Tuesday, 27 October 2020

डा. शालिनी चावला

 निम्नलिखित लेख पढ़ कर मुझे अत्यंत दुःख हुआ। 

लेख 

जब काँग्रेस की निष्क्रिय सरकार और मीडिया की खामोशी से मानवता कराह उठी


आज आपको 10 वर्ष पीछे लेकर चलते हैं  2010 में ... 

इस्लाम व कांग्रेस का बर्बर चेहरा दिखाने के लिए..


अब मैं भारतीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, सुप्रीम कोर्ट और मीडिया का हिन्दू विरोधी भयानक दृश्य आपके सामने रखता हूँ...


इसे पढकर आप आंखों में आंसू नहीं लाना, रोना नहीं.. बल्कि विचार करना, अपने अंदर क्रोध की अग्नि प्रज्वलित करना..


दिल्ली निवासी डा.आशीष चावला व उनकी पत्नी डा. शालिनी चावला ने सऊदी अरब के नजरान स्थित किंग खालिद अस्पताल में नौकरी जाइन किये चार साल बीत गए थे, दो वर्ष की छोटी सी बेटी थी..


31जनवरी 2010 तक बहुत अच्छा जीवन चल रहा था..

लेकिन 31जनवरी को डा. आशीष को सीधा सा हृदयाघात हुआ और उनकी अचानक मृत्यु हो गई..

 तब डा. शालिनी चावला गर्भावस्था में थी और प्रसव का समय नजदीक था..


इसीलिए उन्होंने कुछ समय पहले नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था आराम करने के लिए..


अपने देश परिवार से हजारों मील दूर अकेली महिला, दो साल की बेटी को संभाले, कैसे अपने आपको ? और इतना बड़ा आघात कैसे भी अपने पति की लाश भारत लेकर आना था!


 लेकिन संभव नहीं हो सका..


 अस्पताल में एक ओर पति का शव बर्फ में दबा पडा और दूसरी ओर इस विपदा से दुखी शालिनी ने दर्दनाक सीजेरियन डिलीवरी से पुत्र (वेदांत)को जन्म दिया.. 


उसके बाद महीने भर आराम करना ही था..

तब तक उसने अपनी मां श्रीमती उमा नागपाल व अपने भाई को भारत से बुलवा लिया..

जब भाई व मां पहुंचे तो वह अस्पताल बहुत कष्ट में थी..


रूकिये

ये दुख कुछ भी नहीं था..


अब शुरू होता है इस्लामिक कठमुल्लों का अत्याचार..


2 मार्च को डा. आशीष का शव लेकर भारत आना था सबको..

सब कागज बन चुके थे...


लेकिन अस्पताल में काम करने वाले दो पाकिस्तानी कर्मचारियों व कुछ स्थानीय लोगों ने पुलिस मे शिकायत दर्ज की व  एक झूठी कहानी बनाई..


कि डा. आशीष चावला ने मृत्यु से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था वह नमाज पढता था मस्जिद जाता था और उसकी पत्नी ने उसे जहर देकर मार डाला...


इसी झूठी शिकायत पर पुलिस ने विपदा की मारी डा. शालिनी को 1 मार्च को पुलिस स्टेशन बुला लिया..

ओर पति के इस्लाम मे जाने व शालिनी पर जहर देकर मारने का आरोप लगाया...


ओर कहा कि जब तक तहकीकात पूरी नहीं हो जाती तुम सब भारत नही जा सकती लाश यही रहेगी।

डा. शालिनी ने सभी आरोपों को झूठा साबित कर दिया, बहुत सारे तर्क दिये,बहुत गुहार लगाई ...

फिर भी एक बेचारी महिला कहाँ तक आरोपों को सुनती, उत्तर देती... 


डा. शालिनी ने खूब बोला कि आशीष के इस्लाम स्वीकारने का प्रश्न ही नही उठता..

 कभी मस्जिद,नमाज जाना तो दूर वह अपने काम में इतने व्यस्त रहते थे..


लेकिन कौन सुने फरियाद..

सामने तो मनुष्य नहीं जानवर कौम के सिपाही थे..

डा. शालिनी तो एकदम रो ही पडी..

रोती बिलखती बहन को भाई सहारा देकर थाने से घर तक लाया..


भाई का सहारा भी एक दिन ही मिल सका..वीजा अवधि समाप्त होने के चलते भाई को रोते हुए भारत लौटना पड़ा।

16 मार्च को पुलिस ने डा.शालिनी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया..


पति की लाश अस्पताल में, छोटा सा नवजात शिशु व दो वर्ष की बेटी घर मे छूट गए..

मां के बिना उधर बच्चा बेहाल..

इधर आंखों में दुख का समंदर समेटे भारत की बहादुर बेटी शालिनी अरब की जेल मे..


