Tuesday 5 January 2016

माँ तो माँ है ।।

पहली बार गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए ।
,
शख्सियत, ए 'लख्ते-जिगर, कहला न सका ।
जन्नत,, के धनी "पैर,, कभी सहला न सका ।
.
दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
.
बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास' दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।
.
Image result for images of motherवो 'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर,
मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका ।
.
नजरें उन 'बुढी, "आंखों,, से कभी मिला न सका ।
वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
.
जो हर "जीवनभर" 'ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,
उसे "ईद" पर दो 'जोड़, कपडे सिला न सका ।
.
"बिमार बिस्तर से उसे 'शिफा, दिला न सका ।
'खर्च के डर से उसे बडे अस्पताल, ले जा न सका ।
.
"माँ" के बेटा कहकर 'दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,

'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।
माँ तो माँ होती हे 

Image result for images of mother भाईयों माँ अगर कभी गुस्से मे गाली भी दे तो उसे उसका "दुआ" समझकर भूला देना चाहिए ।।

No comments:

Post a Comment