एक पल के लिये सोचो कि यदि दोस्त ना होते तो क्या हम ये कर पाते–
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LKG में A B C D लिख कर होशियारी किसे दिखाते..
UKG में आकर हम किसकी पेन्सिल छुपाते..
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पहली में बटन वाला पेन्सिल बॉक्स किसेदिखाते..
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दूसरी में गिर जाने पर किसका हाथ सामने पाते..
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तीसरी में absent होने पर कॉपी किसकी लाते..
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चौथी में दूसरे से लड़ने पर डांट किसकी खाते..
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पांचवी में फिर हम अपना लंच किसे चखाते..
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छठी में टीचर की पिटाई पर हम किसे चिढाते..
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सातवीं में खेल में किसे हराते / किससे हारते..
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आठवीं में बेस्ट फ्रेंड कहकर किससे मिलवाते..
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नवमीं में बीजगणित के सवाल किससे हल करवाते..
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दसवीं में बॉयलाजी के स्केचेज़ किससे बनवाते..
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ग्यारहवीं में “अपनीवाली” के बारे में किसे बताते..
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बारहवीं में बाहर जाने पर आंसू किसके कंधे पर बहाते..
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मोबाइल नं. से लेकर “उसकेभाई कितने हैं” कैसे जान पाते..
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मम्मी, दीदी या भैय्या की कमी कैसे सहपाते..
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हर रोज कॉपी या पेन भूल कर कॉलेज कैसे जाते..
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“अबे बता” परीक्षा में ऐसी आवाज किसे लगाते..
जन्मदिनों पर केक क्या हम खुद ही अपने चेहरे पर लगाते..
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“उसके” घर के चक्कर किसके साथ लगाते..
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डिग्री मिलने की खुशी हम किसके साथ बांटते.
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बहनों की डोलियां हम किसके कंधों के भरोसे उठाते.
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ऐसी ही अनगिनत यादों को हम कैसे जोड़ पाते
बिना दोस्तों के हम सांस तो लेते पर,
शायद जिन्दगी ना जी पाते ।.
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स्कूल ही हमारी लाइफ थी
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Last bench पर हमारी Team थी….
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जन-गण-मन के समय स्कूल के बाहर रहना …
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प्रार्थना के वक्त भी….
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सबके समान…सिर्फ
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होठ हलाना ….
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बारिश मे स्कूल
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जाते वक्त,
छाता बैग मे रखकर?
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जानबुझकर गीले होते जाना,
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किताबे गिली ना हो
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इसलिए ….उन्हे पॉलिथीन मे रखना….
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स्कूल से आते आते …
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एखादी पानी के गड्ढे मे कुद के
सभी के कपड़े खराब करना
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हर Off -Period मे P.T.
के लिये…हमारा झगडा़…
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स्कूल से घर जाते वक्त….वो बर्फ का
गोला खाना….
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इतिहास मे था शाहिस्तेखान
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नागरिक शास्त्र मे प्रधानमंत्री
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गणित… भुमिती …
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पायथागोरस का प्रमेय…
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हिंदी की वो “चिटी कि
आत्मकथा”
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English मे Grammar से ही हो
गयी थी हमारी व्यथा …
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स्कूल के दीन अभी भी याद
आते है…. Desk पर Pen से
वो “Pen-fights”
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खेलना….
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Exams मे
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रिक्त जगह भरना…
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आैर जोडी मिलाना…
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पर अब स्कूल नही, दोस्त नही,
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परीक्षा नही,
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परिक्षा का Tension नही, एक साथ रहना
नही
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गीले शीकवे नही.....I
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अब रह गयी सिर्फ
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"दुनियादारी".
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