की भी इकलौती बेटी है जो कि कांग्रेस के "गुलाम नबी आज़ाद" के बेटे सज्जाद नबी आज़ाद के साथ ब्याही गई है।अब वह DLF का मालिक बनेगा ।

जीवन लाल मशहूर एटलस साईकिल कम्पनी का मालिक था।

हुड्डा को तो आज किसी परिचय की जरुरत नहीं है, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री जी अपनी कुर्सी जाने से इतना तिलमिला गए कि उन्होंने जाट आंदोलन की आड़ में पूरा हरियाणा जलवा दिया। 

 आज जब मुझे ये सब पता चला है मैं सोच रहा हूँ कि क्यूँ मैंने एटलस  साइकिल खरीदी? 

क्यूँ मैंने डी एल एफ में पैसा लगाया। 

क्यूँ अपने बच्चों को गदारों के स्कूल में पढ़ाया। 

क्यू किसी ने मुझे ये सब पहले नहीं बताया??? 

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