Thursday 24 December 2020

महिमामय और गौरवशाली भारत

क्रिश्चियन लड़की ने कहा कि यीशु हमारे लिए सूली पर लटके और मर गए। 

मैने कहा पगली भगवान शिव ने हमारे लिए जहर पिया और जिंदा है।

स्वयं पढ़ें और बच्चों को भी  अनिवार्यतः पढ़ाएं

एक ओर जहां ईसामसीह को सिर्फ चार कीलें ठोकी गई थीं, वहीं भीष्म पितामह को धनुर्धर अर्जुन ने सैकड़ों बाणों से छलनी कर दिया था।

तीसरे दिन कीलें निकाले जाने पर ईसा होश में आ गए थे, वहीं पितामह भीष्म 49 दिनों तक लगातार बाणों की शैय्या पर पूरे होश में रहे और जीवन, अध्यात्म के अमूल्य प्रवचन, ज्ञान भी दिया तथा अपनी इच्छा से अपने शरीर का त्याग किया था।

सोचें कि पितामह भीष्म की तरह अनगिनत त्यागी महापुरुष हमारे भारत वर्ष में हुए हैं, तथापि सैकड़ों बाणों से छलनी हुए पितामह भीष्म को जब हमने भगवान् नहीं माना, तो चार कीलों से ठोंके गए ईसा को गॉड क्यों मानें???

ईसा का भारत से क्या संबंध है???

25 दिसंबर हम क्यों मनाएं???

क्यों बनाएं हम अपने बच्चों को सेंटा क्लाज???

क्यों लगाएं अपने घर पर प्लास्टिक की क्रिसमस ट्री???

कदापि नहीं, इस पाखंड में नहीं फंसना है, न किसी को फंसने देना है। हमारे पास हमारे पूर्वजों की विरासत में मिली वैज्ञानिक सनातन संस्कृति है, जो हमारे जीवन को महिमामय और गौरवशाली बनाती है।


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