दुखों का पहाड़ उसके ऊपर क्या कम था..

इधर भारत में डा. शालिनी के चाचा श्री नागपाल ने अपनी भतीजी पर सउदी अरब में हो रहे भयानक अत्याचार रूकवाने के लिए सरकारी अफसरों के चक्कर लगाने शुरू कर दिये..


प्रधानमंत्री कार्यालय को कितनी बार अवगत कराया गया, मंत्रियों, विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर को कितनी बार अलग अलग माध्यमों से मदद की गुहार लगाई जाती रही लेकिन

नंपुसक संवेदनहीन कांग्रेस के किसी मंत्री ने कोई सहायता नहीं की..


क्रूर शशि थरूर ने अरब के इस्लामिक कानूनों का हवाला देकर विवशता दिखा अपनी औकात बता दी..


 प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक चिट्ठी तक वहां की सरकार को नहीं लिखी..जबकि बहुत समय पहले इस अत्याचार की सूचना उनको थी...


यह वही मनमोहन सिंह थे जो कुछ समय पहले आतंकवादी होने के शक मे आस्ट्रेलिया एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किए गए डा. हनीफ के लिए गमगीन हर संभव प्रयास करने का वादा करते थे, डा. हनीफ की गिरफ्तारी पर निर्लज्ज मनमोहन सिंह का बयान था कि मुझे रात को नींद नहीं आयी.. जबसे डा. हनीफ गिरफ्तार हुए हैं।


लेकिन वही मृतमोहन सिंह डा. शालिनी पर हो रहे भीषण अत्याचार पर अच्छी नींद सोते रहे..


हनीफ प्रकरण में आसमान सिर पर उठाने वाले सबसे जागरूक, सबसे तेज चैनल.. वीना मलिक, राखी सावंत, व डाली बिंद्रा जैसी गंदगी पर दिन रात किस्से सुनाने वाले किसी भी मीडिया वाले घुसखोरो ने कोई स्टोरी नहीं चलाई, 


डा.शालिनी के लिए सबकी जीभ कट गई, कोई मानवाधिकार आयोग नहीं बचा, अरबों चंदा डकारने वाले महिला आयोग की आत्मा मर गई, 


सुप्रीम कोठे ने कोई संज्ञान नहीं लिया..

सऊदी अरब की जेल में बंद वह निर्दोष प्रसूता आंखों में आंसू लिये अकेले लडती रही..

इस मरे हुए देश के किसी विपक्ष ने जंतरमंतर पर कैंडल मार्च नही निकला..

वह अकेली ही आर्थिक तंगी से गुजरते हुए भी.. केस लडती रही...


अन्ततः नवबंर मे डा. आशीष की दुबारा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई, कोई सबूत जहर देने के नही मिले..

इतने अत्याचार के बाद, निर्दोष साबित होने के बाद भारत आने की आज्ञा मिली..


 लेकिन डा. आशीष का शव देने मे कागजी कार्रवाही मे फिर भी 22 दिन ओर लगा दिये क्रूर इस्लामिक अरब प्रशासन ने..

इतने पर भी मुल्लो का दिल नहीं पसीजा..

ओर कठमुल्लों व काजी ने फिर भी तीन शर्तों के साथ शव शालिनी को दिया..


1.सरकार से कोई मुआवजा नहीं मांगना है। 

2. शव को मुस्लिम तरीकें से दफनाना है। 

3.इस मामले को दुबारा नहीं उठाना है।


मरता क्या न करता.. रो रोकर

आंखों में आंसू सुखा चुकी.. रोष व दुख के सागर में डूबी बहादुर डा. शालिनी चावला 11महीने तक अपने पति के शव के लिये लडती रही.. 


बाद मे अंत्येष्टि के लिए दिल्ली निगम बोध घाट पर डा. आशीष का अंतिम संस्कार किया गया..


सामान्य मनुष्य तो कब का टूट जाता..

अब आप सोचें.. 

कौन बन सकेगा इस देश की हिन्दू बहनों का रक्षाकवच?..

कोई विकल्प तलाश करो या तैयार करो अभी से।

हमें एक ऐसा विकल्प चाहिए जिसे इस्लामिक देशों मे गैर इस्लामिको पर होनेवाले अत्याचार पर नींद न आती हो..


जो इस गंदगी को साफ करने के लिए महायुद्ध का उद्घोष करें..


किसी फिल्मी भांड मे हिम्मत नहीं है इस्लाम का यह सच दिखाने की??.. 


इसलिए आप सुरेश च्वहाण व अर्नब गोस्वामी से जुडे रहिये..

बाकी एक भी न्यूज चैनल मत देखिये।


  ✍️  आचार्य लोकेन्द्र 

 

No comments:

Post a Comment