विंध्यवासिनी स्त्रोतम !!!!
निशुम्भशुम्भ गर्जनी,
प्रचण्डमुण्ड खण्डिनी ।
बनेरणे प्रकाशिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – शुम्भ तथा निशुम्भ का संहार करने वाली, चण्ड तथा मुण्ड का विनाश करने वाली, वन में तथा युद्ध स्थल में पराक्रम प्रदर्शित करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
त्रिशूल मुण्ड धारिणी,
धरा विघात हारिणी ।
गृहे-गृहे निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – त्रिशूल तथा रत्न धारण करने वाली, पृथ्वी का संकट हरने वाली और घर-घर में निवास करने वाली भगवती विन्धवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
दरिद्र दुःख हारिणी,
सदा विभूति कारिणी ।
वियोग शोक हारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – दरिद्रजनों का दु:ख दूर करने वाली, सज्जनों का कल्याण करने वाली और वियोगजनित शोक का हरण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
लसत्सुलोल लोचनं,
लतासनं वरप्रदं ।
कपाल-शूल धारिणी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – सुन्दर तथा चंचल नेत्रों से सुशोभित होने वाली, सुकुमार नारी विग्रह से शोभा पाने वाली, सदा वर प्रदान करने वाली और कपाल तथा शूल धारण करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
करो मुदा गदाधरां
शिवां शिवप्रदायिनीम्।
वरावराननां शुभां,
भजामि विन्ध्यवासिनीम् ।।
अर्थ – प्रसन्नतापूर्वक हाथ में गदा धारण करने वाली, कल्याणमयी, सर्वविध मंगल प्रदान करने वाली तथा सुरुप-कुरुप सभी में व्याप्त परम शुभ स्वरुपा भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
ऋषीन्द्रजामिनप्रदां
त्रिधास्य रूप धारिणिम्।
जले-थले निवासिनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – ऋषि श्रेष्ठ के यहाँ पुत्री रुप से प्रकट होने वाली, ज्ञानलोक प्रदन करने वाली, महाकाली, महालक्ष्मी तथा महासरस्वती रूप से तीन स्वरुपों धारण करने वाली और जल तथा स्थल में निवास करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ
विशिष्ट शिष्ट कारिणी,
विशाल रूप धारिणी ।
महोदरे विशालीनी,
भजामि विन्ध्यवासिनी ॥
अर्थ – विशिष्टता की सृष्टि करने वाली, विशाल स्वरुप धारण करने वाली, महान उदर से सम्पन्न तथा व्यापक विग्रह वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
पुंरदरा दिसेवितां,
पुरादिवंश खण्डितम् ।
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं,
भजामि विन्ध्यवासिनीं ॥
अर्थ – इन्द्र आदि देवताओं से सेवित, मुर आदि राक्षसों के वंश का नाश करने वाली तथा अत्यन्त निर्मल बुद्धि प्रदान करने वाली भगवती विन्ध्यवासिनी की मैं आराधना करता हूँ.
।।इति श्रीविन्ध्येश्वरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।
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